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नीतीश-ललन की हिट जोड़ी... एक-दूसरे के रहे क्‍लासमेट, जानिए ललन सिंह का कैसा रहा अब तक सियासी सफर?

दिल्ली में आज यानी शुक्रवार को जदयू के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की अहम बैठक में पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष के पद से इस्‍तीफा दे दिया। इसे लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। उन्‍होंने इस्‍तीफा देने के बाद नए अध्‍यक्ष के रूप में खुद नीतीश के नाम का प्रस्‍ताव आगे रखा। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत कॉलेज के समय से हुई थी।

By Jagran News Edited By: Arijita Sen Updated: Fri, 29 Dec 2023 02:17 PM (IST)
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जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से ललन सिंह ने दिया इस्‍तीफा।
जासं, पटना। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जनता दल (यूनाइटेड) में एक बहुत बड़ा बदलाव हुआ है। राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में आयोजित पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और इसी के साथ संभावना जताई जा रही है कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से जेडीयू के अध्यक्ष पद की कमान भी संभाल लें। गौरतलब है कि उन्‍होंने मीटिंग में इस्तीफा देने के बाद पार्टी के नए अध्यक्ष के लिए खुद नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव आगे रखा।

कौन हैं ललन सिंह

राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह बिहार की राजनीति में एक बड़ा नाम है। उनका जन्‍म 24 जनवरी, 1955 को  पटना में हुआ था। उनके पिता का नाम ज्वाला प्रसाद सिंह और मां का नाम कौशल्या देवी है। उनकी पत्‍नी का नाम रेनू देवी है और उनकी एक बेटी भी है। ललन सिंह ने टी.एन.बी. कॉलेज भागलपुर विश्वविद्यालय से आर्टस (इतिहास) में स्‍नातक की डिग्री हासिल की है। 

नीतीश के बाद पार्टी के सबसे बड़े नेता

ललन सिंह के राजनीतिक सफर की शुरुआत कॉलेज के समय से हुई थी। वह कॉलेज छात्र संघ के महासचिव थे। जयप्रकाश नारायण के नेतृत्‍व में जेपी आंदोलन से उन्‍होंने नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील कुमार मोदी, रविशंकर प्रसाद जैसे शख्सियतों के साथ राजनीति में सक्रिय रूप से कदम रखा।

साल 2005 में बिहार की सत्‍ता में नीतीश कुमार की ताजपोशी होने के बाद से वह उनके खास रणनीतिकार बने रहे। पार्टी के कई छोटे-बड़े मसलों पर उनकी दी गई राय अहम रही। जदयू में नीतीश के बाद वह सबसे कद्दावर नेता माने जाते हैं।

बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि वह और नीतीश कुमार एक-दूसरे के क्‍लासमेट भी रह चुके हैं। साल 2019 में मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से वह तीसरी बार सांसद चुने गए और 17वीं लोकसभा में पार्टी के नेता बनाए गए।

नीतीश-ललन की हिट जोड़ी

बिहार की राजनीति में नीतीश और ललन की जोड़ी हमेशा से हिट रही है। हालांकि, इनके बीच मनमुटाव का किस्‍सा तब सामने आने लगा, जब पार्टी की तरफ से ललन सिंह पर गंभीर आरोप लगे। बात साल 2009 की है।ललन सिंह पर पार्टी फंड का इस्‍तेमाल गलत तरीके से करने का आरोप लगा था।

इसके बाद साल 2010 के विधानसभा चुनावों में उन्‍होंने कांग्रेस के लिए प्रचार किया और इस दौरान नीतीश कुमार के खिलाफ खूब बयानबाजी भी की। उस दौरान नीतीश कुमार पर टिप्‍पणी करते हुए उन्‍होंने यह तक कह दिया था कि 

नीतीश कुमार के पेट के दांत जिसे सिर्फ वह (ललन सिंह) ही तोड़ सकते हैं। हालांकि, कुछ दिनों बाद दोनों में सुलह हो गई और नीतीश कुमार ने ललन सिंह को विधान परिषद भी भेजा और बिहार सरकार में मंत्री का पद भी दिलाया।

साल 2017 में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ मिलकर ललन सिंह ने आरजेडी-जेडीयू का गठबंधन खत्‍म किया और एनडीए में वापसी कराई। फिर भाजपा के साथ गठबंधन खत्‍म कराने में भी उनकी भूमिका अहम रही। 

चारा घोटाला मामले में दिया था लालू के खिलाफ बयान

चारा घोटाला मामले में लालू यादव के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका डालने वालों में ललन सिंह भी थे। उन्‍होंने उस दौरान एक सार्वजनिक सभा में कहा था कि उन्हे पता है कि लालू यादव ने चारा घोटाले का पैसा कहां छिपाकर रखा है। 

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