'नीतीश कुमार के मुंह से कुछ निकल जाता तो...', बिहार CM को लेकर ये क्या बोल गए Sushil Modi
बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने बिहार सीएम पर निशाना साधा है। उन्होंने बताया कि इन्वेस्टर्स समिट में नीतीश कुमार भाषण नहीं दिया जोकि बहुत गलत है। सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को उनक सलाहकारों ने भाषण देने से रोका होगा क्योंकि कहीं वो फिर से विधान मंडल के भाषण की तरह कुछ बोल देते तो सरकार की फजीहत हो जाती।
By Raman ShuklaEdited By: Rajat MouryaUpdated: Fri, 15 Dec 2023 09:05 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना। Sushil Modi On Nitish Kumar राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। सुशील मोदी ने पूछा कि दो दिवसीय इन्वेस्टर्स समिट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाषण क्यों नहीं दिया? कार्यक्रम में दो घंटे रहे परंतु एक शब्द नहीं बोले। निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए मुख्यमंत्री का उद्बोधन अनिवार्य था।
सुशील मोदी ने कहा कि सलाहकारों ने ही मुख्यमंत्री को बोलने से मना कर दिया होगा, क्योंकि फिर कहीं विधान मंडल में भाषण जैसा मुंह से कुछ न निकल जाए और सरकार की फजीहत न हो जाए। तेजस्वी यादव भी नहीं आए जबकि उद्योग विभाग राजद के कोटे में है। तेजस्वी यादव को तो मना किया गया, क्योंकि उनको देखते निवेशकों को लालू राज की याद आ जाती है।
सुशील मोदी ने कहा कि बड़ी संख्या में इन्वेस्टर्स मीट में आए हुए निवेशकों पर दबाव डालकर MoU हस्ताक्षर करवाया गया, ताकि किसी तरह 50 हजार करोड़ का आंकड़ा पहुंचाया जा सके। मुश्किल से 5 हजार करोड़ के भी गंभीर प्रस्ताव नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अडाणी समूह को छोड़कर टाटा, बिरला, अंबानी, मित्तल जैसा कोई बड़ा समूह नहीं आया। बिहार के ही वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल भी नहीं आए। बिहार के स्थानीय उद्योग संगठन की घोर उपेक्षा की गई।
इन्वेस्टर्स समिट का फ्लॉप रहना दुखद- डॉ. भीम सिंह
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व उद्योग मंत्री डॉ. भीम सिंह ने शुक्रवार को जारी बयान में बिहार इन्वेस्टर्स समिट के फ्लॉप होने पर दुख व्यक्त करते हुए इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराया है। उन्होंने कहा कि दो दिनों के समिट में बिहार जैसे बड़े राज्य में मात्र 50,000 करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर होना ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जब यूपी में समिट हुआ था तो वहां 44 लाख करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। फिर यह भी देखने वाली बात होगी कि इस 50 000 करोड़ में से कितनी राशि का वास्तविक निवेश होता है। हमारी तो शुभकामना है कि कम से कम हस्ताक्षरित एमओयू धरातल पर जरूर उतर जाए।
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