इधर PM Modi बिहार में कर रहे एक के बाद एक धुआंधार रैली, उधर महागठबंधन में अब भी मची सीटों की किचकिच
पीएम मोदी एनडीए के पक्ष में महज एक हफ्ते के भीतर दूसरी जनसभा कर गए। इधर महागठबंधन अब भी प्रत्याशियों के चयन में ही उलझा है। बाहरियों की आवक-आगवानी घरवालों को रास नहीं आ रही है। पहले चरण का चुनाव-प्रचार परवान चढ़ने लगा है लेकिन महागठबंधन के किसी भी बड़े नेता की अबतक कोई बड़ी चुनावी सभा नहीं हुई है।
राज्य ब्यूरो, पटना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पक्ष में सप्ताह भीतर दूसरी जनसभा कर गए और महागठबंधन अभी प्रत्याशियों के चयन में ही उलझा हुआ है।
चुनावी संभावनाओं के आकलन का आधार नहीं होकर भी यह महागठबंधन में किचकिच का कारण तो बन ही गया है। सीट बंटवारे में देरी के साथ शुरू हुआ अंतर्द्वंद्व अब दल छोड़ने से लेकर क्षुब्ध नेताओं की मुखरता तक पहुंच चुका है।
इसका एकमात्र कारण राजद की दबंगई है, जिसने एकतरफा निर्णय लेते हुए महत्वपूर्ण घटक कांग्रेस को कठिन मैदान में भेज दिया और अब अपने प्रत्याशियों के चयन में मनमानी किए जा रहा है। बाहरियों की यह आवक-आगवानी घरवालों को रास नहीं आ रही है।
दो जनसभा कर चुके हैं PM मोदी
पहले चरण का प्रचार अभियान परवान की ओर बढ़ने लगा है, लेकिन महागठबंधन के किसी बड़े नेता की अब तक कोई चुनावी सभा नहीं हुई। ऐसा तब, जबकि तीन दिन के बाद ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर बिहार में जनसभा कर गए हैं।
जमुई में मोदी की पहली जनसभा चार अप्रैल को हुई थी और सात अप्रैल को दूसरी नवादा में। गया और औरंगाबाद के साथ इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को मतदान होना है। औरंगाबाद कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है।
अभय कुशवाहा के आने से राजद में रार
सीट बंटवारे के पहले ही लालू ने वहां अभय कुशवाहा को राजद का सिंबल दे दिया। पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार मन मसोस कर रह गए। वहां महागठबंधन का प्रचार अभियान एकाकी होकर रह गया है।
सिंबल लेने से एक दिन पहले जदयू छोड़कर आए अभय कुशवाहा से तालमेल बिठाने में राजद के स्थानीय कार्यकर्ता बहुत सहज नहीं और निखिल कुमार के चौबारे में पसरे सन्नाटे के बाद कांग्रेस-जनों के लिए भी करने-धरने को कुछ बचा नहीं।
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