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SC ने बिहार सरकार को आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े मूल रिकॉर्ड पेश करने का दिया आदेश, 8 अगस्त को अगली सुनवाई

Anand Mohan Release Case सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जी कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की समय पूर्व रिहाई देने से संबंधित मूल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया है।

By Jagran NewsEdited By: Prateek JainUpdated: Fri, 19 May 2023 09:29 PM (IST)
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SC ने बिहार सरकार को आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े मूल रिकॉर्ड पेश करने का दिया आदेश
नई दिल्ली/पटना, जागरण ब्यूरोसुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की समय पूर्व रिहाई देने से संबंधित मूल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने ये आदेश दिवंगत अधिकारी कृष्णैया की पत्नी तेलुगू उमा देवी की याचिका पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को दिये। साथ ही कोर्ट ने साफ किया कि इस मामले में अब और कोई स्थगन आदेश नहीं दिया जाएगा।

कोर्ट ने मामले को राजनीतिक और जातिगत रंग ने देने की कही बात

कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले को राजनीतिक और जातिगत रंग न दिया जाए, कोर्ट मामले को कानून के आधार पर तय करेगा। इस मामले में 8 अगस्त को फिर सुनवाई होगी।

आनंद मोहन को 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के जुर्म में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा हुई थी, जिसे बाद में हाई कोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।

बिहार सरकार ने 17 साल जेल काट चुके आनंद मोहन को गत 27 अप्रैल को समय पूर्व रिहाई दे दी थी। उमा देवी ने आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रिहाई का आदेश रद करने की मांग की है।

बिहार सरकार के वकील ने कोर्ट से मांगा था समय

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई आठ मई को उमा देवी की याचिका पर बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया था। शुक्रवार को मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला की पीठ के सामने सुनवाई पर लगा था।

बिहार सरकार की ओर से पेश वकील मनीष कुमार ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा। कोर्ट ने साफ किया कि आगे और समय नहीं दिया जाएगा। पीठ ने बिहार सरकार से कहा कि कोर्ट के देखने के लिए रिहाई से संबंधित सारा मूल रिकॉर्ड कोर्ट में पेश किया जाए।

उमादेवी के वकील ने कोर्ट में रिकॉर्ड पेश करने की मांग की 

उमादेवी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्दार्थ लूथरा ने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने रिहाई नीति में पूर्व तिथि से संशोधन लागू करते हुए आनंद मोहन को रिहा कर दिया है।

लूथरा ने कहा कि कोर्ट राज्य सरकार को आदेश दे कि वह आनंद मोहन की आपराधिक पृष्ठभूमि का सारा रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करे।

कोर्ट ने 8 अगस्‍त तक टाली मामले की सुनवाई

इसके बाद कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को याचिका का जवाब दाखिल करने का समय देते हुए रिहाई से संबंधित और आनंद मोहन की आपराधिक पृष्ठभूमि का सारा रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई आठ अगस्त तक के लिए टाल दी।

इसी बीच एक हस्तक्षेप अर्जीकर्ता की ओर से पेश वकील शोएब आलम ने कोर्ट से मामले में हस्तक्षेप करने और सुनवाई में कोर्ट की मदद करने की इजाजत मांगी।

कोर्ट ने कहा कि मामले का राजनीतिकरण न करें। वह किसी का हस्तक्षेप-अर्जी स्वीकार नहीं करेंगे। अगर जरूरत लगेगी तो कोर्ट मामले में मदद के लिए सभी संबंधित बार सदस्यों को इसकी इजाजत देगा।

उमादेवी कृष्णैया की याचिका में एससी के पूर्व के फैसलों का जिक्र

उमादेवी कृष्णैया की याचिका में आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करते हुए कहा गया है कि उम्रकैद का मतलब जीवन पर्यन्त कैद होता है। सुप्रीम कोर्ट अपने कई पूर्व फैसलों में यह बात कह चुका है।

याचिका में रिहाई का आदेश रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया है कि ऐसे मामले में माफी देकर समय पूर्व रिहाई नहीं दी जा सकती।

बिहार सरकार ने गत 10 अप्रैल को बिहार प्रिजन मैनुअल में संशोधन करके उस उपबंध को हटा दिया था, जिसमें ड्यूटी के दौरान लोकसेवक की हत्या के जुर्म में दोषी की समय पूर्व रिहाई और माफी की मनाही थी।

इस उपबंध के हटने के बाद 17 साल से कैद काट रहे आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने 14 साल की कैद काट चुके आनंद मोहन सहित 20 से ज्यादा उम्रकैदियों की समय पूर्व रिहाई का आदेश जारी किया था।

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