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बिहार: RJD के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह डबल मर्डर केस में दोषी करार, SC ने पलटा पटना हाई कोर्ट का फैसला

राजद नेता प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को डबल मर्डर केस में दोषी करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राजेंद्र राय व दारोगा राय हत्‍याकांड मामले में पटना हाई कोर्ट के फैसले को पलट कर प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया है। छपरा के मशरक में साल 1995 के चुनाव में कहे अनुसार वोट नहीं देने पर राजेंद्र राय व दारोगा राय की हत्‍या कर दी गई थी।

By Jagran NewsEdited By: Deepti MishraUpdated: Fri, 18 Aug 2023 01:54 PM (IST)
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RJD नेता प्रभुनाथ सिंह डबल मर्डर केस में दोषी करार। फाइल फोटो

 जागरण संवाददाता, पटना: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजद के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को डबल मर्डर केस में दोषी करार दिया है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने राजेंद्र राय व दारोगा राय हत्याकांड मामले में पटना हाई कोर्ट के फैसले को पलट कर प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया है।

जानकारी के मुताबिक, छपरा के मशरक में साल 1995 के चुनाव में कहे अनुसार वोट नहीं देने पर राजेंद्र राय व दारोगा राय की हत्‍या कर दी गई थी। पटना में इलाज के दौरान राजेंद्र राय की मौत पुलिस को बयान देने के बाद हुई थी।

पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट में सजा के बिंदु पर सुनवाई एक सितंबर को होगी।

पूर्व सांसद को दोषी करार दिए जाने पर मृतक के भाई हरेंद्र राय व स्वजन ने संतोष जताते हुए कहा कि देर से ही सही सुप्रीम न्याय मिला है।इस मामले में आरोपी प्रभुनाथ सिंह को निचली अदालत ने रिहा कर दिया था। पटना हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।

किस मामले में दोषी करार हुए पूर्व सांसद?

26 मार्च 1995 को विधानसभा चुनाव के दौरान राजकीय प्राथमिक विद्यालय धेनुकी पूरब टोला बूथ पर दारोगा राय व राजेंद्र राय को गोली मारी गई थी। दोनों की मौत पटना में इलाज के दौरान हुई थी। इलाज के दौरान ही राजेंद्र राय ने महाराजगंज के तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह पर गोली मारने का आरोप लगाया था।

मामले को लेकर मशरक थाने में (पानापुर थाना) कांड संख्या 62/95 के अंतर्गत नामजद प्राथमिकी कराई गई थी। मामले की सुनवाई सुरक्षा कारणों से भागलपुर कोर्ट में की जा रही थी क्योंकि तत्कालीन गृह सचिव ने छपरा में सुनवाई को लेकर गवाही प्रभावित होने की बात कही थी। वहां भी विवाद होने पर हत्याकांड की सुनवाई पटना की निचली अदालत में हुई। पटना की निचली अदालत ने 2009 में तत्कालीन सांसद को बरी कर दिया था।

मृतक के भाई अपीलकर्ता हरेंद्र राय ने बताया कि निचली अदालत के निर्णय के बाद हाई कोर्ट में पिटीशन दायर कर कहा कि पीएमसीएच में पुलिस को दिया गया बयान व सीजर लिस्ट में दर्ज गवाह की गवाही निचली अदालत द्वारा नहीं ली गई है। इसमें मृतक दारोगा राय के पुत्र किशोरी राय, पानापुर के नरेंद्र सिंह व मशरक के संजीव कुमार का बयान नहीं हुआ था।

उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट से कोई जानकारी नहीं मिलने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद तत्कालीन सांसद को दोषी करार दिया है। घटनास्थल से पुलिस ने खोखा वगैरह बरामद किया था। उसके सीजर लिस्ट पर भी किशोरी राय, नरेंद्र सिंह एवं संजीव कुमार के हस्ताक्षर थे। वे लोग उसके गवाह थे, लेकिन उनकी गवाही भी नहीं हुई थी।

पूरे घटनाक्रम को लेकर मशरक विधानसभा क्षेत्र (अब बनियापुर विधान सभा क्षेत्र) के पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से 14 साल के इंतजार के बाद पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है। अन्याय एवं हथियार की राजनीति का अंत हुआ है। कोर्ट के निर्णय का सभी पीडित स्वागत कर रहे हैं।

बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद को एक सितंबर को सजा की बिंदु पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में सदेह उपस्थिति रहने का आदेश दिया है। इसके लिए बिहार के डीजीपी व मुख्य सचिव को जिम्मेवारी दी गई है।

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