शिवानंद तिवारी का भाजपा पर हमला, बोले- दो कोर्ट फैसलों से राहुल गांधी के खिलाफ रचा गया षड्यंत्र उजागर
Shivanand Tiwari राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बिहार की राजनीति में भी हलचल तेज की है। विपक्षी दलों के नेताओं ने इस फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा पर निशाना साधा है। इसी क्रम में शनिवार को राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने राहुल की संसद सदस्यता समाप्त करने की कार्रवाई को षड्यंत्र करार दिया।
Shivanand Tiwari : राज्य ब्यूरो, पटना। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि राहुल गांधी और बिहार की जाति आधारित गणना से जुड़े पटना हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों से भाजपा और मोदी सरकार की ओर से न्यायालयों के दुरुपयोग का षड्यंत्र उजागर हुआ है।
दोनों मामले में भाजपा की साजिशपूर्ण भूमिका प्रकट हुई है। सजा के अगले ही दिन राहुल की संसद सदस्यता समाप्त की गई। उनका घर खाली कराया गया।
उनको संसदीय राजनीति से अलग-थलग करने की साजिश रची गई, उस पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा को बहुत आधात लगा है।
भाजपा का ग्राफ बहुत नीचे गया है। दूसरी तरफ राहुल गांधी और आईएनडीआईए गठबंधन को काफी लाभ मिला है। तिवारी ने कहा कि जाति आधारित गणना से रोक हटाने के पटना हाई कोर्ट के निर्णय से पिछड़े वर्गों में बहुत उत्साह है।
पटना हाईकोर्ट के इस निर्णय का प्रभाव सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं रहेगा। देशभर में पिछड़े वर्ग के लोग जातीय सर्वेक्षण की मांग कर रहे हैं। हाई कोर्ट की रोक के कारण अनिश्चितता का माहौल बना हुआ था।
गणना के विरुद्ध सबसे ज्यादा शोर भाजपा समर्थकों ने ही मचाया। समाज में जिनकी संख्या कम है, लेकिन सरकारी संसाधनों पर कब्जा है वही इस गणना से डर रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय की विश्वसनीयता बढ़ी: देवेंद्र
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जहां गांधी को न्याय मिला है, दूसरी तरफ सर्वोच्च न्यायपालिका की विश्वसनीयता भी बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि इससे देश के अलावा दुनिया के दूसरे देशों में भी अच्छा संदेश गया है। क्योंकि आज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संकट है। लोकतांत्रिक ढांचा और व्यवस्था के अस्तित्व पर संशय है।
उन्होंने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव आम चुनाव नहीं होगा। वह लोकतंत्र और तानाशाही के बीच जनमत संग्रह होगा, जिसमें अंतत: लोकतंत्र की जीत होगी।