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सुशील मोदी ने बिहार के डीजीपी से पूछे पांच तीखे सवाल, दूसरे वाले पर बुरी तरह फंस रहे पुलिस के टाप काप

आइपीएस आदित्‍य कुमार की पैरवी के लिए पटना हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश के नाम पर फर्जी काल मामले में सुशील मोदी ने बिहार के डीजीपी की भूमिका को बताया संदिग्ध। बोले- सीबीआइ जांच कराए सरकार ईओयू के वश का मामला नहीं है ये

By Jagran NewsEdited By: Shubh Narayan PathakUpdated: Fri, 21 Oct 2022 11:58 AM (IST)
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सुशील कुमार मोदी और एसके सिंघल। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar News: डीजीपी एसके सिंघल को फर्जी चीफ जस्‍ट‍िस के फोन मामले में भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने सरकार से कई सवाल पूछे हैं। उन्‍होंने इस मामले को लेकर डीजीपी पर सवाल खड़े किए हैं और पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराने की बात कही है। 

डीजीपी की भूमिका पर जताया संदेह  

राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि गया में शराब बरामद होने से लेकर वहां के तत्कालीन एसपी के ट्रांसफर और एफआइआर से दोषमुक्त करने तक पूरे मामले में फर्जी काल के आधार पर फैसले करने वाले डीजीपी एसके सिंघल की भूमिका संदेह के घेरे में है।

ईओयू की जांच पर उठाया सवाल 

इस मामले की जांच सीबीआइ या किसी अन्य सक्षम एजेंसी से कराई जानी चाहिए। सुशील मोदी ने कहा कि जब एसपी स्तर के अधिकारी को बचाने और लाभ पहुंचाने का संदेह डीजीपी पर है, तो उनके नीचे काम करने वाली आर्थिक अपराध इकाई ( ईओयू) निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। 

पांच चीजों पर उठाई अंगुली 

  1. कई बार फोन पर बातें करने के बावजूद डीजीपी ने  सीधे मिल कर हकीकत जानने की कोशिश क्यों नहीं की? 
  2. यदि फोन काल फर्जी नहीं, असली मुख्य न्यायाधीश का ही होता, तब भी क्या शराब पकड़े जाने के मामले में एसपी स्तर के अधिकारी को फोन-पैरवी के आधार पर राहत दी जानी चाहिए थी- खास कर तब, जब शराब के मामले में 4 लाख लोग जेल जा चुके हों? 
  3. जिस एसपी पर एफआइआर किया गया था, उसे दोषमुक्त  करने के लिए किसके दबाव में जांच अधिकारी को छुट्टी के दौरान चेन्नई से बुलाकर क्लोजर रिपोर्ट बनवायी गई? 
  4. गया से ट्रांसफर के बाद एसपी को डीजीपी कार्यालय में एआइजी  (क्यू) क्यों बना दिया गया ? 
  5. डीजीपी ने पूर्व गया एसपी के विरुद्ध विभागीय जांच बंद करने के और पूर्णिया में पोस्टिंग के लिए संचिका क्यों बढ़ाई । 

सुशील मोदी ने पूछे ये सवाल 

उन्होंने कहा कि डीजीपी सिंघल पिछले अगस्त महीने से उस व्यक्ति से दर्जनों बार बात कर रहे थे, उसकी पैरवी को गंभीरता से ले रहे थे, जो स्वयं को हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बता रहा था, लेकिन उन्होंने फोन करने वाले की सत्यता  जांचने की कोशिश क्यों नहीं की?

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