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Exclusive: 'हम भारी बहुमत से सरकार बनाएंगे या फिर 4 से 5 सीटों पर ही सिमट जाएंगे', पढ़िए प्रशांत किशोर का पूरा इंटरव्यू

Prashant kishor Interview चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार में अपनी पार्टी की घोषणा कर दी है जिससे 2025 के विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका को लेकर चर्चा हो रही है। प्रमुख दलों ने विशेषज्ञ तैनात किए हैं जो पीके की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। प्रशांत किशोर ने पार्टी बनने के बाद जागरण से विशेष बातचीत की है। पढ़ें इंटरव्यू के प्रमुख अंश...

By Arun Ashesh Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Thu, 03 Oct 2024 01:08 PM (IST)
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प्रशांत किशोर का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू (जागरण फोटो)

जागरण संवाददाता, पटना। Prashant Kishor Interview: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने दो साल पहले जब बिहार के गांवों की पदयात्रा शुरू की थी, राजनीतिक दलों की बात छोड़िए, आम लोगों ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन, दो साल बाद इस समय, जबकि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, पीके ने अपनी पार्टी की घोषणा कर दी है, सभी प्रमुख दलों में कुछ विशेषज्ञ चुनाव पर पड़ने वाले प्रशांत किशोर के प्रभाव का आकलन करने के लिए तैनात किए गए हैं।

वे पीके (Prashant Kishor) की प्रतिदिन की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट करते हैं। राजनीतिक दलों के बीच यह विमर्श शुरू हो गया है कि अगर पीके विधानसभा की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतार देते हैं तो उनके दल पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

अभी कहना मुश्किल है और स्वयं पीके भी चुनाव परिणाम को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। लेकिन, आम लोगों के बीच जिस गंभीरता से उनकी चर्चा हो रही है, अगले विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।

कुछ लोग उनकी तुलना 2020 के विधानसभा चुनाव में उतरी प्लूरल्स पार्टी से करते हैं। प्लूरल्स पार्टी मीडिया के विज्ञापनों के माध्यम से प्रकट हुई थी। चुनाव परिणाम के साथ विलीन हो गई। सच यह है कि प्लूरल्स पार्टी से तुलना करना पीके के साथ अन्याय है।

कोई उनसे असहमत हो सकता है, लेकिन भारत के विभिन्न राज्यों के चुनावों को प्रभावित करने की उनके अतीत की अनदेखी नहीं कर सकता है। पीके से जन सुराज पार्टी, चुनावी रणनीति और सरकार बनी तो उसकी जन कल्याणकारी योजनाओं पर दैनिक जागरण के बिहार ब्यूरो प्रमुख अरुण अशेष ने लंबी बातचीत हुई। प्रस्तुत है उसके प्रमुख अंंश।

प्र.- विधानसभा चुनाव के बाद प्रशांत किशोर कहां रहेंगे?

उ.-हम दो संभावनाओं को देख रहे हैं। पहली-जन सुराज पार्टी की भारी बहुमत से सरकार बनेगी। दूसरी-अगर परिणाम पक्ष में नहीं आया तो हमारी सीटें दहाईं आंकड़ा नहीं पार करेंगी। चार या पांच सीटों पर हम सिमट जाएंगे।

प्र. इस आकलन का आधार क्या है?

उ. हम दो वर्षों से आम लोगों के बीच घूम रहे हैं। हम उनसे कह रहे हैं कि हर बार दूसरे के लिए आपने वोट किया है।एक बार अपने लिए, अपनी संतानों के लिए वोट कीजिए। लोग इस तर्क से सहमत हो रहे हैं। यह अपील अगर मतदान के दिन तक लोगों के मन में बनी रही तो जन सुराज पार्टी की सीटों की गिनती नहीं हो पाएगी। लैंड स्लाइट विक्ट्री होगी। हां, अगर लोगों के मन में जाति और धर्म के नाम पर वोट देने की पुरानी प्रवृति बनी रही तो हम आगे की लड़ाई की तैयारी में लग जाएंगे।

प्र.-जाति और धर्म आधारित राजनीति को आप कैसे अपने पक्ष में मोड़ेंगे?

उ. हम मानते हैं कि जाति और धर्म बिहार की राजनीति के सच हैं। लेकिन, यह भी कि ये अंतिम सच नहीं हैं। अभी आपने लाेकसभा चुनाव में देखा होगा। पार्टी से जुड़ी जातियों का मिथ पूरी तरह टूट गया था। कुशवाहा और वैश्य जैसी जातियां एनडीए से जुड़ी मानी जाती थीं। वह एनडीए से अलग हो गईं। अत्यंत पिछड़ी जातियों के साथ भी ऐसा ही हुआ। विधानसभा चुनाव तक इस प्रवृति में और बदलाव आएगा।

प्र. राजद के पास माय समीकरण है। भाजपा के पास हिन्दू हैं। जदयू के पास अत्यंत पिछड़ी जातियां हैं। इस क्रम में पीके के पास क्या है?

उ. हमारे पास सभी जातियों का कुछ न कुछ वोट है। ऐसे समूहों का वोट है, जो पारंपरिक दलों के पाखंड से उब कर मतदान में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। हम किसी एक जाति पर केंद्रीत नहीं हैं। सभी जातियों का वोट हमें मिलने जा रहा है। आप यादवों को राजद से जोड़ रहे हैं। हम भी मान रहे हैं। लेकिन, यह नहीं कह सकते कि सौ प्रतिशत यादव राजद को ही वोट देंगे। उसमें से दो चार भी हमारी पार्टी को मिल जाएगा बढ़त मिल जाएगी।

प्र: मुसलमान तो राजद से बंधे हुए हैं। उन्हें आप कैसे जोड़ेंगे?

उ. बीते 30 साल से मुसलमान लालू प्रसाद को छोड़ कर किसी की नहीं सुन रहे थे। हमारी सुन रहे हैं। पटना की हमारी एक बैठक में 15 हजार मुसलमान शामिल हुए थे। वे अभी हमको सुन रहे हैं। धीरे-धीरे हमारी नीतियों से सहमत भी हो जाएंगे। जन सुराज विधानसभा की 40 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार देगी। मुस्लिम वोटर भी बदलाव चाहते हैं।उनकी बेचैनी झलक रही है। कई मुस्लिम बहुल सीटों पर राजद की हार इसका प्रमाण है।

प्र. बिहार में लंबे समय से एनडीए की सरकार है। विकास का दावा भी है। सड़क-बिजली और कई अन्य मानकों पर आम लोग भी सहमत हैं कि विकास हुआ है। जन सुराज के पास विकास का वैकल्पिक माडल क्या है?

उ. नाली और गलियों के निर्माण को विकास मत कहिए। हमारे पास ऐसे बिहार का माडल है, जो बेंगलूरू और चेन्नई से राज्य का मुकाबला कराएगा। यहां के लोग 10-12 हजार की नौकरियों के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाएंगे। इससे अधिक वेतन पर काम करने के लिए दूसरे राज्यों के लोग बिहार आएंगे।

प्र. इस समय एनडीए और राजद के बीच सीधे मुकाबले की तस्वीर बन रही है। इसमें जसुपा की जगह कहां है?

उ. मुसलमान अगर हमारी तरफ आते हैं तो राजद कमजोर होगा। वैसी हालत में एनडीए और जन सुराज के बीच सीधा मुकाबला होगा। आप लोगों से संवाद कीजिए। वे बताएंगे कि किसी दल के विरोध के नाम पर ही अमुक दल को वोट दे रहे हैं। क्योंकि उनके पास अबतक कोई विकल्प नहीं था। इसलिए लोग किसी दल को पराजित करने के ध्येय से मतदान कर रहे थे। इसबार हम विकल्प लेकर आए हैं। लोग अपनी सरकार बनाने के लिए वोट देंगे।

प्र. दूसरे दलों से अलग उम्मीदवार का चयन कैसे करेंगे?

उ. हम प्रयास करेंगे कि ऐसे लोगों को उम्मीदवार बनाएं, जो इससे पहले कभी चुनाव नहीं लड़े हैं। हम काबिल उम्मीदवार बनाएंगे। सूची जारी होते ही लोग कहने लगेंगे कि जन सुराज ने सचमुच सक्षम, ईमानदार और बेदाग उम्मीदवार उतारा है।

प्र. आप चुनावी जीत के प्रति इतने आश्वस्त कैसे हो सकते हैं?

उ. 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणाम को याद कीजिए। सिर्फ दो सीट जीतकर नीतीश कुमार पस्त हो गए थे। यहां तक कि नैराश्य भाव में उन्होंने मुख्यमंत्री का पद तक छोड़ दिया था। उस दौर में हमने उनका साथ दिया। वह मुख्यमंत्री बने। आजतक पद पर हैं।

प्र. आपकी पार्टी में भी कई पस्त चेहरे हैं, उनका क्या उपयोग है?

उ. (हंस कर) हमारे पास मसाला है। हम पस्त लोगों में मसाला भरेंगे। फुर्ती आ जाएगी।

प्र. आप कभी नीतीश के उत्तराधिकारी माने गए थे। चुनाव मैदान में उनका विरोध कैसे करेंगे?

उ. कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री से हमारी मुलाकात हुई थी। उसी दिन हमने तय किया था कि उनकी वर्तमान अवस्था को देखते हुए हम उनपर प्रहार नहीं करेंगे। हम वही कर भी रहे हैं। कह रहे हैं कि लंबी पारी के बाद उन्हें अवकाश ले लेना चाहिए। यदि वे स्वयं ऐसा नहीं करते हैं तो जनता उन्हें बिठा देगी। ओडीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अच्छी छवि रही है। काम भी अच्छा किया है। लेकिन, समय आया तो जनता ने उन्हें पद से हटा दिया। हम उम्मीद करते हैं कि नीतीश कुमार के साथ भी कुछ वैसा ही होगा।

प्र. क्या जनसुराज पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बना पाएगी?

उ. नहीं। जनसुराज और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला होगा। राजद तीसरे नम्बर पर चला जाएगा। एक बात और स्पष्ट कर दें कि हम किसी की बी टीम नहीं हैं। अगर भाजपा से हमारा लगाव होता तो हम बहुत पहले उस पार्टी में चले गए होते। भाजपा का प्रस्ताव भी आया था। हमने इंकार कर दिया।

प्र. चुनाव महंगा होगा। धन का प्रबंध कैसे करेंगे?

उ. धन कोई समस्या नहीं है। हम जन सहयोग से धन जुटाएंगे। ऐसा होने पर सरकार पर भी किसी खास समूह के हित में नीतियां बनाने का दबाव नहीं रहेगा। सरकार की सभी नीतियां राज्यवासियों के हित में बनेंगी।

प्र. यह देखा गया है कि लोग चुनाव के दिनों में पार्टी बनाते हैं। असफल होने पर राज्य से विदा हो जाते हैं। ऐसी नौबत आने पर पीके क्या करेंगे?

उ. मेरी उम्र अभी 45 साल है। मेरे पास राजनीति के लिए बहुत समय है। हम अगले चुनाव की तैयारी करेंगे। वैसे, मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि अगले साल नवंबर में राज्य में सत्ता परिवर्तन होगा। जन सुराज की सरकार बनेगी। हां, मुझे सरकार या संगठन में किसी पद की इच्छा नहीं है।

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