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कांग्रेस में कद्दावर नेता की वापसी, 5 जिलों में रह चुका है दबदबा, लालू के चलते छोड़ा था 'हाथ' का साथ

Bihar Politics News बिहार के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राम जतन सिन्हा की फिर पार्टी में वापसी हो गई है। वह अब तक दो बार कांग्रेस को छोड़ चुके हैं। यहां तक उन्होंने अपनी पार्टी तक बनाई लेकिन नहीं सफल हुए। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए वह कांग्रेस में वापस आए हैं।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 14 Aug 2024 08:05 PM (IST)
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कांग्रेस में शामिल हुए रामजतन सिन्हा। फोटो साभार- सोशल मीडिया

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके प्रो. रामजतन सिन्हा एक बार फिर पुराने घर में लौट आए हैं। बुधवार को दिल्ली में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इससे पहले भी दो बार कांग्रेस में उनकी पुनर्वापसी हो चुकी है।

इस बार चर्चा है कि पुत्र को विधानसभा चुनाव लड़ाने की कामना में वे कांग्रेस में लौटे हैं। हालांकि, सदस्यता ग्रहण करते समय उन्होंने किसी महत्वाकांक्षा को प्रकट नहीं किया।

प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह की उपस्थिति में कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य सैयद नासिर हुसैन और पवन खेड़ा ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई।

वर्ष 2003 से 2005 के दौरान बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे रामजतन तब मगध के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। जहानाबाद, अरवल, गया, नवादा और पटना में भूमिहार समाज में उनका प्रभाव हुआ करता था। कांग्रेस से आने-जाने के क्रम में उनकी वह जमीन खिसक गई।

एक समय तो उन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली। पहली बार 2005 और दूसरी बार 2012 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ी।

जदयू और लोजपा से हुआ मोह भंग

लोजपा और जदयू के साथ रहे, लेकिन समय के साथ दोनों से मोहभंग हुआ। विधानसभा के पिछले चुनाव में वे राजद में संभावना तलाश रहे थे, लेकिन बात नहीं बनी। अंतत: अखिलेश उन्हें कांग्रेस में वापस ले आए।

जहानाबाद जिला में मखदुमपुर से विधायक रहे रामजतन प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। 2005 के विधानसभा चुनाव में राजद के साथ कांग्रेस का गठबंधन हुआ था। तब रामजतन मखदुमपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे।

राजद सुप्रीमो लालू ने वह सीट छोड़ने से इनकार कर दिया था। कांग्रेस छोड़कर रामजतन लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। वे कांग्रेस में लौटे, लेकिन पहले जैसा भाव नहीं मिला तो दोबारा निकल लिए।

''आज जो सम्मान मिला है, उससे मैं अभिभूत हूं। अखिलेश प्रसाद सिंह की पहल और प्रयास से यह संभव हो सका है। मैं पूरी ईमानदारी से कांग्रेस को मजबूत करने में अपना योगदान दूंगा। कहीं रहकर भी मेरे संबंध कांग्रेस-जनों से बने रहे।'' - रामजतन सिन्हा

''छात्र संघ के चुनाव में लालू प्रसाद को हराकर रामजतन सिन्हा ने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इनके कार्यकाल में कांग्रेस जमीनी स्तर पर मजबूत हुई थी। विधानसभा चुनाव में इनके मार्गदर्शन में संगठन को मजबूती मिलेगी।'' - अखिलेश सिंह

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