Sunil Kumar Singh: 'नीतीश कुमार की मिमिक्री करना पड़ा भारी', सुनिल सिंह विधान परिषद से हो सकते हैं आउट
Bihar Politics बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करना राजद के एमएलसी सुनील कुमार को भारी पड़ रहा है। एमएलसी सुनील कुमार सिंह की सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है। समिति ने उनके खिलाफ रिपोर्ट तैयार कर दी है और शुक्रवार को इसकी घोषणा भी हो जाएगी। समिति ने कहा है कि डॉ. सुनील कुमार सिंह ने सदन के सदस्य बने रहने की पात्रता खो दी है।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics News Hindi: विधान परिषद के उपसभापति एवं आचार समिति के अध्यक्ष रामवचन राय ने गुरुवार को सदन पटल पर राजद के मुख्य सचेतक डा. सुनील कुमार सिंह की सदस्यता समाप्त करने का प्रतिवेदन रख दिया। आचार समिति ने सुनील की सदस्यता समाप्त करने की अनुशंसा की है। इसके साथ ही यह साफ हो गया कि सुनिल की सदस्यता पर तलवार लटक गई है।
अब शुक्रवार को सदन में सभापति अवधेश नारायण सिंह द्वारा सुनील सिंह की सदस्यता समाप्त करने की घोषणा औपचारिकता मात्र रह गई है। इससे पहले सदन पटल पर राय द्वारा प्रतिवेदन रखे जाने की सूचना पर नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी ने विस्तृत जानकारी सभापति उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
इस पर सभापति ने कहा कि आपको प्रतिवेदन की प्रति उपलब्ध करा दी जाएगी। वहीं, इसी मामले में दूसरे विधान पार्षद डा. कारी सोहेब को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। दोनों सदस्यों को लेकर की गई अलग अलग अनुशंसा में समिति ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।
मुख्यमंत्री के अपमान का है आरोप
सुनील पर सदन में बजट सत्र के दौरान के मुख्यमंत्री का मिमिक्री कर मजाक उड़ाने के मामले में यह कार्रवाई की गई। यह प्रकरण 13 फरवरी को बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सदन में अशोभनीय व्यवहार से जुड़ा हुआ था। जिसमें भीष्म साहनी की मांग पर जांच समिति बनाई गई थी। इसके जांच समिति ने वीडियो की जांच के बाद आरोपों को सत्य पाया था।
समिति ने रिपोर्ट में बताया कि घटना-क्रम के आरोपित दोनों सदस्यों के कृत्य और उसके घनत्व का आकलन किया जाए मो. सोहैब के मुकाबले डा. सुनिल कुमार सिंह का कृत्य अधिक एक गंभीर है। वे बिहार विधान परिषद में पदधारक सदस्य हैं।
मुख्य सचेतक होने के बाद गरिमा को पहुंचाया आघात
समिति ने बताया है कि विपक्ष के मुख्य सचेतक के नाते डा. सुनील कुमार सिंह विधायी जिम्मेदारी नीतियों, नियमों और सदन के संवैधानिक प्राधिकार के प्रति अधिक होनी चाहिए। किंतु अपने आचार और व्यवहार में इन्होंने इसका पालन नहीं किया। सदन के वेल में आकर असंयमित नारेबाजी करने, सदन को बाधित करने, आसन के निर्देश की अवमानना करने, सदन-नेता के प्रति मानहानि-कारक अशिष्ट शब्दों का प्रयोग कर उन्हें अपमानित करने के इनके प्रयास से उच्च सदन की गरिमा को आघात पहुंचा है।
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