Move to Jagran APP

रूठते-मनाते 25 सालों से चल रहा RJD-कांग्रेस का साथ, कभी बनी तो कभी बिगड़ी बात; ऐसा रहा उतार-चढ़ाव भरा अब तक का सफर

Bihar Politics राजनीतिक दलों में प्रतिद्वंदिता के किस्‍से तो आम हैं लेकिन इनके बीच दोस्‍ती के भी अलग मायने होते हैं। आमतौर पर यह दोस्‍ती फायदे-नुकसान को देखते हुए होती है तो कई बार चुनावी मजबूरियां भी होती हैं। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और राष्ट्रीय कांग्रेस की दोस्ती भी ऐसी ही दोस्ती है। रूठते-मनाते इनका रिश्‍ता 25 सालों से चल रहा है।

By Sunil Raj Edited By: Arijita Sen Updated: Mon, 08 Apr 2024 01:14 PM (IST)
Hero Image
लालू प्रसाद यादव और राहुल गांधी की फाइल फोटो।
सुनील राज, पटना। राजनीतिक दलों में दोस्ती के अपने ही मायने-मतलब होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह दोस्ती फायदे-नुकसान को तौल लेने के बाद ही होती है। कई बार चुनावी मजबूरियां भी दोस्ती के लिए मजबूर कर देती हैं। इससे फायदा तो जरूर होता है, लेकिन फायदा हर बार हो यह जरूरी नहीं।

25 सालों से चल रहा रूठने-मनाने का सिलसिला

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और राष्ट्रीय कांग्रेस की दोस्ती भी ऐसी ही दोस्ती है। दोनों दल अपने राजनीति में अपने नफे के लिए बीते 25 सालों से साथ चल रहे हैं। इन 25 वर्षो में इन दोनों दलों ने अब पांच लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़े।

तीन बार विधानसभा चुनाव साथ लड़े, मगर चुनावों में विशेषकर लोकसभा चुनाव में बहुत फायदा नहीं मिला। हालांकि बीते 25 सालों में चार चुनाव में दोनों दल मामूली बात पर अलग भी हुए। लेकिन, इसके बाद भी आशा के अनुरूप सफलता नहीं प्राप्त कर पाए।

इस बार भी साथ-साथ चुनावी मैदान में दोनों दल

इस बार दोनों दल एक बार फिर साथ-साथ चुनाव मैदान में हैं। काफी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस राजद से नौ सीटें प्राप्त करने में सफल रही है। कांग्रेस के मुकाबले राजद 23 सीटों पर मैदान में है।

इन दो दलों की दोस्ती की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं। 1989 भागलपुर दंगों के बाद कांग्रेस, राजद के मुस्लिम कार्ड में ऐसी फंसी की 1990 का चुनाव वह बुरी तरह हारी। बिहार की सत्ता में कांग्रेस का दौर यहां से समाप्त हुआ और लालू प्रसाद का दौर शुरू हो गया।

1998 में कांग्रेस ने राजद की तरफ बढ़ाया दोस्‍ती का हाथ

1995 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस बुरी तरह पराजित रही। एकीकृत बिहार (तब झारखंड बिहार का हिस्सा था) की 324 सीटों पर कांग्रेस ने किस्मत आजमाई, परंतु जीत उसे 29 सीटों पर ही मिली। जबकि राजद ने 167 सीटें जीती। कांग्रेस ने भांप लिया था कि बिहार में उसका दौर समाप्त हो चुका है।

लिहाजा 1998 में उसने राजद की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और दोनों दलों ने पहली बार 1998 में मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा। लोकसभा की 54 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने आठ सीटों पर लड़कर चार पर जीत हासिल की। राजद 17 सीटें जीतने में सफल रहा।

अगले ही साल फिर लोकसभा चुनाव की नौबत आ गई और इस बार कांग्रेस ने दो और राजद ने सात लोकसभा सीटों पर जीत प्राप्त की। 2000 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीते दो चुनाव में हुए घाटे को देखते हुए अकेले चुनाव लड़ा।

विधानसभा के उन चुनावों में कांग्रेस के खाते में 23 जीत आई तो राजद के खाते में 124 जीत। परंतु बहुमत के आंकड़े से राजद दूर रहा। लिहाजा नीतीश कुमार सात दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने। लेकिन, नीतीश कुमार को हटाने के लिए कांग्रेस राजद के साथ वापस आ गई और राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बन गई।

2009 में कांग्रेस ने अकेले लड़ा चुनाव

इसके बाद 2004 का लोकसभा चुनाव दोनों दल साथ लड़े। 2005 के विधानसभा में भी कांग्रेस-राजद साथ ही रहे। परंतु 2009 का चुनाव कांग्रेस ने फिर अकेले लड़ा। इस चुनाव राजद से बेहतर प्रदर्शन कांग्रेस का रहा। कांग्रेस ने लोकसभा की चार सीटें जीती तो राजद ने दो।

2010 विधानसभा चुनाव भी दोनों दल अलग लड़े। इस चुनाव में कांग्रेस चार और राजद 22 सीटों पर सिमट गया। 2014 में दोनों दल लोकसभा चुनाव में साथ उतरे। परंतु मोदी लहर में कांग्रेस दो और राजद चार सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाया। 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस मोदी लहर के खिलाफ मैदान में उतरे। इस बार राजद ने 80 कांग्रेस ने 27 सीटें जीती।

क्‍या आगे भी कायम रहेगी दोनों की दोस्‍ती?

चार साल बाद 19 के लोकसभा चुनाव में राजद मोदी लहर में पूरी तरह साफ हो गया, लेकिन कांग्रेस ने एक सीट पर अवश्य जीत दर्ज की।

2020 के विधानसभा में भी दोनों दल साथ रहे, लेकिन राजद 75 सीट जीतकर जहां बिहार का सबसे बड़ा दल बना वहीं कांग्रेस ने सिर्फ 19 सीटों पर जीत दर्ज की।

अब लोकसभा चुनाव में दोनों दल फिर साथ-साथ किस्मत आजमाने उतर रहे हैं। चुनाव के परिणाम फैसला देंगे कि दोनों दलों की दोस्ती आगे भी कायम रहेगी या फिर ये अलग-अलग चलेंगे।

ये भी पढ़ें: 

'400 पार का क्या मतलब?' तेजस्वी ने बताया BJP-NDA को मिलेंगी कितनी सीटें, नए बयान से घमासान तय

Bihar Politics: अब क्या करेगी RJD? ओवैसी ने इन 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का किया एलान, पढ़ें पूरी लिस्ट

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।