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Sharda Sinha News: सहेलियों संग गा रही थीं शारदा सिन्हा, प्रधानाचार्य ने बुलाकर रिकॉर्ड कर लिया था गीत

शारदा सिन्हा ने मैथिली लोक गीतों में अपनी पहचान बनाई। उनका जन्म सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था। उन्हें 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी और हिंदी फिल्मों में भी गाया है। उनके गाए गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और राष्ट्रीय अहिल्या देवी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

By prabhat ranjan Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 06 Nov 2024 08:18 AM (IST)
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नहीं रहीं बिहार कोकिला शारदा सिन्हा। फोटो- सोशल मीडिया
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार की लोकप्रिय गायिका के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा खास तहजीब, अनुशासन की पक्की व आर्दश बहू, बेटी होने के साथ एक अच्छे कलाकार के रूप में लोगों के दिलों में जगह बनाए रहीं।

सुपौल जिले के हुलास गांव में जन्मीं शारदा आठ भाइयों की इकलौती बहन थीं। बचपन से ही उन्हें संगीत व नृत्य में रूचि थी। मैथिली लोक गीत से उनका प्रेम प्रगाढ़ था। बेगूसराय के सिंहमा में ससुराल थी। वे समस्तीपुर महिला कालेज में संगीत की प्रोफेसर और एचओडी के रूप में कुछ वर्षों तक सेवारत रहीं।

संगीत में उनके योगदान के लिए 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से अलंकृत किया गया था। 2016 में सुपवो ना मिले माई.. और पहिले पहल छठी मैया.. जैसे छठ गीत के साथ उनकी लोकप्रियता में चार-चांद लगा।

पांच दशकों से बिहार की लोक गायन परंपरा की सशक्त हस्ताक्षर रहीं शारदा सिन्हा के गाए गीत आज भी लोगों के दिल-ओ-दिमाग में रचे बसे हैं।

परिवार का मिलता रहा सहयोग

उन्हें बचपन से ही संगीत, नृत्य में रूचि थी। उनके पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में अधिकारी थे। संगीत के प्रति उनके लगन को देख कर पिता ने भारतीय नृत्य कला मंदिर में प्रवेश दिलाया था। स्कूल के दिनों में जब वे अपनी सहेलियों के साथ गीत गा रही थीं, वहीं चुपके से हरि उप्पल (उनके शिक्षक) उनका गीत सुन रहे थे।

शारदा को प्रधानाचार्य कार्यालय में बुला कर उस गीत को टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर लिया था। वे कई बार कार्यक्रम के दौरान कहा करती थीं कि गायन के क्षेत्र में करियर को सक्रिय बनाने में उनके परिवार का सहयोग मिलता रहा। शास्त्रीय संगीत की शिक्षा के साथ मणिपुरी नृत्य को भी जानने का अवसर मिला।

उनका विवाह बेगूसराय के दियारा क्षेत्र सिहमा निवासी ब्रजकिशोर सिन्हा से हुआ था। सास को पसंद नहीं था मेरा गाना, पति देते थे हिम्मत शारदा सिन्हा कई बार बातचीत के दौरान बताती थीं कि भैया की शादी के बाद मेरी भी शादी की तैयारी होने लगी।

पिताजी ने शादी के पहले ही लड़के वालों को बता दिया था कि मुझे संगीत और नृत्य से खास लगाव है। किस्मत से मेरी तरह मेरे पति बृजकिशोर सिन्हा को भी गीतों से खास लगाव था। 1970 में जब शादी हुई और मैं अपने ससुराल बेगूसराय गई तो वहां का माहौल बिल्कुल अलग था।

वहां का रहन-सहन, तौर-तरीका के अलावा मैथिली भी अलग ढंग से बोली जाती थी। मेरा गाना सास को पसंद नहीं था। बाद के दिनों में स्थितियां बदलने के बाद सब कुछ सामान्य हो गया।

ससुराल में रहने के दौरान पहली बार तुलसीदास की रचना मोहे रघुवर की सुधि आई... गाकर सभी को सुनाया था। गाने के बाद सभी का आशीष मिला था। इसके बाद गीत गाने का सिलसिला आगे बढ़ता गया।

छठ गीतों के प्रति बढ़ता रहा आकर्षण

शारदा सिन्हा का छठ गीतों के प्रति आकर्षण छठ घाट से हुआ था। वे बताती थीं कि बचपन से ही उनके घर में नानी पटना आकर छठ करती थीं। गंगा नदी में अर्घ्य देने जाते थे। छठ गीतों के स्वर कानों में पड़ते तो एक अलग खिंचाव होता था। इस दौरान गांव घर में गाए जाने वाले छठ गीत लिखे और रिकॉर्ड करते गए।

डोमिनी बेटी सुप लेले ठार छे... अंगना में पोखरी खनाइब, छठी मैया अइथिन आज.. मोरा भैया गैला मुंगेर... गीत को 1978 में रिकॉर्ड किया गया था। पहली बार उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर.. को लोगों का खूब प्यार मिला था।

केलवा के पात पर उगे ला सुरूज देव... हो दीनानाथ... सोना साठ कुनिया हो दीनानाथ.. आदि गीत नानी व सासु मां से सुनी थीं। इसके बाद पहली पहल हम कईनी छठी मैया व्रत त्योहार.. आदि गीत गाए।

शारदा सिन्हा के लिए हृदय नारायण ने लिखे गीत

शहर के गीतकार हृदय नारायण झा ने बताया कि शारदा सिन्हा से 20-25 वर्षों से संबंध रहा। गीत के सिलसिले में उनसे मिलना होता था। उनके लिए चार भोजपुरी, पांच मैथिली, तीन विवाह गीत, तीन सावन भजन कुल मिला कर 15 गीत लिखे थे।

इसमें छठ गीत महिमा अपार छठी मैया.. सकल जगतारिणी हे छठी मैया... नदिया के तीरे-तीरे.. कार्तिक मास इंजोरिया... पहले पहल कइलि छठ मैया वरत तोहार.. आदि गीत लिखे गए थे।

इन गीतों को आवाज शारदा सिन्हा ने दी थी। मृत्यु से कुछ दिन पहले एम्स अस्तपाल से दुखवा मिटाई छठी मैया, रउए आसरा हमार... इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया गया था। उन्होंने उनके गीतों को आवाज देकर अमर कर दिया।

गले को ठंडा रखने के लिए खाती थीं पान

शारदा सिन्हा मृदुभाषी होने के साथ-साथ सामान्य जीवन व्यतीत करना पसंद करती थीं। उनके करीबी रहे हृदय नारायण ने बताया कि वे भोजन भी सामान्य रूप से करती थीं। बहुत कुछ खाने-पीने का शौक नहीं था। उन्हें जो भी मिलता था बड़े शौक से खाती थीं।

वे कार्यक्रम में जाने से पूर्व गले को ठंडा रखने के लिए पान खाती थीं। ऐसा नहीं था कि वे पान की आदी थीं। वैसे भी मिथिलांचल में पान मां भगवती को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इस कारण भी उन्हें थोड़ा बहुत पान के प्रति लगाव रहता था।

वे साथ में पान की डिब्बिया लेकर जाती थीं। हृदय नारायण झा भरे शब्दों में कहते हैं कि शारदा सिन्हा की तबीयत कोरोना के बाद से खराब बनी रही। छठ गीत को लेकर जब उनके घर गया तो वे कहती थीं कि तबीयत पूरी तरह से ठीक हो जाए तो बहुत कुछ काम करना है।

आप इंतजार करें कि हम जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद आपके साथ मिलकर कार्य करें। उन्होंने 1974 में पहली बार भोजपुरी गीत गाना शुरू किया था। भोजपुरी के गायक भिखारी ठाकुर और महेंद्र मिश्र के लिखे गीत 1979 में जगदंबा घर में दियरा बार अइनी हो.. रिकॉर्ड किया गया था।

इसके लिए एचएमवी से आर्टिस्ट आफ द इयर का पुरस्कार मिला था। उन दिनों भोजपुरी में बड़ा सम्मान माना जाता था।

आंगन से आरंभ हुआ लोक गीतों का सफर

विभिन्न भाषाओं के गीतों को आवाज देने वाली शारदा सिन्हा ने अपने गीतों की शुरूआत भाई की शादी में गीत गा कर की थी।

उन्होंने स्वयं कहा था, पहली बार मैंने अपने भाई की शादी में गीत गाए थे। शादी में भाई से नेग मांगने को लेकर उन्होंने चुकैओ, हे दुलरुआ भैया, तब जहिया कोहबर आपन.. गीत गाए थे। इनके गीत को घर में खूब सम्मान मिला था।

फिल्मों में गाने का मिला था मौका

शारदा सिन्हा ने राजश्री प्रोडक्शन की सुपरहिट फिल्म हम आपके हैं कौन का गाना बाबुल जो तुमने सिखाया... , मैंने प्यार किया का गाना कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां... जैसे गानों को अपनी आवाज दी थीं।

उन्होंने पहली बार बालीवुड अभिनेता सलमान खान की सुपरहिट फिल्म मैंने प्यार किया के लिए गीत गाया था। इनकी आवाज को लोगों ने खूब सराहा था। इसके अलावा गैंग्स आफ वासेपुर पार्ट टू और चार फुटिया छोकरे जैसी फिल्मों में अपनी आवाज दी।

अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स आफ वासेपुर में तार बिजली से पतले हमार पिया, ओ री सासु बता तूने ये क्या किया... गीत काफी लोकप्रिय हुआ। शारदा सिन्हा 2009 में बिहार विधान सभा चुनाव की ब्रांड अंबेसडर भी रहीं। 1988 में मारीशस के 20वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने गायन की प्रस्तुति से सभी का दिल जीती थीं।

शारदा सिन्हा के चर्चित गीत

  • रामजी से पूछे जनकपुर के नारी
  • केलवा के पात पर उगेलन सुरुज देव
  • कांचहि बांस के बहंगिया
  • आन दिन उगइ छ हो दीनानाथ
  • कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया
  • बाबुल जो तूने सिखाया जो तुमसे पाया
  • तार बिजली से पतले हमारे पिया
  • पनिया के जहाज से पलटनिया बनि अइह पिया
  • पिरितिया काहे ना लगवले
  • पटना से बैदा बोलाइ द
  • बताव चांद केकरा से कहां मिले जाला

कई पुरस्कार से हुईं थी सम्मानित

  • 1991 : पद्मश्री सम्मानित
  • 2001 : संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
  • 2006 : राष्ट्रीय अहिल्या देवी पुरस्कार
  • 2015 : बिहार सरकार की ओर से सम्मानित
  • 2018 : पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित
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