बिहार के 173 एफिलिएटेड कॉलेजों में होगी प्रधानाचार्य की नियुक्ति, पूरी करते हैं ये अर्हता तो आज ही करें ऑनलाइन आवेदन
बिहार में 173 अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति होने वाली है। यह नियुक्ति BSUSC की अनुशंसा पर की जाएगी। संबंधित पदों के लिए आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर 25 जून तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अभ्यर्थियों के लिए पीएचडी की अर्हता अनिवार्य है। चयनित अभ्यर्थियों के अकादमिक करियर पर 80 अंक और इंटरव्यू पर 20 अंक दिए जाएंगे।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में राज्य के 173 अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति होगी। यह नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की अनुशंसा पर की जाएगी। इसमें नई नियमावली का अनुपालन किया जाएगा। संबंधित पदों के लिए आयोग द्वारा 25 जून तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए है।
अभ्यर्थियों के लिए पीएचडी की अर्हता अनिवार्य की गई है। इसके अतिरिक्त 15 वर्षों का शिक्षण अनुभव का होना अनिवार्य है। चयनित अभ्यर्थियों के अकादमिक करियर पर 80 अंक और साक्षात्कार पर 20 अंक दिए जाएंगे।
एक जून से पर ऑनलाइन आवेदन शुरू
मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानाचार्य पद के अभ्यर्थियों का ऑनलाइन आवेदन लिया जाएगा। इसके लिए बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग पोर्टल एक जून से सुलभ होगा। उसके बाद प्रधानाचार्य पद के अभ्यर्थी 25 जून तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।ऑनलाइन आवेदन की डाउनलोडेड हार्ड कॉपी और सभी आवश्यक कागजात, जिसमें प्रमाण-पत्रों की स्व-अभिप्रमाणित छायाप्रति, दो प्रतियां स्पाइरल बाइंडिग के रूप में शामिल होंगी। स्पीड पोस्ट या निबंधित डाक से 10 जुलाई को शाम पांच बजे तक आयोग में भेजना अनिवार्य है।
आरक्षण का अनुपालन अनिवार्य
प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन प्रपत्र का प्रारुप तथा विश्वविद्यालयवार एवं आरक्षण कोटिवार पदों की संख्या सहित आवेदन करने से संबंधित आवश्यक नियम एवं शर्तें जारी किया गया है।प्रधानाचार्य पद के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य की गयी है। इस पद के लिए कम-से-कम 15 वर्षों का शिक्षण अनुभव रखने वाले प्रोफेसर एवं एसोसिएट प्रोफेसर ही आवेदन कर सकेंगे।
अभ्यर्थियों के लिए यह भी अनिवार्य किया गया है कि कम-से-कम 10 रिसर्च जर्नल में पब्लिश हो। अभ्यर्थियों के लिए एकेडमिक कैरियर पर 80 एवं इंटरव्यु पर 20 अंक निर्धारित किये गये हैं।प्रधानाचार्य का कार्यकाल पांच वर्षों का होगा। उनके प्रदर्शन के आकलन के आधार पर पांच वर्षों के लिए कार्यकाल में विस्तार का प्रविधान है।
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