बिहार में सूख रहे नदी-तालाब, होने लगी पानी की किल्लत, मंत्रीजी बोले- सबकुछ नॉर्मल...
बिहार में पड़ रही अप्रत्याशित गर्मी का असर कृषि व जन-जीवन पर पडऩे लगा है। भूजल-स्तर नीचे जाने से कई इलाकों में पेयजल का संकट खड़ा हो गया है। तकनीकी दलीलों के आधार पर बिहार सरकार राज्य में सूूखे की स्थिति मानने से इंकार कर रही है।
जहानाबाद के काको प्रखंड के दर्जनों गांवों में पेयजल संकट गहरा गया है। काजी दौलतपुर गांव के दो सौ से अधिक घरों के लोग पानी के लिए सुबह होते ही हैंडपंपों पर घंटों लाइन लगाकर बाल्टी भर पानी का जुगाड़ कर रहे हैं। गांव के अधिकांश सरकारी चापाकल अप्रैल में ही सूख गए हैं।
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बांका की धौरी पंचायत के चौरा गांव में हर सुबह महिलाएं पानी के लिए निकलती हैं। वे सिर पर जितना हो सकता है, पानी लाती हैं। इससे घर में पूरे दिन काम होता है। पहाड़ी व जंगली इलाके में चापानल लगवाना आम लोगों के वश में नहीं और जो सरकारी चापानल हैं, वे सूख गए हैं।
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मधुबनी जिले में किसान बारिश नहीं होने से परेशान हैं। गरमा फसल के प्रभावित होने की आशंका बन गई है। जिले में कृषि योग्य करीब आधी भूमि असिंचित है। तकरीबन साढ़े चार लाख किसान परिवार नदियों के सूख जाने व राजकीय नलकूपों के ध्वस्त रहने से खेतों में सिंचाई को लेकर परेशान हैं।
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पटना [अमित आलोक]। बिहार में पड़ रही अप्रत्याशित गर्मी का असर कृषि व जन-जीवन पर पडऩे लगा है। भूजल-स्तर नीचे जाने से कई इलाकों में पेयजल का संकट खड़ा हो गया है तो मौसमी फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। तकनीकी दलीलों के आधार पर बिहार सरकार भले ही राज्य में सूूखा की स्थिति नहीं माने, लेकिन जो झेल रहे, वे परेशान हैं।
पछुआ हवाओं का खेतों पर भी असर
बिहार में गर्मी की शुरूआत में ही लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी पटना समेत वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, जहानाबाद, भोजपुर, बक्सर, औरंगाबाद, गया और नवादा के इलाकों में हीट वेब चलने से वातावरण की नमी जाती रही। गर्म पछुआ हवाओं का असर खेतों पर भी दिखा। खेतों में दरारें पड़ रही हैं। सोमवार को सूबे के कुछ भागों में आए आंधी-तूफान व बारिश के बाद गर्मी फिर चढ़ती दिख रही है। बारिश के कोई आसार नजर नही आ रहे हैं।
जल-स्तर गिरा, नदियां सूखीं
गर्मी का असर सीधे तौर पर जल-स्तर पर पड़ा है। मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित व वॉटरमैन (जल पुरुष) के उपनाम से प्रसिद्ध राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि बिहार में 15 जिलों का भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है।
फल्गु में तर्पण के लिए भी पानी नहीं
सूबे में सर्वाधिक गर्म गया में फल्गु नदी सूख चुकी है। स्थानीय लोगों ने तर्पण के लिए फल्गु नदी में 20 फीट गहरे पांच कूप खोदे, जिनमें चार सूख गए हैं। गया से ड़ुमरिया के बीच आधा दर्जन से अधिक पहाड़ी नदियां सूख गई हैं। नदी की तलहटी से बालू हटाकर पानी निकाला जा रहा है। सबसे भयावह स्थिति है पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझा व बिहार विस के स्पीकर रहे उदय नारायण चौधरी के इलाके इमामगंज-डुमरिया की।
गया में टैंकर से पानी की सप्लाई
गया के जिलाधिकारी कुमार रवि मानते हैं कि जल-स्तर लगातार गिर रहा है। वे कहते हैं कि ग्रामीण इलाकों में जल संकट है। फतेहपुर पहाड़पुर में टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही है।
जवाब दे रहे सिंचाई के बोरिंग
समस्तीपुर जिला के सभी 20 प्रखंडों में कमोबेश सूखे की स्थिति है। 1100 सरकारी सैरात सहित सभी निजी ताल-तलैया भी सूखे हैं। भूमिगत का जल का लेयर सामान्य से नीचे खिसकता जा रहा है। कई प्रखंडों में जल-स्तर औसत से नीचे चला गया है। सिंचाई के लिए गाड़े गए बोरिंग पंप भी जवाब देने लगे है। हालांकि, जिला कृषि पदाधिकारी डॉ. रविंद्र प्रसाद सिंह ने इसे सूखे की स्थिति नहीं मानते हैं।
गरमा फसल के प्रभावित होने की आशंका
मधुबनी जिले में गरमा फसल के प्रभावित होने की आशंका बन गई है। मधुबनी जिले में करीब 2.25 लाख हेक्टयर कृषि भूमि में तकरीबन 1.27 लाख हेक्टेयर भूमि असिंचित है। यहां तकरीबन साढ़े चार लाख किसान परिवार नदियों के सूख जाने व राजकीय नलकूपों के ध्वस्त रहने से खेतों में सिंचाई को लेकर परेशान हैं। हालांकि, यहां भी जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमन को सूखा नजर नहीं आ रहा।
मत्स्य उत्पादन पर पड़ा असर
खगडिय़ा में भी गर्मी से बेलदौर नहर सूख गई है। ताल-तलैया सूख रहे हैं। गर्मी का खेती व मछली उत्पादन पर असर पडऩे की आशंका है।
मंत्री बोले, कहीं कोई संकट नहीं
सूबे के पीएचईडी मंत्री कृष्णनंदन वर्मा नहीं मानते कि राज्य में सूखा है। वे कहते हैं कि दो-तीन सालों में औसत से कम बारिश जरूर हुई है, लेकिन सूखे की स्थिति नहीं है। वे कहते हैं कि राज्य में कहीं भी जल-स्तर खतरे के निशान से नीचे नहीं गया है। उनके अनुसार कहीं भी पेयजल का संकट नहीं है।
सरकार नहीं मानती, बिहार में है सूखा
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में भी अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यहां सूखा नहीं है। यह अलग बात है कि कोर्ट ने इसपर अपनी आपत्ति दर्ज की है।
सुप्रीम कोर्ट में भी कहा, नहीं है सूखा
विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट 'स्वराज अभियान' की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कहा गया है कि देश के कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उड़ीसा, यूपी, एमपी, झारखंड, बिहार, हरियाणा और गुजरात राज्य भीषण सूखे की चपेट में हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि इन राज्यों में सूखे से निजात दिलाने के लिए राज्यों के साथ केंद्र सरकार को भी उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया जाना चाहिए। इसपर अपने जवाब में बिहार सरकार ने कहा है कि बिहार में न तो सूखा है और न ही सूखे के हालात हैं।
राज्य की दलील से सहमत नहीं कोर्ट
बिहार सरकार के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने खरी-खरी सुनाई कि जब कम बारिश से किसान जूझ रहे हैं तो सही तथ्य पेश क्यों नहीं किए जा रहे? उसने पूछा कि राज्य खुद को सूखाग्रस्त क्यों नहीं घोषित कर रहा? कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पीने का पानी, पशु, फसल से लेकर कई अहम मुद्दे हैं।
अब ऊपर वाले से उम्मीद
बहरहाल, आज जनता को अब ऊपर वाले से ही उम्मीद बची है। मौसम विभाग की बात करें तो उसने इस साल भरपूर बारिश का अनुमान जताया है। उसके अनुसार इस बार बिहार में 106 फीसद तक बारिश होगी। इसके बाद ही हालात सामान्य होने की उम्मीद है।