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Sanjay Jaiswal Case: भाजपा सांसद संजय जायसवाल को पटना HC से राहत, आपराधिक मामले की कार्रवाई पर लगी रोक

भाजपा सांसद संजय जायसवाल को आपराधिक मामले में पटना हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पटना हाई कोर्ट ने जायसवाल के खिलाफ आपराधिक मामले की कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसी के साथ इस मामले में न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। बता दें कि 18 फरवरी 2017 को जायसवाल के खिलाफ घोड़ासन थाने में FIR दर्ज की गई थी।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 02 Aug 2024 08:04 AM (IST)
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बीजेपी सांसद संजय जायसवाल को हाई कोर्ट से राहत मिली। (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, पटना। भाजपा सांसद संजय जायसवाल को फिलहाल राहत देते हुए उनके विरुद्ध पूर्वी चंपारण जिला की निचली अदालत में चल रहे आपराधिक मामले की कार्रवाई पर पटना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है।

न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

संजय जायसवाल के अधिवक्ता ने क्या बताया

संजय जायसवाल के वरीय अधिवक्ता एसडी संजय ने कोर्ट को बताया कि विधान परिषद स्नातक क्षेत्र के चुनाव के दौरान निर्मित सड़क का उद्घाटन किए जाने को लेकर अंचल अधिकारी ने घोड़ासहन थाना में 18 फरवरी, 2017 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

उनका कहना था कि चुनाव के पहले सड़क बन कर तैयार थी, लेकिन सिर्फ औपचारिक उद्घाटन किया गया। कोर्ट ने आपराधिक मामले की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।

हाई कोर्ट ने कैमूर DM पर जताई नाराजगी

पटना हाई कोर्ट ने एक पंचायत प्रखंड समिति के 11 सदस्यों को राहत देते हुए इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) किस प्रकार हाई कोर्ट के आदेश और राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों के विपरीत आदेश पारित कर रहे हैं।

न्यायाधीश राजीव रॉय की एकलपीठ ने रिंकू देवी एवं अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए कैमूर के डीएम के उस आदेश को रद कर दिया, जिसमें जिला निर्वाचन अधिकारी की हैसियत से चैनपुर प्रखंड प्रमुख के विरुद्ध पारित अविश्वास प्रस्ताव को अवैध करार दिया गया था।

'जिला मजिस्ट्रेट कैसे आदेश दे सकते हैं'

उन्होंने एक दशक पुराने पत्र का हवाला दिया था, जो हाई कोर्ट के पहले के निर्णयों के कारण पहले ही अपनी वैधता खो चुका था। कोर्ट ने 13 पृष्ठों के आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा, "यह अदालत आश्चर्यचकित है कि जिलों का नेतृत्व करने वाले जिला मजिस्ट्रेट कैसे आदेश पारित कर रहे हैं"।

वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि कैमूर डीएम ने अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए गए प्रमुख के हित में आदेश पारित किया है। डीएम ने अपने निर्णय के पीछे एक दलील दी थी कि प्रमुख को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव को संबंधित प्रखंड स्तरीय पंचायत समिति के कुल सदस्यों के 50 प्रतिशत से अधिक सदस्यों द्वारा पारित किया जाना चाहिए, जबकि हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में पारित न्याय निर्णयों में यह वैधता खो बैठा है।

राज्य चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता रवि रंजन ने बताया कि कैमूर डीएम ने एक दशक पुराने सरकारी निर्देशों का सहारा लिया, जिसे पंचायती राज विभाग ने पहले ही अनुपयुक्त घोषित कर दिया है।

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