यह कैसा अंधविश्वास: बिहार के एक गांव में नौ लड्डू व नौ लौंग से हो रही कोरोना माई की पूजा, जानिए
Blind Faith बिहार के एक गांव में अंधविश्वास के कारण महिलाएं कोरोना माई की पूजा कर रहीं हैं। हालांकि शिक्षित लोग व डॉक्टर कहते हैं पूजा नहीं संक्रमण रोकने के उपाय जरूरी हैं।
By Kajal KumariEdited By: Updated: Wed, 03 Jun 2020 02:50 PM (IST)
गोपालगंज, जेएनएन। Blind Faith: कोरोना (CoronaVirus) महामारी के बढ़ते कहर से बिहार सहित पूरा देश परेशान है। अब इस महामारी (Epidemic) के डर के बीच अंधविश्वास (Blind Faith) भी घुसने लगा है। इसी अंधविश्वास में बिहार के गोपालगंज जिले के हथुआ स्थित एक गांव में महिलाएं कोरोना माई (Goddess Corona) की पूजा-अर्चना करने लगी हैं। हालांकि, डॉक्टर ऐसे अंधविश्वास को घातक बता रहे हैं।
गांव के पोखर के पास महिलाओं ने की कोरोना माई की पूजागोपालगंज के हथुआ इलाके के मछागर लछीराम गांव के पश्चिम टिकुली पोखरा के समीप सोमवार को काफी संख्या में महिलाएं जमा हो गईं। हाथों में पूजन सामग्री लिए ये महिलाएं भक्ति गीत गा रहीं थीं। वे पूजा के दौरान नाराज 'कोरोना माई' को मनाते हुए उनसे इलाके से चले जाने की गुहार लगा रहीं थीं।
फिजिकल डिस्टेंसिंग हवा, संक्रमण की भी नहीं रही परवाह
देखते-देखते वहां भारी भीड़ जमा हो गई। इस दौरान महिलाएं फिजिकल डिस्टेंसिंग (Physical Distancing) के प्रावधानों व कोरोना संक्रमण (CoronaVirus Infection) को लेकर बेपरवाह दिखीं। पूछने पर कहा, 'माई सब ठीक कर देंगी।'
सोशल मीडिया के जरिए मिली अंधविश्वास को हवा सवाल यह है कि आखिर महिलाओं को यह आइडिया कैसे आया? इसके पीछे सोशल मीडिया पर फैला अफवाह (Social Media Rumor) रहा। महिलाओं ने बताया के एक वायरल वीडियो (Viral Video) मैसेज से उन्हें यह जानकारी मिली कि करुणा देवी (स्थानीय स्तर पर पूजा की जाने वाली एक देवी) के नाराज होने के कारण कोरोना का प्रकोप फैला है। इसीलिए वे करुणा देवी के रूप में कोरोना माई की पूजा कर रही हैं।
गुस्सा कम करने के लिए पूजा, चढ़ाए लड्डू व लौंगमहिलाओं ने बताया कि कोरोना माई को प्रसन्न करने के लिए वे नौ लड्डू, नौ लौंग और कुछ पूजन सामग्री से उनकी पूजा कर रही हैं। उन्हें विश्वास था कि इससे कोरोना माई का गुस्सा कम हो जाएगा और वे कृपा करके चली जाएंगी। सिवान में भी महिलाओं ने की कोरोना माई की पूजासोशल मीडिया के जरिए मिली हवा के कारण अंधविश्वास केवल गोपालगंज तक सीमित नहीं रहा। गोपालगंज की यह हवा पड़ाेसी जिला सिवान भी पहुंच गई। बेगूसराय सहित कुछ अन्य जिलों में भी कोरोना माई की पूजा की चर्चा है। सिवान में तो बड़ी संख्या में महिलाएं नदी-तालाबों के किनारे पूजा करने पहुंच गईं। यहां भी उन्होंने नौ लड्डू, नौ लौंग और धूप-अगरबत्ती के साथ पूजा की।
अंधविश्वास व्यक्ति के साथ समाज के लिए भी घातक महिलाएं इस पूजा के समर्थन में आस्था का तर्क दे रहीं थीं, लेकिन शिक्षित वर्ग अंधविश्वास मान रहा है। गोपालगंज की गृहिणी संजना सिंह कहतीं हैं कि पूजा अपनी जगह, पर कोरोना जैसी संक्रमण की महामारी को अंधविश्वास के जरिए भगाना संबंधित व्यक्ति ही नहीं, समाज के लिए भी घातक है। छपरा की डॉ. अंजू वर्मा कहतीं हैं कि लोगों को यह समझना होगा कि कोरोना की महामारी किसी देवी का प्रकोप नहीं, बल्कि वायरस के कारण फैला है।
फिजिकल डिस्टेंसिंग व साफ-सफाई का रखें ध्यान गोपालगंज के चिकित्सक डॉ. संदीप कुमार कहते हैं कि जो महामारी फैली है, उसका कारण 'कोविड 19' (COVID-19) वायरस है। इससे महामारी से बचाव नहीं होगा। फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कर व साफ-सफाई रखकर ही इस संक्रमण से बचा जा सकता है। फिलहाल इसका इलाज (Treatment) या वैक्सीन (Vaccine) उपलब्ध नहीं है। यह भी पढ़ें: दिल्ली से पैदल बिहार लौट रहा था युवक, रास्ते में ही मिल गई हमसफर, कहा- तुझे लेकर जाऊंगा
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