Sawan 2022: सुल्तानगंज से बाबाधाम जा रहे हैं तो जान लीजिए कांवड़ यात्रा से जुड़ी खास बातें, आपके काम की है यह खबर
Sawan 2022 बिहार के सुल्तानगंज से झारखंड के देवघर बाबाधाम तक की एक महीने चलने वाली कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है। बाबा मंदिर में भक्त सुबह चार बजे से रात 10 बजे तक जलार्पण कर सकेंगे। आइए जानते हैं इस यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें।
By Amit AlokEdited By: Updated: Fri, 15 Jul 2022 11:54 PM (IST)
पटना, आनलाइन डेस्क। Sawan 2022: सवान के महीने में बिहार के सुल्तानगंज गंगा घाट से जल लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम में अर्पित कर भगवान भोलनाथ की पूजा का खास महत्व है। इस अवसर पर सुल्तानगंज में लगे श्रावणी मेला का उद्घाटन गुरुवार की शाम बिहार के उमपुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने किया। उधर, देवघर में एक दिन पहले बुधवार को ही श्रावणी मेला का आगाज हो चुका है। सुल्तानगंज से देवघर बाबाधाम श्रद्धालुओं का जाना शुरू है। वहां सुबह चार बजे से रात 10 बजे तक जलाभिषेक का समय निर्धारित है।
सुबह चार बजे से रात 10 बजे तक जलार्पण कर सकेंगे भक्तबाबा नगरी देवघर में श्रावणी मेला बुधवार से शुरू हो चुका है। कोरोनावायरस संक्रमण के कारण दो साल तक मेले का आयोजन नहीं हो सका था, इसलिए इस साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने का अनुमान है। वैसे, सावन में भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित करने के लिए करीब 40 लाख कांवडि़या पहुंचते रहे हैं। गुरुवार सुबह चार बजे से देवघर का बाबाधाम भक्तों के लिए खोल दिया गया है। बाबा मंदिर हर सुबह खुल रहा है तो 03.05 बजे, लेकिन सबसे पहले पुरोहित कांचाजल चढ़ाते हैं। इसके बाद भक्तों को सुबह चार बजे से प्रवेश दिया जा रहा है। भक्त सुबह चार बजे से रात 10 बजे तक भक्त जलार्पण कर रहे हैं। मंदिर में जलार्पण सौ मीटर दूर से अरघा से किया जा रहा है। पूरे महीन स्पर्श पूजा बंद रहेगी।
मंदिर के 12 किमी दूर से ही लगेगी शिवभक्तों की कतारसुल्तानगंज से गंगाजल लेकर पहुंचे शिवभक्तों की कतार मंदिर के 12 किमी दूर से ही लग रही है। वे सौ मीटर से जलार्पण कर रहे हैं। शिवभक्त कांवडि़ये मंदिर के संस्कार मंडप से मानसरोवर क्यू काम्प्लेक्स व नेहरू पार्क होते हुए तिवारी चौक, बीएड कालेज बरमसिया, नंदन पहाड़ रोड, चमारीडीह हाेकर कुमैठा स्टेडियम तक कतार में लग रहे हैं।
जल्दी दर्शन के लिए पांच सौ रुपये का शुल्क देकर व्यवस्थाभक्त अगर जल्दी दर्शन करना चाहें तो पांच सौ रुपये का शुल्क देकर शीघ्र दर्शनम की व्यवस्था की गई है। शीघ्र दर्शनम की यह सेवा मंगलवार से शनिवार तक लागू रहेगी, रविवार और सोमवार को यह बंद रहेगी। डाक कांवडि़याें को मिलेगा गर्भगृह में जाकर पूजा का मौकाआम कांवडि़या बाबा मंदिर में जलार्पण सौ मीटर दूर से अरघा से कर सकते हैं। स्पर्श पूजा पर पाबंदी लागू की गई है। हालांकि, डाक कांवडि़याें को गर्भगृह में बाबा पर जलाभिषेक और स्पर्श पूजा का मौका दिया जा रहा है।
सुल्तानगंज में गंगा नदी में स्नान कर जल भरते शिव भक्तकांवड़ यात्रा की शुरूआत बिहार के भागलपुर स्थित सुल्तानगंज के उत्तरवाहिनी गंगा तट से होती है। इस यात्रा का करीब सौ किमी का बड़ा भाग बिहार में पड़ता है। इसके बाद झारखंड में करीब 15 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। शिव भक्त सुल्तानगंज में गंगा नदी में स्नान करते व यहीं से जल भरते हैं। यहां बाबा अजगैबीनाथ मंदिर में बाबा का दर्शन कर अपनी यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं।
कांवडि़या, डाक बम और डंडी बम होते हैं शिव भक्त ये शिव भक्त कांवडि़या कहे जाते हैं। इनमें डाक बम और डंडी बम भी होते हैं। डाक बम सुल्तानगंज से दौड़ लगाते हुए 24 घंटे में बाबा धाम पहुंच जाते हैं तो डंडी बम सुल्तानगंज में जल भरने के बाद रास्तेभर दंडवत होकर करीब एक महीने में बाबा धाम पहुंचते हैं। सुल्तानगंज से देवघर की यात्रा वाया मुंगेर-बांका
कांवडि़या सुल्तानगंज से 13 किलोमीटर चलकर मुंगेर के असरगंज, फिर आठ किमी आगे तारापुर पहुंचते हैं। सात किमी आगे रामपुर है। रामपुर से आठ किमी किमी आगे कुमरसार और फिर 12 किमी आगे विश्वकर्मा टोला आते हैं। इसके आगे बढ़ने पर बांका जिला का घुमावदार जलेबिया मोड़ आता है। फिर आठ किमी चलने पर सुईया पहाड़ के नुकीले पत्थरों से सामना होता है। हालांकि, अब सड़क बन जाने के बाद यात्रा सुगम हो गई है। इससे आगे अबरखा, कटोरिया, लक्ष्मण झूला, इनरावरन व गोड़ियारी होते हुए कांवडि़या झारखंड की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं।
झारखंड में 17 किमी चलकर पहुंचते हैं बाबा मंदिरकांवडि़ये दुम्मा में बने गेट से झारखंड में प्रवेश कर 17 किमी चलकर बाबा भोलेनाथ के मंदिर में पहुंचते हैं। गोड़ियारी से कलकतिया और दर्शनिया होते हुए भी एक रास्ता है। बाबा धाम में शिवगंगा है, जहां कांवडि़या स्नान करते हैं। वे डुबकी लगाते हुए बाबा के दर्शन करते हैं तथा संकल्प किए गंगा जल से जलाभिषेक करते हैं।
बाबा भोले नाथ के मंदिर में जलार्पण के बाद यह यात्रा पूरी नहीं होती है। देवघर के बाद कांवडि़ये आगे बाबा बासुकीनाथ धाम में जलाभिषेक के लिए आगे बढ़ते हैं। देवघर से दुमका करीब 45 किमी की पैदल यात्रा कर कांवडि़या बाबा बासुकीनाथ को जलार्पण कर अपनी यात्रा पूरी करते हैं।यात्रा के दौरान शिवभक्तों का ध्यान रखती सरकारइस यात्रा के दौरान बिहार व झारखंड की सरकारें शिवभक्तों का खास ध्यान रखती हैं। जगह-जगह राहत व स्वास्थ्य शिविरों के साथ-साथ भोजन की व्यवस्था भी की गई है। समाजसेवी और निजी संस्थाएं भी कांवरियों की सुविधा के लिए व्यवस्थाएं करती हैं। यात्रा के दौरान 24 घंटे मुफ्त खाना-पानी और दवाएं उपलब्ध रहती हैं। सुरक्षा के खास इंतजाम किए जाते हैं।
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