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'हर घोटाले के सबूत के पीछे ललन सिंह का हाथ'- सुशील मोदी का लालू परिवार पर हमला, बोले- कभी मुकदमा बंद नहीं हुआ

मोदी ने कहा कि ललन सिंह को परिणाम का पूरा अंदेशा है चूंकि कागज उन्हीं के दिए हुए हैं इसलिए डरे हुए हैं। कागज कभी मरते नहीं हैं। संचिका कभी बंद नहीं होती है। लालू परिवार मीडिया के सामने दहाड़ता है और सीबीआई के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sun, 26 Mar 2023 06:51 PM (IST)
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'हर घोटाले के सबूत के पीछे ललन सिंह का हाथ'- सुशील मोदी का लालू परिवार पर हमला
ऑनलाइन डेस्क, पटना। राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने रविवार को जदयू के राष्ट्रीय ललन सिंह के बहाने से लालू प्रसाद यादव के परिवार पर जमकर हमला बोला।

उन्होंने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कभी फर्जी, कमजोर दस्तावेज नहीं, बल्कि मजबूत तथ्यों पर आधारित इतने पुख्ता सबूत जांच एजेंसी को उपलब्ध कराए हैं कि आज तक कोई बचकर निकल नहीं पाया है।

चारा घोटाला हो या आईआरसीटीसी घोटाला हर घोटाले के सबूत के पीछे ललन सिंह का हाथ है। इन्हीं के कागजातों के आधार पर लालू प्रसाद को चारा घोटाला के चार मामलों में सजा हो चुकी है। ललन सिंह केवल पुख्ता सबूत ही नहीं, बल्कि मुकदमे के हर पल-पल की स्वयं मॉनिटरिंग भी करते हैं।

उन्होंने कहा कि रेलवे की नौकरी के बदले जमीन घोटाला, जिसमें पिछले दिनों तेजस्वी यादव और लालू परिवार से पूछताछ हुई है। उसके भी सारे कागजात 2008 में ललन सिंह और स्व. शरद यादव ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिए थे।

परंतु केंद्र में राजद के समर्थन से यूपीए की सरकार चल रही थी। अतः प्रधानमंत्री सचिवालय से कागज गायब करा दिए गए। इसके बाद 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद पुनः कागजात सुपुर्द किए गए।

कभी मुकदमा बंद नहीं हुआ था। इस घोटाले की जांच अगस्त में महागठबंधन की सरकार बनने के एक वर्ष पहले ही प्रारंभ हो गई थी।

मोदी ने कहा कि ललन सिंह को परिणाम का पूरा अंदेशा है, चूंकि कागज उन्हीं के दिए हुए हैं, इसलिए डरे हुए हैं। कागज कभी मरते नहीं हैं। संचिका कभी बंद नहीं होती है।

भाजपा नेता ने कहा कि भागलपुर दंगे में दोषमुक्त किए जा चुके आरोपी कामेश्वर यादव को 15 वर्षों के बाद ललन सिंह के प्रयास से मुकदमा खोलकर नीतीश सरकार में सजा दिलाई गई थी।

लालू परिवार मीडिया के सामने दहाड़ता है और सीबीआई के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है। झुकने या लड़ने का प्रश्न नहीं है, बल्कि पुख्ता सबूत होंगे तो कोई बच नहीं सकता। आखिर लालू प्रसाद झुकें या ना झुकें चार मामलों में सजायाफ्ता हो चुके हैं।

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