NDA में खटपट करा सकती हैं 19 लोकसभा सीटें, क्या चिराग और पशुपति पारस के बीच होगा समझौता?
लोकसभा चुनाव को लेकर एनडीए में 20 लोकसभा सीटों को लेकर खटपट हो सकती है। बिहार में 40 लोकसभा सीटों में से 20 पर दावेदार खड़े हो गए हैं। रालोजद हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा और चिराग गुट और पशुपति पारस का गुट बीजेपी का खेल बिगाड़ सकता है। माना यह भी जा रहा है कि चुनाव से पहले बीजेपी चिराग और पशुपति पारस के बीच समझौता करवा देगी।
By Arun AsheshEdited By: Rajat MouryaUpdated: Tue, 12 Dec 2023 02:59 PM (IST)
अरुण अशेष, पटना। Bihar Politics राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में ऊपरी शांति के बीच लोकसभा की 40 में से 20 सीटों के दावेदार खड़े हो गए हैं। पहली बार राष्ट्रीय लोक जनता दल ने आठ सीटों का दावा किया है। लोजपा के दोनों गुटों का मुंह नहीं खुला है। सिर्फ चिराग पासवान की अगुआई वाली लोजपा (रा) का सात सीटों का दावा है। रालोजपा यानी पशुपति कुमार पारस गुट ने कोई दावा नहीं किया है।
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा का दावा पांच सीटों का है। इन दलों में सिर्फ रालोजद ने आठ सीटों पर तैयारी की घोषणा की है। रालोजद की पूर्ववर्ती राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का एनडीए (NDA) से पुराना नाता है। रालोसपा 2014 में राजग के साथ थी। उसे सीतामढ़ी, जहानाबाद और काराकाट सीटें दी गई थीं। सब पर जीत भी हुई, लेकिन 2019 में रालोसपा महागठबंधन में शामिल हो गई। उसे पांच सीटें मिली, लेकिन किसी पर जीत नहीं हुई। रालोसपा अब रालोजद है।
2024 के चुनाव में उसे काराकाट, सीतामढ़ी और जहानाबाद के अलावा पांच और सीट चाहिए। ये हैं-झंझारपुर, सुपौल, वाल्मीकिनगर, मुंगेर और सिवान। ये सभी आठ सीटें जदयू की जीती हुई हैं। लोजपा का संकट अधिक बड़ा है। चाचा (पशुपति कुमार पारस)और भतीजा (चिराग पासवान) अलग-अलग दल की हैसियत से दावेदारी कर रहे हैं। 2019 में लोजपा को लोकसभा की छह सीटें दी गई थीं। सातवी सीट के रूप में पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान राज्यसभा भेजे गए, इसलिए समग्रता में लोजपा सात सीटों पर दावा कर रही है।
संकट यह है कि यह दावा दोनों गुटों की ओर से किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि भाजपा दोनों को मिलाकर एक मंच पर ले आएगी। यह हुआ, तब भी लोजपा सात से कम पर राजी नहीं होगी।
मांझी के मन में पांच सीट है
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के संस्थापक जीतनराम मांझी के मन में पांच सीटों का हिसाब है, मगर वे जिद करेंगे, ऐसा नहीं लगता है। हां, गया की सीट को लेकर वह समझौता नहीं कर सकते। वहां से स्वयं लड़ना चाहते हैं। गया पर दावा उसी हालत में वापस हो सकता है, जब मांझी को कहीं का राज्यपाल बना दिया जाए। 2019 में यह मोर्चा महागठबंधन का हिस्सा था। तब उसे गया, औरंगाबाद और नालंदा की सीटें दी गई थीं। संयोग से तीनों पर उसकी हार हुई थी।ये भी पढ़ें- Ram Mandir आने का कारसेवक की बेटी को मिला न्योता, रामलला विराजमान के दर्शन करने जाएगी अयोध्याये भी पढ़ें- खुशखबरी! BPSC की 68वीं संयुक्त परीक्षा के इंटरव्यू की डेट फाइनल, अभ्यर्थियों के लिए अहम नोटिस जारी
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