प्रधानमंत्री की बिहार यात्रा कई मायने में ऐतिहासिक होगी। दो संसदीय क्षेत्रों के दौरे में प्रधानमंत्री बिहार को सवा दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं की शिलान्यास, उद्घाटन एवं घोषणा करेंगे।
20 महीने बाद पीएम-सीएम मंच करेंगे साझा
सबसे अहम यह है कि 20 महीने बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साथ सार्वजनिक रूप से मंच साझा करेंगे।
इससे पहले दोपहर एक बजे गया एयरपोर्ट पहुंचने पर प्रधानमंत्री का मुख्यमंत्री के साथ दोनों उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एवं विजय सिन्हा के अलावा बिहार भाजपा के कई वरिष्ठ नेता स्वागत करेंगे।गया से हेलीकाप्टर से प्रधानमंत्री का औरंगाबाद जाने का कार्यक्रम है। वहीं, औरंगाबाद से हेलीकाप्टर से ही बेगूसराय जाएंगे।
दोनों कार्यक्रम में प्रधानमंत्री बिहार से संबंधित कई योजनाएं जनता को समर्पित करेंगे। इसके बाद शाम में पटना एयरपोर्ट से दिल्ली लौट जाएंगे।
सरकारी कार्यक्रम के राजनीतिक निहितार्थ
अहम यह है कि प्रधानमंत्री का दोनों जिले का कार्यक्रम विशुद्ध रूप से सरकारी है। लेकिन इसके पीछे परोक्ष रूप से देखा जाए तो सियासी गलियारों में कहीं न कहीं इसके निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।बता दें कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बिहार में भारत जोड़ो यात्रा कर चुके हैं। उनकी इस यात्रा में खासी भीड़ भी उमड़ी थी। इधर, राजद नेता तेजस्वी यादव भी जन विश्वास यात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए हैं।
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़
बता दें कि औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ तो रहा है। साथ ही एक परिवार का इस लोकसभा क्षेत्र पर आधिपत्य भी रहा है। 2004 की लोकसभा में सतेंद्र नारायण सिंह के पुत्र निखिल कुमार रहे।भाजपा ने औरंगाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार जीत 2014 के लोकसभा चुनाव में हासिल की थी। फिर 2019 की लोकसभा चुनाव में जीत का क्रम बरकरार रखा।
परंतु, इस बार का समीकरण भाजपा के लिए परेशानी भरा है। इस बार कांग्रेस को राजद के साथ वाम दलों का भी समर्थन प्राप्त है। संभव है कि प्रधानमंत्री औरंगाबाद के साथ काराकाट एवं सासाराम भी साधने का प्रयास करेंगे।
बेगूसराय सीट कभी कांग्रेस का गढ़ थी
वहीं, बेगूसराय लोकसभा सीट भी कभी कांग्रेस का गढ़ रही थी। यहां से मथुरा मिश्र, श्यामनंदन मिश्र, कृष्णा शाही, राजो सिंह जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने लोकसभा के लिए प्रतिनिधित्व किया है।
बीच में 1967 लोकसभा चुनाव में वाम दल को जीत मिली थी। कृष्णा शाही ही 1980, 1984 और 1991 में संसद रहीं। 1998 में राजो सिंह यहां से सांसद रहे। भाजपा पहली बार बेगूसराय लोकसभा 2014 में जीती थी।इस सीट पर भोला सिंह ने जीत की नींव रखी। फिर 2019 में भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने जीत दर्ज की थी।
हैट्रिक लगाने की चुनौती
सियासी जानकारों का मानना है कि मोदी के बिहार दौरे का एक लक्ष्य औरंगाबाद एवं बेगूसराय लोकसभा सीट पर भाजपा की हैट्रिक लगाना भी है।
2014 से ही इन सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है। ऐसे में भाजपा न केवल हैट्रिक लगाना चाहती है, बल्कि कांग्रेस को भी जीत से बाहर रखना चाहती है। इसके लिए मोदी की गारंटी जरूरी भी है।
छह को आएंगे बेतिया
बिहार के लिए दिलचस्प यह है कि पांच दिन के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार छह मार्च को भी बेतिया आ रहे हैं। बेतिया दौरे में भी प्रधानमंत्री कई योजनाओं का उपहार क्षेत्र की जनता को देंगे।
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