बिहार में जातीय गणना का डेटा रिलीज करने पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई
बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले शीर्ष अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी थी। बता दें कि जाति आधारित गणना पर पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
जागरण डिजिटल डेस्क, पटना : सुप्रीम कोर्ट में आज यानी कि शुक्रवार को बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगाने के मामले में सुनवाई होगी। इससे पहले, शीर्ष अदालत में 18 अगस्त को सुनवाई होनी थी लेकिन यह मामला 21 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। इस मामले की न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ सुनवाई करेगी।
बिहार सरकार ने कोर्ट को बताया- पूरा हो चुका है काम
सुप्रीम कोर्ट में 18 अगस्त को इस मामले में सुनवाई के दौरान बिहार सरकार और याचिककर्ता ने अपना पक्ष रखा था। बिहार सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि जातिगत गणना का काम लगभग पूरा हो चुका है। आंकड़े को जल्द ही लोगों के सामने पेश किया जाएगा।
वहीं, याचिककर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने तक जातीय गणना का ब्योरा जारी नहीं करने की मांग की लेकिन शीर्ष अदालत ने इस मांग को खारिज कर दिया।
पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई
गौरतलब है कि 18 अगस्त से पहले इस मामले को लेकर 14 अगस्त को सुनवाई होनी थी लेकिन उसे भी स्थगित कर दिया गया था। पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि केवल भारत सरकार के पास देश में जनगणना करने का अधिकार है।
राज्य सरकार के पास बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण के संचालन पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है।
कोर्ट का फैसला आने के बाद सरकार ने फिर शुरु कर दिया था काम
1 अगस्त को पटना उच्च न्यायालय ने कई याचिकाओं को खारिज करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के सर्वेक्षण कराने के फैसले को हरी झंडी दे दी थी।
कोर्ट का फैसले आने के बाद बिहार सरकार ने राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी थी। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था जो इस साल 7 जनवरी को शुरू हुआ था और 15 मई को पूरा होने वाला था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य जाति आधारित सर्वेक्षण के मामले में अक्सर यह कहते हैं कि इस गणना का उद्देश्य केवल लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी एकत्र करना है, ताकि सरकार उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए विशिष्ट कदम उठा सके।