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ये वर्दी वाली बेटियां बढ़ा रहीं बिहार का मान, कभी पिता की अर्थी को दिया था कंधा, अब उन पर सज रहे सितारे

छह बहनों की यह कहानी बिहार का मान बढ़ा रही है। कभी पिता की अर्थी को कंधा देने वाली ये बेटियाँ आज पुलिस की वर्दी पहनकर कानून की रक्षक बनी हुई हैं। खुशबू और पूजा ने समाज की रूढ़ियों को तोड़ते हुए अपने लक्ष्य को हासिल किया है। उनकी कहानी हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो कुछ बनना चाहती है।

By Jagran News Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 24 Oct 2024 03:21 PM (IST)
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सब इंस्पेक्टर पूजा कुमारी और उनकी बड़ी बहन खुशबू।
आशीष शुक्ल, पटना। छह बहनें। पिता की छह लाडली बिटिया। कोई भाई नहीं। रस्म-रिवाज, जहां समाज ढूंढ़ता है बेटों को। यह परिस्थिति इस घर में भी आई। पिता का निधन हो गया। बेटियां कंधे पर उठाकर उनकी अंतिम यात्रा को चल पड़ीं। इनमें पूजा ने मुखाग्नि दी। मुंडन की एक रस्म होती है। इस बेटी ने तत्क्षण अपने सिर के सारे बाल उतरवा दिए। समाज में बेटे को सौंपा गया दायित्व अदा करती बेटी, इसलिए तो कहते हैं- लक्ष्मी मेरी लाडो।

यह एक कहानी भर नहीं, बेटियों की ऊर्जा, परिवार के प्रति समर्पण और हर लक्ष्य को पा लेने की दृढ़ इच्छाशक्ति भी, जिससे गौरवान्वित होता है परिवार। खुशबू और पूजा आज बिहार पुलिस में दारोगा की वर्दी पहन कानून की रक्षक बनी हुई हैं। इनके पिता गिरिधर प्रसाद का कारोबार था, परिस्थितयां ऐसी आईं कि नुकसान उठाना पड़ा।

बिगड़ रही थी आर्थिक स्थिति

आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही थी। किसी तरह तीन बेटियों की शादी की। फिर खुशबू और पूजा की भी शादी की बात होने लगी। इन दोनों ने बड़ी मुश्किल से इसे टालने को राजी कर दिया। दोनों बहनों ने भागलपुर में हॉस्टल में रहकर 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद खुशबू बीटेक की पढ़ाई के लिए चेन्नई चली गईं। पूजा ने पटना में बीसीए की पढ़ाई पूरी की। दोनों बहनें दिल्ली पुलिस सेवा के लिए आयोजित परीक्षा में सफल हो गईं, पर इच्छा थी कि अपने राज्य की वर्दी पहनें।

शादी की बात चल रही थी, कभी आया दारोगा परीक्षा का रिजल्ट

दोनों ने 2018 में परीक्षा दी और सफल हो गईं। छोटी बहन सोमन अभी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। पूजा और खुशबू बताती हैं कि आठ मार्च 2019 को सभी बहनें घर पर थीं। रिश्तेदार भी आए थे। स्नातक करने के बाद घर बैठने की बात बोलकर शादी की बात चल रही थी। इसी बीच उसी दिन दारोगा परीक्षा भर्ती का परिणाम आया और दोनों एक साथ सफल हुईं। यह समाचार गांव में फैल गया। फिर तो सबकी सोच ही बदल गई।

'मेरे लिए बेटियां ही मेरा अभिमान हैं'

उनकी मां आशा देवी कहती हैं, मेरे लिए बेटियां ही मेरा अभिमान हैं। दोनों बहनें नौकरी में आ चुकी थीं। प्रतिनियुक्ति पर नालंदा भेजा गया था। दिसंबर 2020 में पूजा को पिता के स्वास्थ्य खराब होने की जानकारी मिली। अवकाश लेकर उपचार कराने को गईं, इस बीच निधन हो गया। फिर सारा रस्म रिवाज बेटियों ने ही निभाया।

ये बांका के अमरपुर की रहने वाली हैं। बड़ी बहन खुशबू पुलिस मुख्यालय और पूजा इस समय पटना के कोतवाली थाना में पदस्थापित हैं। वे कहती हैं, लड़कियां सब कुछ कर सकती हैं। कभी स्वयं को कम मत आंकें।

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