'लालू और नीतीश के इर्द-गिर्द...', चुनाव से पहले Prashant Kishor का बड़ा बयान; इलेक्शन लड़ने पर दिया जवाब
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार में बड़ी सत्ता विरोधी लहर है। लोग पिछले 35 सालों के शासन से परेशान हो चुके हैं। प्रशांत किशोर का मानना है कि अब बिहार में नए राजनीतिक दल के लिए भी जगह बन गई है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में उनका अभियान एक राजनीतिक दल का रूप लेगा और चुनाव भी लड़ेगा।
एजेंसी, पटना। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार की सियासत को लेकर अहम टिप्पणी की है। प्रशांत किशोर का मानना है कि बिहार में वैचारिक रूप से समान दलों के लगभग 35 सालों के शासन के बाद यहां विरोधी लहर खड़ी हो गई है। बिहार में अब एक नई पार्टी के लिए काफी जगह भी बन चुकी है।
बता दें कि प्रशांत किशोर इस समय बिहार में जन सुराज यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि आने वाले समय में वह अपने दल का गठन करेंगे और विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार में लालू की राजद और नीतीश की जदयू के अलावा भाजपा, वाम दल और कांग्रेस के पास कितनी जगह है? उन्होंने कहा कि किसी अन्य राज्य की तुलना में बिहार में सभी दलों के पास जगह है।
'लालू और नीतीश के इर्द-गिर्द...'
उन्होंने कहा, "लालू और नीतीश के इर्द-गिर्द लगभग समान संरचनाएं 35 वर्षों से बनी हुई हैं। उनकी विचारधाराएं कमोबेश समान हैं"। पीके ने कहा कि सामाजिक न्याय, समाजवाद और 'जंगल राज' जैसे मुद्दे इन सभी वर्षों में मौजूद रहे हैं।
जन सुराज के सूत्रधार ने आगे कहा, "बिहार में सत्ता विरोधी लहर सबसे ज्यादा है। इन 35 सालों में कोई बुनियादी बदलाव नहीं हुआ है"।
'अब सीधे लोगों से संवाद किया'
अपने अभियान का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वह पहले राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को सलाह दे रहे थे, लेकिन वह अब सीधे लोगों से संवाद कर रहे हैं। लोगों को बता रहे हैं कि उन्हें अपने मुद्दे उठाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने 2 अक्टूबर, 2022 को महात्मा गांधी की जयंती पर 'जन सुराज' यात्रा शुरू की, तो उन्होंने हर ब्लॉक में 20 "सही" लोगों की पहचान करने की योजना बनाई, लेकिन उन्हें बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया मिली। 2,500 से 3,000 के बीच लोग हमारे साथ आने के लिए तैयार थे और इसके संस्थापक सदस्य बनें।प्रशांत किशोर ने कहा कि वह अब तक राज्य के 60 फीसदी हिस्से की यात्रा कर चुके हैं। जब उनसे पूछा गया कि अगर उनका दल बनता है तो उसमें वह खुद को किस भूमिका में देखते हैं? उन्होंने कहा कि मैं खुद को कुम्हार मानता हूं। जो एक अच्छा मिट्टी का बर्तन बनाने के लिए कच्चा माल इकट्ठा कर रहा है।
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