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I.N.D.I.A और NDA के लिए क्यों जरूरी है रुपौली की जीत? इधर नीतीश ने धुरंधरों को उतारा, उधर RJD ने अपनाई अलग रणनीति

रुपौली में 10 जुलाई को उपचुनाव है। राजद ने इस सीट से बीमा भारती पर भरोसा जताया है। वहीं जदयू ने कलाधर मंडल को टिकट दिया है। बता दें कि बीमा भारती ने 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर जीत दर्ज की थी लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान राजद से टिकट के लिए उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था।

By Arun Ashesh Edited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 08 Jul 2024 06:14 PM (IST)
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महागठबंधन और राजग की रुपौली पर टिकी नजर

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics News Hindi सरकार को गिराने या बचाए रखने के लिए अगर एक विधायक जरूरी न हो तो विधानसभा के किसी एक क्षेत्र के उप चुनाव को अधिक महत्व नहीं दिया जाता है। पूर्णिया जिला के रुपौली में 10 जुलाई को हो रहे उप चुनाव के परिणाम से भी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

इस क्षेत्र के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की एक भविष्यवाणी भी जुड़ गई है। इसलिए यह उप चुनाव राजग (NDA) और महागठबंधन के लिए महत्वपूर्ण हो गया है।

भविष्यवाणी यह कि जदयू (JDU) से अलग होने के बाद बीमा भारती (Bima Bharti) विधानसभा का चुनाव नहीं जीत सकती हैं।

बीमा रुपौली से पांच बार विधायक रही हैं। पहली जीत 2000 में निर्दलीय हुई थी। 2005 के फरवरी वाले चुनाव में लोजपा के शंकर सिंह के सामने पराजित हो गईं।

उसी साल अक्टूबर में हुए चुनाव में वह राजद के टिकट पर जीत गईंं। 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू टिकट पर जीतीं।

इस साल 12 फरवरी को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा में विश्वासमत हासिल कर रहे थे, बीमा नई रूप में सामने आईं।

उनकी पहचान जदयू-भाजपा के उन दर्जन भर विधायकों के रूप में की गई थी, जिन पर आरोप था कि राजद ने विश्वास मत के विरूद्ध मतदान के लिए राजी कर लिया था।

विश्वासत मत हासिल करने के बाद जदयू ने बागी के रूप में पहचान किए गए विधायकों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की। फिर भी बीमा का झुकाव राजद की ओर ही रहा।

वह विस की सदस्यता से त्यागपत्र देकर राजद टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ी। पूरे क्षेत्र में तीसरे नंबर पर रहीं और रुपौली विधानसभा क्षेत्र में भी उन्हें यही दर्जा मिला।

जीत के लिए क्या हो रहा

जदयू ने कलाधर मंडल को उम्मीदवार बनाया है। ये 2020 में निर्दलीय लड़े थे। 62 सौ वोट के साथ चौथे नंबर पर रहे थे। वह बीमा भारती के सजातीय गंगोता जाति के हैं। उनकी जीत के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभा की।

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह, जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi), चिराग पासवान, जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, राज्य सरकार के मंत्री डॉ. अशोक चौधरी, लेसी सिंह, मदन सहनी सहित कई मंत्रियों ने मंडल के पक्ष में प्रचार किया।

जदयू के लिए यह जीत अपने समर्थकों का मनोबल बढ़ाने के लिए जरूरी है। बीमा और कलाधर दोनों अति पिछड़ी गंगोता जाति के हैं। अति पिछड़ों पर जदयू अपना एकाधिकार मानता है।

लोकसभा चुनाव का नया समीकरण

राजद (RJD) का दावा है कि लोकसभा चुनाव में उसे कई नए सामाजिक समूहों का अतिरिक्त सहयोग मिला। इसमें कुशवाहा और वैश्य जातियों का सहयोग खास है। इसके अलावा अति पिछड़ी जातियां भी उसके पक्ष में गोलबंद हुईं।

राजद अगर जीतता है तो उसका यह दावा मजबूत होगा कि माय समीकरण से अधिक बड़ा सामाजिक आधार उसे मिलने जा रहा है। रुपौली की जीत से वह अगले विधानसभा चुनाव में अपनी संभावना को और करीब से देख सकता है।

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