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Bihar Politics: समस्तीपुर में 'अपनों' से लड़ाई, नीतीश कुमार के दो मंत्रियों की संतानें आमने-सामने

Samastipur Lok Sabha Seat लोजपा (रा) से ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी मैदान में हैं तो समस्तीपुर के पूर्व सांसद एवं वर्तमान में नीतीश कैबिनेट में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। अपनों के बीच लड़ाई कैबिनेट से निकलकर परिवार के बीच भी है।

By Rajat Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 10 May 2024 02:31 PM (IST)
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समस्तीपुर में 'अपनों' से लड़ाई, नीतीश कुमार के दो मंत्रियों की संतानें आमने-सामने
कुमार रजत, समस्तीपुर। समस्तीपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में भले ही कांग्रेस और लोजपा (रामविलास) आमने-सामने हों मगर असली लड़ाई अपनों के बीच है। नीतीश कैबिनेट के दो मंत्रियों की संतानें पहली बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रही हैं।

लोजपा (रा) से ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी मैदान में हैं, तो समस्तीपुर के पूर्व सांसद एवं वर्तमान में नीतीश कैबिनेट में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं।

अपनों के बीच लड़ाई कैबिनेट से निकलकर परिवार के बीच भी है। समस्तीपुर से पहले चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज सांसद थे जो पारस गुट में हैं। उनका टिकट कट चुका है, जिससे पारस गुट से जुड़े नेता नाराज हैं। लोजपा (रा) प्रत्याशी शांभवी चूंकि राजग उम्मीदवार हैं, इसलिए जदयू और पिता अशोक चौधरी का खुलकर समर्थन मिल रहा है।

वहीं, दूसरी ओर सन्नी हजारी महागठबंधन प्रत्याशी हैं, इसलिए जदयू के समर्थन का सवाल ही नहीं। पिता महेश्वर हजारी भी खुलकर सामने नहीं आ रहे। वह खुद समस्तीपुर के कल्याणपुर सीट से विधायक भी हैं, इसलिए पर्दे के पीछे रहकर पूरी रणनीति तैयार कर रहे।

समस्तीपुर में भी जीत की चाबी पाने के लिए जातियों की गोलबंदी भी जारी है। इस सीट पर यादव, पासवान, कुशवाहा और सहनी जातियों के साथ मुस्लिम वोटर निर्णायक की भूमिका में हैं। सुरक्षित सीट के कारण अन्य पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों का भी बड़ा वोटबैंक है।

सन्नी हजारी को यादव-मुस्लिम वोट बैंक की एकजुटता का भरोसा है। सहनी और कुशवाहा से भी बड़े हिस्सेदारी की आस है। पासवान चिराग के प्रति वफादार तो हैं, मगर इसमें थोड़ी-बहुत सेंधमारी भी हो रही। महेश्वर हजारी खुद भी पासवान जाति से हैं। इसके अलावा नाराज प्रिंस व पारस समर्थक भी मदद कर रहे।

शांभवी चौधरी को पासवान के बाद सबसे अधिक भरोसा अन्य पिछड़ी जातियों से है। नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग के साथ पिता की जाति भी काम रही है। भाजपा के कारण अगड़ी जाति के वोटों पर भी दावा है। मोदी का शांभवी को बेटी कहना भी चर्चा में बना हुआ है।

हार-जीत का अंतर कम होगा, मुकाबला आसान नहीं

समस्तीपुर में राजनीतिक विरासत की सीट होने से आम जनता में मायूसी भी दिख रही है। रिमझिम बारिश के बाद समस्तीपुर कलेक्ट्रेट के ठीक सामने शंभू जी की चाय दुकान पर लोग जुटे हैं। कन्हैया एवं उपेंद्र साह कहते हैं, वोट तो देंगे मगर उत्साह पहले वाला नहीं है। शहरी क्षेत्र में हेलीकाप्टर तो गांव में हाथ आगे लग रहा है।

मोहनपुर में रवीन यादव और संदीप कुमार कहते हैं, सन्नी राजद में तो हैं नहीं, कांग्रेस में हैं। आशंका जताते हैं कि कहीं पिता जी के साथ जदयू में पलटी मारे लिए तो। शांभवी के पक्ष में मन तो नहीं है, मगर वोट देना है तो देंगे ही। गंडक नदी पर बने पुल पर फल बेच रही लक्ष्मी देवी पैर लटकाए चाय पी रहीं।

चुनाव का नाम लेते ही कहती हैं, हेलीकॉप्टर छाप।

आधे घंटे की बारिश में ही समस्तीपुर शहर अस्त-व्यवस्त दिखता है। मथुरापुर में सड़क पर पानी जमा है, जिसकी बौछार उड़ाते ट्रक व अन्य वाहन जा रहे हैं। कल्याणपुर के जटमलपुर में उमेश चौधरी के बरामदे में पलट राय, मो जहांगीर, हेमनारायण चौधरी की चुनावी चौपाल जमी है। जहांगीर कहते हैं, यादव-मुस्लिम एक तरफ जाएगा।

मुस्लिम महिलाओं में पांच किलो चावल मिलने का थोड़ा असर है। चाय लेकर पहुंचीं इंद्रा चौधरी कहती हैं, मोदी जी महिलाओं के बारे में सोचते हैं, मगर उनके नाम पर जीते नेता वापस लौटकर जनता के पास नहीं आते। इसमें सुधार होना चाहिए। दरभंगा का हायाघाट भी समस्तीपुर लोकसभा का ही हिस्सा है।

बांध के किनारे बनी चिकनी सड़क के किनारे विनोद बैठा, रामसूरत राय, रंजीत साह, घनश्याम राम, राजकरण राय, भिखारी राय मिल जाते हैं। कहते हैं, हर साल तीन महीना बाढ़ में इलाका डूबता है। स्थायी समाधान नहीं है। अफसर भी नहीं सुनते। वोट देने के नाम पर कहते हैं, देखिए अभी तक तो हजारी का ही अधिक चर्चा है।

हायाघाट रेलवे स्टेशन के पास डा. संतोष की क्लिनिक है। यहां भी चुनावी चर्चा जोरों पर है। सृष्टिनाथ झा और क्रांति कुमार कहते हैं, इस क्षेत्र में केंद्र की चावल योजना मील का पत्थर साबित हो रही। अजय कुमार कहते हैं, चुनाव प्रचार कम है, जो भी वोट मिलेगा मोदी के नाम पर ही मिलेगा।

मो. अमानुल्लाह कहते हैं, हमलोग रामविलास पासवान के नाम पर वोट देते थे, इस बार का नहीं कह सकते। समस्तीपुर हाईवे के लाइन होटल पर अरुण कुमार झा कहते हैं, टूट-फूट सब जाति में है, मगर जीतेगी शांभवी ही। रामबाबू सहनी टोकते हैं, जीतने पर कहां खोजिएगा।

इधर, जिताइएगा तो बाप-बेटा में से किसी को भी पकड़ लेंगे। रोसड़ा के सुरेंद्र राय कहते हैं, पासवान की सीट दूसरे को मिल गई, इसका भी प्रभाव पड़ेगा। हार-जीत का अंतर कम होगा। मुकाबला आसान नहीं।

कर्पूरी ठाकुर रह चुके हैं सांसद, महेश्वर हजारी ने भी दर्ज की है जीत

समस्तीपुर सुरक्षित सीट है। इसके अंतर्गत छह विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें पांच पर राजग जबकि एक पर महागठबंधन का कब्जा है। यह दरभंगा के कुशेश्वर स्थान और हायाघाट जबकि समस्तीपुर के कल्याणपुर, वारिसनगर, समस्तीपुर और रोसड़ा को मिलाकर बना है। जनता पार्टी के टिकट पर कर्पूरी ठाकुर 1977 के चुनाव में इस सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। कर्पूरी ठाकुर को हाल ही में केंद्र सरकार ने भारत रत्न भी दिया है।

सन्नी हजारी के पिता महेश्वर हजारी जदयू के टिकट पर 2009 में यहां से सांसद रहे। इसके बाद से यह सीट लोजपा के कब्जे में है। 2014 और 2019 में रामचंद्र पासवान सांसद रहे। रामचंद्र पासवान के निधन के बाद उनके बेटे प्रिंस राज ने चुनाव जीता।

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