खुले में शौच की निगरानी से शिक्षकों को मिली आजादी, शिक्षा मंत्री ने कहा- अफवाह था
बिहार में शिक्षकों को खुले में शौच करने वालों की निगरानी करने का फैसला वापस ले लिया गया है। साथ ही शिक्षा मंत्री ने भी इस फैसले को अफवाह बताया।
By Ravi RanjanEdited By: Updated: Thu, 23 Nov 2017 10:28 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। शिक्षकों को लोटे की निगरानी सौंपने के आदेश पर हुए विवाद के बाद शिक्षा विभाग ने घुटने टेक दिए हैं। गुरुवार को विभाग ने शौच की निगरानी शिक्षकों से कराने का आदेश वापस ले लिया। इधर शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा, इस मामले पर अफवाह उड़ाई गई थी।
मंत्री वर्मा ने कहा सेल्फी लेने या शौच की निगरानी करने का कोई आदेश शिक्षकों को नहीं दिया गया था। हालांकि दो दिन पूर्व ही उन्होंने कहा था कि शिक्षक बौद्धिक कार्य करते हैं। स्वच्छता का कार्य राष्ट्रीय स्तर पर चल रहा है ऐसे में शिक्षकों को लोटे की निगरानी का काम भी करना चाहिए, परन्तु इससे पढ़ाई नहीं बाधित होनी चाहिए।दो दिनों पूर्व ही औरंगाबाद के देव और मुजफ्फरपुर के कुढऩी प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी ने एक आदेश में शिक्षकों को खुले में शौच की निगरानी का काम सौंपा था। आदेश में कहा गया है कि शिक्षक अपने शैक्षणिक दायित्वों के अलावा सुबह छह से सात और शाम से पांच से छह बजे के बीच खुले में शौच को जाने वाले की निगरानी करेंगे और उनकी फोटो खींचेंगे।
माध्यमिक शिक्षक संघ से लेकर नियोजित शिक्षक संघ तक ने सरकार के इस आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए इसका विरोध किया था। शिक्षक संगठनों के विरोध के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों ने अपने पूर्व के आदेश को वापस ले लिया है।
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