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Prashant Kishor: प्रशांत किशोर पर पूरे बिहार की नजरें, 2 अक्टूबर को पटना में करेंगे बड़ा सियासी धमाका

जनसुराज अभियान अब राजनीतिक दल बनने जा रहा है। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर पटना के वेटनरी कॉलेज में एक समारोह आयोजित किया जाएगा जिसमें जनसुराज को एक राजनीतिक दल के रूप में स्थापित किया जाएगा। इस आयोजन में प्रशांत किशोर के साथ कई सेवानिवृत्त IAS-IPS अधिकारी और अन्य राजनीतिक दलों से आए नेता भी शामिल होंगे।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Mohit Tripathi Updated: Tue, 24 Sep 2024 09:58 PM (IST)
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वेटनरी कॉलेज में पार्टी का चोला पहनेगा जनसुराज। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। लगभग ढाई वर्षों के प्रयास व जन-भागीदारी पर चर्चा के बाद जनसुराज दो अक्टूबर को राजनीतिक दल के स्वरूप में परिवर्तित हो जाएगा। अभी तक यह अभियान था और अब आगे चुनावी राजनीति में प्रशांत किशोर (पीके) की प्रत्यक्ष भागीदारी होगी।

आधिकारिक दावा है कि जनसुराज किसी व्यक्ति, परिवार जाति या वर्ग का न होकर, बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के लिए संकल्पित लोगों का दल होगा।

5000 KM पदयात्रा के बाद पार्टी बनाने की आधिकारिक घोषणा

2022 में दो मई को जनसुराज अभियान की परिकल्पना हुई थी। तब से लगभग पांच हजार किलोमीटर की पदयात्रा और पूरे बिहार में जनसंपर्क के बाद निर्णय लिया गया है कि राज्य में व्यवस्था परिवर्तन के लिए इस अभियान को अब राजनीतिक दल का स्वरूप दिया जाए।

वेटनरी कॉलेज में दल का चोला पहनेगा जनसुराज

आधिकारिक रूप से जनसुराज का कहना है कि यह निर्णय सर्व-सम्मति से लिया गया है। गांधी जयंती पर पटना में वेटनरी कॉलेज के मैदान में दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक समारोह का आयोजन कर जनसुराज को राजनीतिक दल को चोला पहना दिया जाएगा।

मंच पर मुख्य उपस्थिति पीके की होगी। उनके साथ सेवानिवृत्त आइएएस-आइपीएस अधिकारी व दूसरे राजनीतिक दल छोड़कर आए कुछ नेता सहभागी होंगे।

बड़े जुटान की आशा

जनसुराज इसे बिहार में व्यवस्था परिवर्तन का सामूहिक प्रयास बता रहा और वेटनरी कॉलेज में होने वाले जुटान को एक पड़ाव।

मंगलवार को जनसुराज ने अपने संकल्प में सहभागिता के लिए पूरे बिहार के लोगों का आह्वान किया। चूंकि, बड़े जुटान की आशा है, इसीलिए इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए वेटनरी कॉलेज का मैदान चुना गया।

पदाधिकारियों की भी हो सकती है घोषणा

बहुत संभव है कि मंच से दल के पदाधिकारियों की घोषणा भी हो। पीके पहले ही यह बता चुके हैं कि उनके दल की कमान बारी-बारी से सभी जाति-समुदाय (पिछड़ा-अति पिछड़ा, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक व सवर्ण) के लोगों के हाथों में होगी।

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