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Bihar Politics: जनसुराज ने RJD के साथ कर दिया खेला, लालू की पार्टी में मची खलबली; फोन कॉल से हुआ खुलासा

Prashant Kishor on RJD राजद के 4 लाख सक्रिय सदस्यों का डेटा जन सुराज पार्टी (जसुपा) के हाथ लग गया है जिससे राजद की संगठनात्मक और चुनावी रणनीति पर असर पड़ सकता है। राजद इसकी जांच में जुटा है और आशंका है कि पार्टी पदाधिकारियों और डाटा इंट्री आपरेटरों की मिलीभगत से ऐसा हुआ है। राजद के लिए यह एक बड़ी चुनौती है खासकर अगले वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sun, 03 Nov 2024 08:54 PM (IST)
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प्रशांत किशोर और लालू यादव (जागरण फोटो)
राज्य ब्यूरो,पटना। राजद के 4 लाख सक्रिय सदस्यों का ब्योरा जन सुराज पार्टी (जसुपा) के हाथ लग गया है। अब राजद इसकी जांच में लगा है कि आखिर यह हुआ कैसे। नेतृत्व को आशंका है कि प्रदेश मुख्यालय में पूर्व निर्धारित दायित्वों के निर्वहन में पार्टी पदाधिकारियों व इंटरनेट मीडिया प्रभारियों की कोताही और डाटा इंट्री आपरेटरों की मिलीभगत से ऐसा हुआ है।

फोन कॉल के बाद हुआ खुलासा

जसुपा की ओर से राजद के कुछ सक्रिय सदस्यों को फोन किए जाने के बाद इसकी जानकारी हुई। उल्लेखनीय है कि जसुपा वैसे तो बिहार में सक्रिय प्राय: सभी दलों को खुली चुनौती दे रही, लेकिन मुसलमानों के लिए उसकी पैरोकारी राजद को कुछ अधिक ही अखर रही है। कारण, राजद का आधार वोट है, जो यादवों के साथ मुसलमानों को जोड़कर बनता है। राजनीति में उसे माय (मुसलमान-यादव) समीकरण कहते हैं।

प्रखंड और पंचायतवार ब्योरा हुआ लीक

जो डाटा लीक बताया जा रहा, उसमें सक्रिय सदस्यों का नाम-पता, उम्र-लिंग, मोबाइल नंबर, दायित्व, कार्यक्षेत्र और अभिरुचि आदि दर्ज हैं। प्रखंड और पंचायतवार श्रेणी में वर्गित यह ब्योरा प्रदेश कार्यालय के कंप्यूटरों में संग्रहित था। चुनावी रणनीति और संगठनात्मक कार्यों के लिए इसकी बड़ी उपादेयता है। ऐसे में इस डाटा का किसी भी विरोधी दल के हाथ लग जाने से राजद की संभावनाओं पर प्रतिकूल असर स्वाभाविक है। वह भी तब जबकि अगले वर्ष विधानसभा का चुनाव होना है।

दरअसल, जन सुराज के राजनीतिक अवतरण के समय ही राजद ने भविष्य के खतरे को भांप लिया था। जसुपा को भाजपा की बी टीम बताते हुए राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अपने कार्यकर्ताओं को चेतावनी दी थी कि वे उसके बहकावे में न आएं।

उपचुनाव के दौरान जसुपा की रणनीति ने आशंका को किया पुष्ट

इस बीच नेतृत्व को सूचना मिली कि राजद के डाटा का उपयोग कर जसुपा अपने अभियान पर आगे बढ़ रही। विधानसभा की चार सीटों पर उपचुनाव के दौरान जसुपा की रणनीति से राजद की यह आशंका पुष्ट हो रही है। हालांकि, जसुपा ऐसे आरोपों को पहले ही नकार चुकी है। वैसे भी इंटरनेट मीडिया के इस दौर में शायद ही कोई डाटा सुरक्षित है।

अर्से से राजद में सक्रिय नेताओं-कार्यकर्ताओं को जब जसुपा से फोन पर आफर मिलने लगा तब नेतृत्व को इसकी भनक लगी। कई नेताओं ने तो स्वयं प्रदेश नेतृत्व को इससे अवगत कराया। उनमें राजधानी पटना के साथ गया, आरा, भागलपुर, कटिहार आदि के नेता हैं।

प्रतिबद्ध नेताओं-कार्यकर्ताओं को लेकर नेतृत्व को कोई विशेष चिंता नहीं, लेकिन सक्रिय भूमिका में कुछ भ्रमणशील प्रवृत्ति के भी लोग हैं, जिन पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं किया जा सकता। ऐसे में चुनाव के बीच सांगठनिक गोपनीयता बनाए रखने की कठिन चुनौती होगी।

राजद के लिए विधानसभा का अगला चुनाव एक अनमोल अवसर है। उसी से भविष्य तय होना है। ऐसे में कोई भी चूक भारी पड़ेगी। अब जबकि एक चूक हो गई है तो नेतृत्व का प्रयास ऐसी किसी भी पुनरावृत्ति से बचने की है।

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