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राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनता बिहार का सीमांचल, बांग्‍लादेश‍ियों की घुसपैठ का तरीका उड़ा सकता है आपके होश

सीमा पर दुस्साहस ये बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं हमारी हकमारी कर रहे और हमसे ही सीनाजोरी भी सीमांचल विशेषकर किशनगंज में हितैषियों के सहारे घुसपैठ कर रहे बांग्लादेशी अफसरों व स्थानीय जन-प्रतिनिधियों की मिलीभगत से बनवा ले रहे पहचान-पत्र

By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Fri, 08 Jul 2022 08:18 AM (IST)
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बिहार में बढ़ रही बांग्‍लादेशी घुसपैठ की समस्‍या। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
पटना, जागरण टीम। Bihar News: सीमा (India Bangladesh Border) वस्तुत: सम्मान और समझौते का प्रतीक है, लेकिन घुसपैठिये हैं कि मानते ही नहीं। किशनगंज में हितैषियों की आड़ लेकर उस पार बांग्लादेश से चोरी-छिपे घुस आ रहे हैं। गजब यह कि सरकारी दस्तावेज में भारतीय नागरिक के रूप में उनका नाम-मुकाम भी दर्ज हो जा रहा। इसी आधार पर वे तमाम योजनाओं के हकदार भी बन जा रहे हैं। अफसरों से पूछिए तो वे टाल-मटोल करेंगे, क्योंकि सच्चाई स्वीकार करने पर उनकी कार्यशैली और जिम्मेदारी पर भी अंगुली उठेगी।

अशरफ ने सरपंच की मदद से बनवाया पहचान पत्र 

हालांकि, पोल खुल ही जाती है और तब तक उनकी हरकतें आर्थिकी-जनसांख्यिकी चिंता से आगे राष्ट्रीय हित पर आघात तक बढ़ चुकी होती हैं। एक उदाहरण पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली से पकड़ा गया आतंकी मोहम्मद अशरफ है। बांग्लादेश से चोरी-छिपे भारत आए अशरफ का पहला पहचान-पत्र किशनगंज में सरपंच की सहायता से बना था।

सीमांचल में सबसे अध‍िक संवेदनशील हैं किशनगंज 

बिहार में चार जिलों को समेटे सीमांचल में किशनगंज राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत ही संवेदनशील है। घुसपैठ के अधिसंख्य मामले यही पर हैं। वर्ष 2017 में बांग्लादेश सीमा पर एक सुरंग का पता चला था। वह बांग्लादेश की ओर से 80 मीटर भूमि की खोदाई कर कंटीली बाड़ के नीचे से भारतीय सीमा में पहुंचाई गई थी। स्पष्ट है कि वह सुरंग घुसपैठ के लिए बनी थी।

अवैध धन और नाजायज संबंध इनकी ताकत 

उसके बाद सीमा पर सतर्कता बढ़ी, फिर भी घुसपैठिये नित नए रास्ते ढूंढ़ ले रहे। अवैध धन और नाजायज संबंध के बूते उनकी राह सुगम हो जा रही। यहां पहुंचकर वे बिहार के असली व मूल निवासियों के लिए समस्याएं खड़ी कर रहे। उनके हिस्से की भूमि पर फैल ही नहीं रहे, बल्कि उनके हक पर फल-फूल भी रहे।  

10 वर्षों में पकड़े गए डेढ़ हजार तस्‍कर 

बिहार में पिछले दस वर्षों के दौरान लगभग डेढ़ हजार तस्कर पकड़े गए। उनके अलावा चार दर्जन घुसपैठिये भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। ताज्जुब यह कि वे यहां घर-परिवार भी बसा ले रहे। किशनगंज से दिल्ली बरास्ते अजमेर की लुकाछिपी में मोहम्मद अशरफ ने शादी भी रचाई। वह वैशाली की एक तलाकशुदा औरत है। ऐसे में भाजपा के विधान पार्षद अशोक अग्रवाल की चिंता स्वाभाविक है। उनका कहना है कि बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ पर अगर अविलंब विराम नहीं लगा तो सीमांचल का सिरदर्द तो बढ़ेगा ही, देश में बिहार की छवि भी अच्छी नहीं रह जाएगी।   

पहले आए बांग्‍लादेशी करते नए वालों की मदद 

आश्चर्यजनक यह कि किशनगंज जिला के कुछ प्रखंडों (किशनगंज, ठाकुरगंज, टेढ़ागाछ) की जनसंख्या तुलनात्मक रूप से अधिक बढ़ रही। इस क्षेत्र में बंगाल और बांग्लादेश से आए लोगों की संख्या ज्यादा है। इनका पहचान-पत्र बनाने में वार्ड पार्षद व मुखिया-सरपंच आदि संकोच नहीं करते। पैरवी उन हितैषियों द्वारा की जाती है, जो वर्षों पहले भटकते हुए यहां आए थे। वोट बैंक के लालची राजनेताओं और अवैध कमाई करने वाले अफसरों-कर्मियों की मिलीभगत से वे भारतीय नागरिकता का प्रमाण-पत्र भी पा जाते हैं। 

राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हैं लोग 

किशनगंज नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष त्रिलोक चंद जैन कहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घुसपैठ बड़ा खतरा है। इसे रोकने के लिए विशेष योजना के साथ सख्त कार्रवाई आवश्यक है, अन्यथा सीमांचल बदनाम होकर रह जाएगा। यहां जानना जरूरी है कि किशनगंज से बांग्लादेश की सीमा सीधे नहीं जुड़कर बंगाल से जुड़ती है। ऐसे में सीमांचल में घुसपैठ भी बरास्ते बंगाल हो रही है।

पश्‍च‍िम बंगाल से इस दिशा में उम्‍मीद कम 

अभी क्षेत्रवाद की राजनीति के लिए अभिशप्त हो चुका बंगाल उन घुसपैठियों को रोकने की कोई पहल करेगा, इसकी आशा कम ही है। ऐसे में बिहार को स्वयं ही जूझना-निपटना होगा, अन्यथा भविष्य में विकट समस्या खड़ी होगी। क्षेत्र विशेष में जनसांख्यिकी संतुलन के गड़बड़ा जाने से राष्ट्रविरोधी कृत्यों को प्रश्रय मिलेगा। पशुओं, नशीले पदार्थों और प्रतिबंधित सामग्री की तस्करी के रूप में उसकी शुरुआत हो चुकी है। नकली नोटों के अवैध धंधे से आगे आग्नेयास्त्रों और विस्फोटकों का खतरा भी है। (क्रमश:)

गवाही देते आंकड़े 

  • 48 घुसपैठिये पकड़े जा चुके हैं पिछले एक दशक में सीमांचल में, 15 सौ के करीब तस्कर दबोचे जा चुके हैं इस काल-खंड में
  • 17 लाख के लगभग जनसंख्या थी किशनगंज जिला की 2011 में, उसके बाद किशनगंज, ठाकुरगंज, टेढ़ागाछ प्रखंड में अपेक्षाकृत अधिक बढ़ी  
  • खतरनाक मिलीभगत - दिल्ली में गिरफ्तार आतंकी मोहम्मद अशरफ का भारत में पहला पहचान-पत्र बना था किशनगंज में
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