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विपक्षी सांसद मणिपुर के बाद बंगाल-राजस्थान जाएं : सुशील मोदी, ललन सिंह बोले- राज्य सरकार पर नहीं जनता को भरोसा

मणिपुर में हिंसा को लेकर रविवार को बिहार में भाजपा और जदयू नेताओं ने एक-दूसरे पर निशाना साधा। भाजपा सांसद सुशील मोदी ने विपक्षी दलों को पश्चिम बंगाल और राजस्थान जाने की नसीहत दी। वहीं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मणिपुर से लौटकर वहां के हालात बताए। उन्होंने कहा कि वहां की जनता का राज्य सरकार से भरोसा उठ चुका है।

By Raman ShuklaEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sun, 30 Jul 2023 10:07 PM (IST)
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विपक्षी सांसद मणिपुर के बाद बंगाल-राजस्थान जाएं: सुशील मोदी, ललन सिंह बोले- राज्य सरकार पर नहीं जनता को भरोसा

राज्य ब्यूरो, पटना। मणिपुर में हिंसा के मामले पर बिहार में भी सियासत गर्म है। इसी क्रम में राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने रविवार को कहा कि मणिपुर के राजनीतिक पर्यटन से लौटने पर विपक्षी गठबंधन के सांसदों को बंगाल भी जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई व्यापक हिंसा में सौ से ज्यादा कार्यकर्ता मारे गए और महिलाओं के साथ बर्बरता हुई।

भाजपा के ही नहीं, कांग्रेस और माकपा के भी लोग हिंसा के शिकार हुए और लोकतंत्र का चीरहरण हुआ।

उन्होंने कहा कि बंगाल की चुनावी हिंसा रोकने के लिए कोलकाता हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और केंद्र सरकार को केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों की टुकड़ियां भेजनी पड़ीं।

इसके बावजूद विपक्षी सांसदों ने केवल मणिपुर को लक्ष्य किया। हत्या, दुष्कर्म और बर्बरता की घटनाएं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी हुईं, लेकिन विपक्षी गठबंधन ने इन राज्यों के पीड़ितों से जाकर मिलना जरूरी नहीं समझा।

जनता में राज्य सरकार के प्रति अविश्वास का भाव : ललन

इधर, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने रविवार को कहा कि मणिपुर के लोगों में वहां की राज्य सरकार के प्रति अविश्वास का भाव है।

मणिपुर गई विपक्ष के सांसदों की टीम में ललन सिंह भी शामिल थे। वहां से लौटने के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह बात कही।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि मणिपुर में दोनों समुदायों में असुरक्षा का भाव व विश्वास की भारी कमी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तीन मई से राज्य में घटनाएं हो रही हैं।

राज्य सरकार की तरफ से उसे नियंत्रित करने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

ललन ने कहा कि मणिपुर के राज्यपाल अपनी सीमित शक्तियों के हिसाब से स्थिति को सामान्य करने में प्रयासरत हैं। मगर सभी यह जानते हैं कि राज्यपाल के पास सीमित शक्तियां होती हैं।

सरकार चलाने की शक्ति राज्य सरकार में निहित है। इसलिए राज्य सरकार को ही स्थिति को सुधारने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।