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जदयू के लिए फिर सक्रिय हो सकते प्रशांत किशोर, दो बार हो चुकी है CM नीतीश से मुलाकात

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत कुमार दो बार सीएम नीतीश से मुलाकात कर चुके हैं। वे एक बार फिर फिर जदयू के लिए काम कर सकते हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Updated: Tue, 05 Jun 2018 11:08 PM (IST)
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जदयू के लिए फिर सक्रिय हो सकते प्रशांत किशोर, दो बार हो चुकी है CM नीतीश से मुलाकात
पटना [राज्य ब्यूरो]। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर जदयू के लिए काम कर सकते हैं। पिछले एक माह के दौरान वह दो बार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर चुके हैं। रविवार को वह नीतीश कुमार की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बैठक में मौजूद थे।

प्रशांत किशोर के संबंध में अभी मीडिया में यह भी कयास लगाया जा रहा है कि वह दोबारा नरेंद्र मोदी के लिए काम करेंगे। इसी बीच उनकी जदयू की बैठक में मौजूदगी ने राजनीतिक हलके में अटकलबाजी आरंभ कर दी है। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछली बार जब प्रशांत किशोर ने पार्टी के लिए काम किया था, तब हमारा संगठन बहुत सुदृढ़ नहीं था। आज स्थिति दूसरी है। हमारे 40 लाख से अधिक प्रारंभिक सदस्य हैं और हर बूथ पर हमारे कार्यकर्ता सक्रिय हैं। पिछली बार उन्होंने चुनावी प्रचार का काम-काज देखा था। इधर सूत्रों ने बताया कि प्रशांत किशोर विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस के खिलाफ रणनीति बनाने में जदयू नेतृत्व की मदद कर सकते हैं।

बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2012 में नरेंद्र मोदी की चुनावी रणनीति बनाई। फिर 2014 लोकसभा चुनाव में उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य रूप से पांच अभियान चलाए। इनमें युवाओं के बीच 'मंथन', सरदार पटेल के नाम पर 'स्टैच्यू आफ लिबर्टी', चाय पे चर्चा, 3डी रैली और भारत विजय रैली शामिल थी। लेकिन फिर वह भाजपा से अलग हो गए और 2015 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए चुनावी रणनीति बनाने की जिम्मेदारी संभाली।

उन्होंने प्रदेश में जदयू के पक्ष में 'हर घर दस्तक' अभियान चलाया। जदयू उस समय भाजपा के खिलाफ बने महागठबंधन का हिस्सा था जिसमें कांग्रेस और राजद शामिल थे। प्रशांत किशोर ने 'बिहार में बहार हो, नीतेशे कुमार हो' और 'झांसे में नहीं आएंगे, नीतीश को जिताएंगे', जैसे नारे भी दिए थे।

चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया था। मगर 2017 में कांग्रेस के लिए उन्होंने यूपी और पंजाब में चुनावी रणनीति बनाने की जिम्मेदारी ले ली, जिसके कारण वह जदयू को समय नहीं दे पाए।

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