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Bihar Politics : NDA को भी पता है RJD का 'प्लान-बी', विधानसभा में नीतीश सरकार से दो-दो हाथ की तैयारी

नीतीश कुमार की अगुआई में बनी नई एनडीए सरकार को महागठबंधन हर तरह से तोड़ने की कोशिश में जुटा है। दिलचस्प यह है कि महागठबंधन की रणनीति की भनक एनडीए को भी है। वह बचाव की तैयारी में है। यही कारण है कि शपथ लेने के दिन ही तय होने वाली विश्वास मत की तिथि को लेकर दुविधा बनी हुई है। इसके कारण मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो रहा है।

By Arun Ashesh Edited By: Mukul KumarUpdated: Tue, 30 Jan 2024 12:31 PM (IST)
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राजद सुप्रीमो लालू यादव और तेजस्वी यादव। फोटो- जागरण
राज्य ब्यूरो, पटना। महागठबंधन के रणनीतिकार अब इस प्रयास में जुट गए हैं कि नीतीश कुमार की नई सरकार से विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के समय ही दो-दो हाथ कर लिया जाए। वह नीतीश को विश्वास मत हासिल करने से रोकने की रणनीति पर काम कर रहा है।

रणनीति की सफलता के लिए एनडीए के दर्जन से अधिक विधायकों का पाला बदल जरूरी है। एनडीए को भी इसकी भनक है। यही कारण है कि शपथ लेने के दिन ही तय होने वाली विश्वास मत की तिथि को लेकर दुविधा बनी हुई है। इसके कारण मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो रहा है। एनडीए जवाबी तैयारी भी कर रहा है।

बहुमत के लिए 122 सदस्यों का समर्थन चाहिए

उम्मीद लोकसभा चुनाव के टिकट पर टिकी है। दोनों गठबंधन के डेढ़ दर्जन से अधिक विधायक लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। ऐसे विधायकों को यह प्रस्ताव दिया जा रहा है कि वह एक हाथ से विधानसभा की सदस्यता छोड़ें, दूसरे हाथ से लोस चुनाव का टिकट पकड़ लें। यह हो जाए तो सदन का आकार छोटा हो जाएगा।

243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सदस्यों का समर्थन चाहिए। नीतीश सरकार को एनडीए के 127 के अलावा एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है। उधर महागठबंधन के पांच दलों-राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा और माकपा के विधायकों की संख्या 114 है।

एआइएमआइएम के इकलौते विधायक भी विश्वास मत के विरोध में वोट देंगे। तब विपक्षी सदस्यों की संख्या 115 हो जाएगी। महागठबंधन का आंकलन है कि एनडीए के 15 विधायक अगर मन बदलते हैं तो नीतीश सरकार को परास्त करना संभव हो जाएगा।

एनडीए भी है सतर्क

तैयारी इकतरफा नहीं है। एनडीए के संकट मोचक भी महागठबंधन के विधायकों पर नजर रखे हुए हैं। आसान शिकार कांग्रेस के विधायकों को माना जा रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस के कुछ विधायकों को जदयू से जोड़ने की चर्चा चल रही है।

यह चर्चा इन दिनों थोड़ी तेज हो गई है। 19 सदस्यीय कांग्रेस विधायक दल में विभाजन के लिए 14 का एकसाथ अलग होना जरूरी है। अब तक यही बताया जा रहा है कि 14 की संख्या में कुछ कमी है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा इस प्रयास को शरारत कह रहे हैं। उनके अनुसार पार्टी के विधायक एकजुट हैं। विश्वास प्रस्ताव के विरूद्ध मतदान करेंगे।

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