PM Modi के पार्टनर्स में मनमुटाव! आरक्षण पर चिराग और मांझी का स्टैंड अलग, JDU ने निकाला बीच का रास्ता
आरक्षण के मुद्दे पर राजग के घटक दल आपस में टकराते हुए नजर आ रहे हैं। उप वर्गीकरण में जीतन राम मांझी चिराग पासवान की राय से सहमत नहीं हैं। चिराग को सर्वोच्च न्यायालय की ओर से राज्यों को दिए गए अनुसूचित जातियों के उप वर्गीकरण के अधिकार पर आपत्ति है। वहीं जीतन राम मांझी ने क्रीमी लेयर को लागू न करने के फैसले का खुल कर विरोध नहीं किया।
राज्य ब्यूरो, पटना। लेटरल एंट्री का विवाद भले ही अभी सुलझ गया हो, लेकिन बिहार में अनुसूचित जाति आरक्षण के मुद्दे पर राजग के दो घटक दलों का टकराव समाप्त नहीं हो रहा है। यह टकराव लोजपा (रा) और हम (हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा) के बीच अधिक है। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू बीच का रास्ता निकाल रही है।
भाजपा के पास इस विषय पर बोलने के लिए अधिक कुछ नहीं है, क्योंकि केंद्र की सरकार उसकी अगुआई में चल रही है और प्रश्न उसके ही निर्णयों पर उठ रहा है। क्रीमी लेयर और अनुसूचित जातियों के उप वर्गीकरण के मुद्दे पर लोजपा (रा) और हम आमने सामने हैं।
लेटरल एंट्री का चिराग ने किया विरोध
लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के माध्यम से सरकारी सेवाओं में बिना आरक्षण के लेटरल एंट्री का सोमवार को विरोध किया था। मंगलवार को उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात भी हुई। केंद्र से इसे रोक दिया। चिराग और उनके लोग खुश हैं।इससे पहले, चिराग ने सर्वोच्च न्यायालय की क्रीमी लेयर के बारे में की गई टिप्पणी को अस्वीकार करने की केंद्र सरकार के निर्णय की सराहना की थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की ओर से राज्यों को दिए गए अनुसूचित जातियों के उप वर्गीकरण के अधिकार पर उन्हें आपत्ति है।
क्या है मांझी का स्टैंड?
चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेगी। केंद्रीय कैबनेट की बैठक में मंत्री जीतन राम मांझी ने क्रीमी लेयर को लागू न करने के फैसले का खुल कर विरोध नहीं किया, लेकिन कहा कि सरकारी नौकरियों में पिछड़ गए अनुसूचित जातियों के उत्थान के लिए विशेष प्रयास करना चाहिए।उप वर्गीकरण पर मांझी की चुप्पी
मांझी इधर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उप वर्गीकरण पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। उन्होंने उप वर्गीकरण का स्वागत किया था। चिराग ने इसका विरोध किया तो मांझी बोले- वे (चिराग) स्वार्थी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में 2007 में अनुसूचित जातियों का उप वर्गीकरण कर दिया था। दलितों की 18 जातियों को उन्होंने महादलित का दर्जा दिया, लेकिन राजनीतिक कारणों से बाद में बची हुई चार जातियों को भी महादलित में शामिल कर लिया गया।
जदयू के नेता उप वर्गीकरण का श्रेय नीतीश कुमार को देते हैं, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय से मिले नए आधार पर उप वर्गीकरण की वकालत नहीं कर पा रहे हैं।ये भी पढ़ें- Chirag Paswan: 'मैंने खुद प्रधानमंत्री मोदी से बात की', UPSC में लेटरल एंट्री के मुद्दे पर बोले चिराग पासवान
ये भी पढ़ें- 'वंचितों को सचिवालय की जगह शौचालय में बैठाना चाहती हैं मोदी सरकार', लेटरल एंट्री पर भड़के तेजस्वी; NDA नेताओं को भी लपेटा
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।