Sunny Deol का 'तारीख पे तारीख' डायलॉग हुआ फ्लॉप, महज 50 दिनों में Bihar Police ने रचा कीर्तिमान
बिहार पुलिस (Bihar Police New Record) ने न्याय व्यवस्था में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। सारण जिले के धानाडीह गांव में हुए तिहरे हत्याकांड के दोनों अभियुक्तों को महज 50 दिनों में आजीवन कारावास और 25-25 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। त्वरित कार्रवाई वैज्ञानिक अनुसंधान और स्पीडी ट्रायल के जरिए पुलिस और कोर्ट ने मिलकर नजीर पेश की है।
राज्य ब्यूरो, पटना। 'तारीख पे तारीख' के लिए आलोचना झेलने वाली न्याय व्यवस्था के लिए यह खबर सुखद है। बिहार के सारण जिले के रसूलपुर थाना अंतर्गत धानाडीह गांव में हुए तिहरे हत्याकांड में पुलिस और कोर्ट दोनों ने मिलकर नजीर पेश की है।
त्वरित कार्रवाई, वैज्ञानिक अनुसंधान और स्पीडी ट्रायल के जरिए हत्याकांड में शामिल दोनों अभियुक्तों को महज 50 दिनों में आजीवन कारावास और 25-25 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है।
इस कांड में न केवल एक घंटे के अंदर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया जबकि 14वें दिन ही पुलिस ने आरोप-पत्र (चार्जशीट) दाखिल कर दिया। बिहार पुलिस का दावा है कि यह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत हत्या जैसे गंभीर कांड में देशभर में दी गई पहली सजा है।
इस उपलिब्ध पर शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय में डीजीपी आलोक राज ने सारण के एसपी डा. कुमार आशीष के साथ न्याय दिलाने में शामिल छह सदस्यीय टीम को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है।
इसमें लोक अभियोजक सुरेंद्रनाथ सिंह, सारण सदर-2 के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी राजकुमार, अभियोजन कोषाांग के प्रभारी इंस्पेक्टर राकेश कुमार सिंह, कांड के अनुसंधानकर्ता (आइओ) रविंद्र कुमार और विधि-विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) विशेषज्ञ रत्ना शामिल हैं। डीजीपी ने बताया कि सजा दिलाने में शामिल टीम को नकद पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री पदक की भी अनुशंसा की जाएगी।
वीडियोग्राफी और डीएनए जांच ने आसान की राह:
एक जुलाई से लागू नए कानूनों में घटनास्थल और आरोपितों-पीडि़तों के बयान की वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा सात साल से अधिक सजा वाले कांडों में एफएसएल जांच भी अनिवार्य है। इन सब व्यवस्थाओं के कारण भी अभियुक्तों को जल्द सजा दिलाने की राहत आसान हुई। सारण एसपी डॉ. कुमार आशीष ने बताया कि 17 जुलाई की रात पिता और दो नाबालिग बेटियों की धारदार हथियार से हत्या की सूचना डायल-112 के जरिए मिली।
पुलिस की टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची जहां बेटियों की मां की निशानदेही पर अभियुक्त सुधांशु कुमार और अंकित कुमार को चिह्नित कर एक घंटे के अंदर गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपित जब पकड़े गए तो वह खून लगे कपड़े जला रहे थे। उनके हाथ-पैर पर घाव लगा था और खून के छींटे थे। उनकी निशानदेही पर पास के ही कुएं से हत्या में शामिल चाकू भी बरामद कर लिया गया।इन सभी घटनाओं की वीडियोग्राफी कराई गई और सैंपल लिए गए। इससे अभियुक्त के विरुद्ध ठोस साक्ष्य जमा हो गए। जिलाधिकारी से बात कर मृतकों की पोस्टमार्टम जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। अभियुक्त के हाथ-पैर से मिले रक्त के नमूनों की डीएनए जांच की गई। इन सभी की रिपोर्ट समय से तैयार हुई।
पुलिस ने घटना के 14वें दिन कोर्ट में आरोप-पत्र जमा कर दिया। इसके बाद जिला न्यायाधीश से मिलकर कांड का स्पीडी ट्रायल करने का अनुरोध किया गया। आठ अगस्त से कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। इस कांड में 12 गवाह थें जिनकी 13 अगस्त से प्रतिदिन गवाही हुई। तीन सितंबर को जिला सत्र न्यायाधीश ने दोनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया जबकि पांच सितंबर को 50वें दिन दंड सुनाया।
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