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Rupauli Upchunav Result: रुपौली में क्यों हारी JDU? यह बड़ी वजह आई सामने; शंकर सिंह के पक्ष में रही ये बात

Bihar Politics बिहार की हाईप्रोफाइल सीट रुपौली विधानसभा के उपचुनाव का परिणाम सामने आ गया है। इस सीट के परिणाम ने सभी लोगों को चौंका कर रख दिया। इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारकर सभी को हैरान कर दिया। वहीं बीमा भारती और जेडीयू उम्मीदवार चारों खाने चित हो गए। जेडीयू के कलाधर मंडल की हार की वजह भी धीरे-धीरे सामने आ रही है।

By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sat, 13 Jul 2024 05:37 PM (IST)
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नीतीश कुमार और रुपौली से हारने वाले उम्मीदवार कलाधर मंडल (जागरण)
राज्य ब्यूराे, पटना। Rupauli By Election Result: रुपौली उपचुनाव में जदयू की संभावित हार को लेकर पार्टी के अंदर चुनाव के समय से ही सुगबुगाहट चल रही थी। यह बात भी खूब चली कि निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह को जदयू के बड़े नेताओं ने टिकट के लिए आश्वस्त किया था।

इस क्रम में उनकी मुलाकात भी जदयू के कई बड़े नेताओं से हुई थी। अचानक जब जदयू ने कलाधर मंडल (Kaladhar Mandal) को रुपौली उप चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी बना दिया तो शंकर सिंह (Shankar Singh) निर्दलीय के रूप में मैदान में आ गए। तब नए सिरे से यह चर्चा आरंभ हो गई कि जीत के बाद शंकर सिंह जदयू के साथ चले जाएंगे।

जदयू नेताओं ने रूपौली के लिए कैंप तो जरूर किया लेकिन...

जदयू की रूपौली में हार काे लेकर यह कहा जा रहा कि पार्टी के अंदर का मैनेजमेंट बहुत कारगर नहीं रहा। पटना से पहुंचे पार्टी के नेताओं ने वहां कैंप भी किया पर उनके बीच इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति रही कि उन्हें क्या करना है? प्रबंधन पूरी तरह से बिखरा हुआ था। जो बड़े नेता वहां चुनाव संभालने गए थे उनकी बात भी नहीं सुनी गई। सलाह लागू नहीं हो पाया। बीमा भारती को हराने का लक्ष्य आगे था।

आधार वोटराें में भी नाराजगी की खबर सामने आई थी

जदयू के जो नेता रूपौली चुनाव के लिए वहां सक्रिय थे उनका कहना है कि पार्टी के कोर वोटरों में भी नाराजगी की बात दिख रही थी। पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं को जदयू का प्रत्याशी हजम नहीं हो पा रहा था। अति पिछड़ा वोट बैंक में धानुक समाज के लोगाें की भी नाराजगी सामने आ रही थी। अल्पसंख्यक समाज के वोटरों ने भी बहुत दिलचस्पी नहीं दिखाई।

 शंकर सिंह की सक्रियता का भी असर दिखा 

स्थानीय स्तर पर शंकर सिंह की सक्रियता सभी समाज के लोगों के बीच कई वर्षों से दिख रही थी। उनकी यह सक्रियता का भी असर दिखा कि गोलबंदी उनके पक्ष में रही।

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