सुशील मोदी बोले- उदार केंद्रीय सहायता से बिहार गरीबी मिटाने में आगे निकला, श्रेय लेने पर राज्य सरकार को घेरा
राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद अगले ही वित्तीय वर्ष से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के विकास में पूरी ताकत लगा दी। इसलिए उदार केंद्रीय सहायता और नई-नई कल्याणकारी योजनाओं में भारी निवेश से 16 फीसद लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए। इसका लाभ सबसे ज्यादा बिहार को मिला।
By Raman ShuklaEdited By: Prateek JainUpdated: Sat, 22 Jul 2023 10:44 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना: राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद अगले ही वित्तीय वर्ष से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के विकास में पूरी ताकत लगा दी। इसलिए उदार केंद्रीय सहायता और नई-नई कल्याणकारी योजनाओं में भारी निवेश से 16 फीसद लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए। इसका लाभ सबसे ज्यादा बिहार को मिला।
नीति आयोग की रिपोर्ट यह प्रमाणित करती है मोदी-सरकार के नौ साल में बिहार गरीबी दूर करने में सबसे आगे रहा। उन्होंने कहा कि यह बदलाव केंद्र सरकार के बिना नहीं, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की वजह से ही संभव हुआ।
नौ साल में ग्रांट इन एड (सहायता अनुदान) में यूपीए शासन की तुलना में 4.5 गुना वृद्धि कर इस मद में 2 लाख 35 हजार करोड़ से ज्यादा राशि दी गई। इसी तरह डिवोल्यूशन ग्रांट में 3.5 गुना वृद्धि कर 1 लाख 6 हजार करोड़ से बढ़ा कर 3 लाख 57 हजार करोड़ कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि ''गरीबी हटाओ'' के खोखले नारे से नहीं, बल्कि एनडीए सरकार की ठोस नीति और ईमानदार नीयत से बदलाव हुआ, लेकिन नीतीश सरकार बेवजह अपनी पीठ थपथपा रही है।
मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना पर 18 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए, जिससे 85 लाख से ज्यादा किसानों को लाभ हुआ।
उन्होंने कहा कि बिहार में नये पुल, महासेतु और 6-लेन सड़कों के निर्माण पर एक लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार ही खर्च कर रही है। इससे राज्य के हजारों लोगों को ही रोजगार पाने और गरीबी मिटाने का अवसर मिल रहा है।प्रधानमंत्री आवास योजना पर 18 हजार करोड़ खर्च हुए, जिससे 37.39 लाख शहरी और ग्रामीण गरीबों को अपना पक्का मकान मिला।
उन्होंने कहा कि अन्न योजना से लगभग 9 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन मिला। उज्ज्वला योजना के तहत 1.7 करोड़ गरीबों को गैस कनेक्शन मिले। इनमें 76 हजार लाभार्थी दलित-आदिवासी समुदाय के हैं।
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