PM Modi: ...तो इसलिए पटना में डेरा डाल रहे मोदी, खेल बिगाड़ने में लगे इक्का-दुक्का बागी!
ताबड़तोड़ जनसभाओं के साथ बिहार में रोड-शो करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे। पटना के रोड-शो का असर तो वैसे पूरे बिहार में संभावित है लेकिन असली जतन पटना साहिब और पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं का मन मोहने का है। चौथे चरण के साथ ही 19 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इनमें से मात्र छह सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी हैं
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। पिछली बार लोकसभा की 40 में से 39 सीटें राजग की झोली में डाल देने वाले बिहार को लेकर भाजपा इस बार पूरी तरह आश्वस्त भी नहीं। राजनीति में वैसे भी किसी स्थिति-परिस्थिति की गारंटी नहीं होती। इस बार तो तीन चरणों के मतदान के बाद शत प्रतिशत की गारंटी वाली आशा को कुछ आघात-सा लगा है।
विरोधियों के साथ भाजपा के अंदरुनी सूत्र भी ऐसा ही बता रहे हैं। यही कारण है कि 12 मई को रोड-शो के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पटना में ही रात्रि विश्राम का निर्णय लिया है। उसके अगले दिन 13 मई को तीन लोकसभा क्षेत्रों (सारण, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर) में जनसभा कर वे बिहार विजय के अपने संकल्प पर आगे बढ़ने का प्रयत्न करेंगे।
13 मई को चौथे चरण के तहत पांच संसदीय क्षेत्रों (उजियारपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय, मुंगेर) में मतदान भी होगा। मोदी की जनसभाएं उनके अगल-बगल वाले क्षेत्रों में होनी हैं। पिछले तीन चरणों में भी वे कुछ इसी तरह छह जनसभाएं किए हैं, लेकिन पटना में रोड-शो और रात्रि-विश्राम का यह पहला अवसर है।
ताबड़तोड़ जनसभाओं के साथ बिहार में रोड-शो करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे। पटना के रोड-शो का असर तो वैसे पूरे बिहार में संभावित है, लेकिन असली जतन पटना साहिब और पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं का मन मोहने का है।
कठिन परीक्षा के दौर में होगी भाजपा
चौथे चरण के साथ ही 19 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इनमें से मात्र छह सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी हैं। तीन पर लोजपा, एक पर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और शेष नौ सीटों पर जदयू के प्रत्याशी रहे। लंबे समय से प्रचार कर रहे नेताओं की थकान बढ़ी है और राजग में भाजपा की 11 सीटों पर अभी मतदान होना है। मतदाताओं की चुप्पी भी कम तकलीफदेह नहीं और आगे धरती के तपने का पूर्वानुमान भी है। कोई दो राय नहीं कि आगे भाजपा कठिन परीक्षा के दौर में होगी।दरअसल, देश-दुनिया को लोकतंत्र का ककहरा पढ़ाने वाले बिहार की अपनी राजनीति जातियों के मकड़जाल में उलझी हुई है। इस बार सामाजिक समीकरण को ध्यान में रख सीटों का बंटवारा हुआ और टिकट भी उसी अनुरूप बांटे गए, फिर भी कुछ समुदाय स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे। उनके बिदकने से चुनावी संभावना प्रभावित होगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।