Bihar Politics: राज्यसभा में अब RJD का दबदबा, Tejashwi Yadav ने इस दिग्गज नेता का पत्ता काटकर संजय यादव पर खेला दांव
Bihar Politics राज्यसभा के लिए नवनिर्वाचित छह में से मात्र दो चेहरे (डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह और मनोज झा) ही पुराने हैं। दोनों दूसरी बार चुने गए। शेष चार नए चेहरे हैं। सभी छह वर्ष के लिए निर्वाचित हुए हैं और दो अप्रैल से उनका कार्यकाल प्रारंभ होगा। अखिलेश कांग्रेस से हैं और मनोज राजद से। राजद के दूसरे अभ्यर्थी तेजस्वी के सलाहकार रहे डॉ. संजय यादव हैं।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News Today दूसरे प्रदेशों में जोड़-तोड़ की आशंका के बावजूद बिहार में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) में फजीहत की कोई नौबत नहीं बनी। उच्च सदन के लिए यहां से रिक्त होने वाली छह सीटों के लिए मात्र छह दावेदार रहे। ऐसे में नामांकन वापसी की आखिरी दिन मंगलवार को सभी निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिए गए।
राजद अपनी दोनों सीटें दोबारा पा गया है। वाम दलों के सहयोग से कांग्रेस भी अपनी एक सीट बचाने में सफल रही है, जबकि भाजपा (BJP) को पिछली बार से एक सीट का लाभ हो रहा और जदयू (JDU) को एक का नुकसान। नवनिर्वाचित छह में से मात्र दो चेहरे (डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह और मनोज झा) ही पुराने हैं। दोनों दूसरी बार चुने गए।
दो अप्रैल से उनका कार्यकाल प्रारंभ होगा
शेष चार नए चेहरे हैं। सभी छह वर्ष के लिए निर्वाचित हुए हैं और दो अप्रैल से उनका कार्यकाल प्रारंभ होगा। अखिलेश कांग्रेस से हैं और मनोज राजद (RJD) से। राजद के दूसरे अभ्यर्थी तेजस्वी (Tejashwi Yadav) के सलाहकार रहे डॉ. संजय यादव हैं। अशफाक करीम का पत्ता काट उन्हें अवसर दिया गया है।जदयू से पूर्व मंत्री संजय झा हैं और भाजपा से महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष धर्मशीला गुप्ता के साथ पूर्व मंत्री डा. भीम सिंह। जदयू से बशिष्ठ नारायण सिंह व अनिल हेगड़े का कार्यकाल पूरा हो रहा है, जबकि भाजपा के सुशील कुमार मोदी का। इस वर्ष दो अप्रैल को राज्यसभा में उन सभी का कार्यकाल पूरा हो रहा है।
उच्च सदन में बिहार से भाजपा की सदस्य संख्या पांच
समारोह का आयोजन कर सदन ने पहले ही उन्हें विदाई दे दी है। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा के लिए बिहार से 16 प्रतिनिधि चुने जाते हैं। नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ के बाद उच्च सदन में बिहार से भाजपा की सदस्य संख्या पांच, जदयू की चार, राजद की छह और कांग्रेस की एक होगी।नामांकन के आखिरी दिन तक सातवें प्रत्याशी को लेकर कयासबाजी भी होती रही। हालांकि, उसकी नौबत नहीं बनी। चूंकि ऐसे अवसरों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जोड़-तोड़ के साथ खरीद-फरोख्त के प्रबल विरोधी हैं।
ऐसे में दो धड़ों (राजग और महागठबंधन) में बंट चुकी बिहार की राजनीति में इन छह के अलावा सातवें प्रत्याशी की गुंजाइश ही नहीं बनी। 243 सदस्यीय विधानसभा का पलड़ा अभी राजग की ओर झुका हुआ है। नीतीश सरकार के विश्वास मत के दौरान भी यह स्पष्ट हो चुका है।प्रथम वरीयता के 35 मतों पर जीत का निर्णय होना था और सभी प्रत्याशियों को इतने मत सहजता से मिल जाने वाले थे। ऐसे में मतदान की स्थिति ही नहीं बनी।
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