Lok Sabha Election 2024 : बिहार में निषाद वोट की खींचतान, RJD क्या बढ़ा देगी JDU और BJP की टेंशन?
Nishad Voters In Bihar बिहार में निषाद समाज के मतदाताओं को लेकर खींचतान तय है। चुनाव प्रचार की गति बढ़ने के साथ-साथ यह सतह पर आती दिख सकती है। बहरहाल राष्ट्रीय जनता दल के कोटे से सीटें मिलने के बाद महागठबंधन का हिस्सा बने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव के साथ मिलकर प्रचार तेज कर दिया है।
सुनील राज, पटना। बिहार की राजनीति में मुकेश सहनी अब अपरिचित नाम नहीं। भाजपा के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने के बाद अपनी पार्टी बनाने वाले सहनी महज आठ से नौ साल की मेहनत में निषाद आरक्षण की मांग के बूते 2024 के लोकसभा चुनाव में तीन सीटें प्राप्त करने में सफल हो गए हैं।
राष्ट्रीय जनता दल ने मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी से समझौता करते हुए उसे तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया है। राजद ने अपने कोटे की तीन सीटें सहनी को दी हैं।
असल में बिहार में निषाद वोट को लेकर खींचतान कोई नई नहीं है। भाजपा हो जदयू या फिर राजद सभी सहनी वोट को अपने पाले में करने की जुगत हर चुनाव में लगाते रहे हैं।
भाजपा जहां हरि सहनी को आगे कर निषाद वोट को अपने पाले में करना चाहती है तो जदयू मदनी सहनी के नाम पर निषाद वोट को लुभाने का प्रयास कर रहा है।2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान भी राजद ने सहनी को आगे कर चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय लिया था, लेकिन सीटों के तालमेल की वजह से बात नहीं बनी और सहनी राजद पर पीठ में छुरा मारने का आरोप लगाकर अलग हो गए थे।
राष्ट्रीय जनता दल की नजर निषाद वोट पर
महागठबंधन में सहयोगी दलों के साथ सीट बंटने के बाद राजद ने मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के साथ समझौता तो किया ही उसे अपने कोटे की तीन सीटें भी तोहफे में दीं। बिहार में मुकेश सहनी की पार्टी मोतिहारी (पूर्वी चंपारण), गोपालगंज और झंझारपुर से चुनाव लड़ेगी।सहनी से समझौते के बहाने राजद की नजर निषाद वोट पर है। दरअसल, बिहार में निषाद जाति बड़ा वोट बैंक मानी जाती है। इनकी आबादी पासवान समेत दूसरी कई जातियों से काफी ज्यादा है।
राजद को पता है कि निषाद वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए मुकेश सहनी और उनकी पार्टी राजद के लिए तुरुप का पत्ता हो सकती है। वहीं, जदयू और भाजपा के उम्मीदवारों के लिए सिर का दर्द भी।
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