Sharad Yadav: बिहार में कई बार किंग मेकर की भूमिका में रहे शरद यादव, ऐसा रहा राजनीतिक यात्रा का प्रारंभ और अंत
बिहार में कम उम्र के लोगों को बताना पड़ता था कि शरद यादव बिहार के मूल निवासी नहीं हैं। वैसे शरद यादव का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था। परंतु बिहार उनकी कर्मभूमि रही। अपने संसदीय क्षेत्र मधेपुरा में स्थानीय मतदाता सूची में भी उनका नाम दर्ज था।
By Arun AsheshEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 13 Jan 2023 12:05 AM (IST)
अरुण अशेष, पटना। शरद यादव कभी किंग नहीं बने, लेकिन बिहार के संदर्भ में देखें तो वे किंग मेकर की भूमिका में कई बार रहे। 1990 के बाद से कुछ साल पहले तक उन्होंने बिहार की राजनीति को प्रभावित किया। राज्य में 33 वर्षों से जो सामाजिक न्याय या न्याय के साथ विकास के नारा पर सरकारें चलती रही हैं, उसके केंद्र में शरद रहे हैं।
1990 में जनता दल के सरकार के गठन की बारी आई तो शरद ने लालू प्रसाद का साथ दिया। फिर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनी तो वे नीतीश कुमार के साथ खड़े थे। हालांकि बारी-बारी से उनका लालू और नीतीश-दोनों के साथ बिगाड़ भी हुआ। दोनों से संबंध बिगड़े और बने।
यह संयोग है कि शुक्रवार के दिन शरद ने आखिरी सांसें लीं तो लालू-नीतीश एकसाथ खड़े हैं। शरद का निधन राजद के सदस्य के रूप में ही हुआ। यानी उनकी राजनीतिक यात्रा का प्रारंभ और अंत एक ही धारा-सामाजिक न्याय की धारा में हुआ।
राज्य के कम उम्र के लोगों को बताना पड़ता था कि शरद यादव बिहार के मूल निवासी नहीं हैं। उनका जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र मधेपुरा में मकान बना लिया था। स्थानीय मतदाता सूची में भी उनका नाम दर्ज था।वे मधेपुरा से चार बार लोकसभा के लिए चुने गए। तीन बार राज्यसभा भेजे गए।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी उनकी भागीदारी बिहार के सांसद के रूप में दर्ज की गई। उनकी पुत्री सुहाषिणी 2020 में बिहार से कांग्रेस टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ीं। हार गईं। शरद पिछली बार अपने पुत्र शांतनु बुंदेला के साथ पटना आए थे। उस यात्रा में उन्होंने लालू प्रसाद और नीतीश कुमार से मुलाकात की। उनके पुत्र भी साथ थे।
माना गया कि शरद यही कहने आए थे कि उनकी राजनीतिक पारी अंतिम दौर में है। लालू और नीतीश उनके पुत्र-पुत्री पर ध्यान दें। जनता दल, राजद और जदयू के कई नेताओं के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध थे। अलगाव के बाद भी ये संबंध बने रहे।
सरकार के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, सांसद दिनेश चंद्र यादव और पूर्व मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ऐसे ही नेताओं में हैं, जिनसे शरद यादव का संबंध कभी खराब नहीं हुआ। कह सकते हैं कि शरद का जन्म भले ही दूसरे राज्य में हुआ, लेकिन, बिहार ही उनकी कर्मभूमि रही।
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