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पटना में दरिंदों के निशाने पर बच्चियां, तीन दिन में दो घटनाएं; क्‍या अब लड़कियों को बाहर खेलने-कूदने तक की आजादी नहीं?

पटना में बच्चियां खौफ के साये में जी रही हैं। बीते तीन दिनों में बच्चियों के साथ दरिंदगी की तीन घटनाएं हुई हैं। सबसे बड़ी बात है कि आवारागर्दी करने वालों में पुलिस का भय नहीं है इसलिए बच्चियों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा। फुलवारी शरीफ में कुछ महीने पहले एक ऐसी घटना के चलते डर के मारे बच्चियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था ।

By Ashish Shukla Edited By: Arijita Sen Updated: Thu, 11 Jan 2024 02:50 PM (IST)
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पटना में बच्चियों के साथ घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
आशीष शुक्ला, पटना। बच्चियां खेलने-कूदने तक को स्वतंत्र नहीं? वे घर की दीवारों में कैद हो जाएं? वहां भी सुरक्षित नहीं। फुलवारी शरीफ में हुई वीभत्स घटना किसी भी सभ्य समाज को शर्मिंदा कर दे, जहां आठ-नौ वर्ष की बच्चियों के साथ अनहोनी हुई हो। दो दिन पूर्व दोनों लापता हो गईं। मंगलवार की सुबह एक का शव मिला, दूसरे की हालत गंभीर। स्वजन ने सामूहिक दुष्कर्म की प्राथमिकी की है। हालांकि अभी मेडिकल रिपोर्ट नहीं आई है, लेकिन इनके साथ ऐसी दरिंदगी करने वाले कौन थे?

बच्चियों की सुरक्षा बनता जा रहा गंभीर मुद्दा

इस घटना के 24 घंटे बाद ही राजीव नगर क्षेत्र में छह वर्ष की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना हुई। आरोपित पकड़ा गया है, पर बच्चियां सुरक्षित कैसे रहें, यह एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। दोषियों को सजा भी दिलाई गई है, पर ऐसी घटनाएं क्यों।

शासन-प्रशासन को समाज के साथ मिलकर पहल करनी होगी, ताकि ऐसी दरिंदगी करने वालों के मन में भय हो। वह भय खत्म होता जा रहा है। फुलवारी शरीफ में ही कुछ महीने पहले यह मामला आया था, जहां आवारागर्दी करने वालों के भय से बच्चियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था।

एक और बड़ा कारण है नशे की लत। इसमें ऐसे भी हैं, जो नशे की चपेट में हैं और इस तरह की दरिंदगी करने में तनिक भी भय नहीं खाते। समाज में नशे के जहर के साथ सामाजिक वातावरण को दूषित करने का प्रयास चल रहा है।

अब जरा आंकड़ों को भी देख लें

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022 में राज्य में दुष्कर्म के 811 मामले अंकित किए गए। यह तो वह है, जो रिकार्ड में आ गया, अन्यथा कई मामलों में तो सामाजिक दबाव और दबंगई के कारण पता तक नहीं चलता। 17 मामले दुष्कर्म के प्रयास के थे।

हालांकि, पाॅक्सो एक्ट में पुलिस ने आरोपितों को सजा भी दिलाई है। वर्ष 2023 में फरवरी में दुष्कर्म के 62 और पाक्सो में 61 मामलों में दोष सिद्ध करते हुए सजा दिलाई गई। इनमें कुछ को आजीवन कारावास तो फांसी की सजा भी मिली।

मई में पाॅक्सो के 74 कांडों में 92 अभियुक्तों को दोष सिद्ध किया गया। इसके साथ ही दुष्कर्म के 11 मामलों में 12 दोषियों को सजा दिलाई गई। इस तरह के अपराध में बच्चियों को आसानी से निशाना बनाया जा रहा है। पांच दिन पूर्व की ही घटना है।

राजधानी के नेहरू पथ स्थित एक स्कूल में पिता के दोस्त ने ही एलकेजी की छात्रा के अपहरण का प्रयास किया। शिक्षिका की सतर्कता के कारण वह पकड़ा गया। जब आरोपित के मोबाइल को खंगाला गया तो तब पता चला कि उसने इंटरनेट पर सप्ताह भी आपत्तिजनक साइट सर्च किया था।

उसने बच्ची के अपहरण के बाद दरिंदगी और फिर हत्या की योजना बनाई थी। जहां इस तरह के विकृत सोच वाले हों, वहां पुलिस की कड़ी कार्रवाई और जागरूकता ही ऐसी घटनाएं रोक पाने में सक्षम हो सकती हैं।

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