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Tejashwi Yadav Exclusive Interview: हम लालू की संतान, परेशान हो सकते हैं पराजित नहीं, यहां पढ़ें तेजस्वी का बेबाक इंटरव्यू

लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में सियासी सरगर्मी अपने चरम पर है। एक तरफ एनडीए के पास स्टार प्रचारकों की लंबी फौज है तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव ने अकेले ही महागठबंधन से मोर्चा संभाल रखा है। तेजस्वी लगातार रोजगार और महंगाई का मुद्दा उठाकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा की को​शिश कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव ने दैनिक जागरण के साथ खास बातचीत की।

By Sunil Raj Edited By: Mohit Tripathi Published: Sat, 11 May 2024 05:40 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2024 05:40 PM (IST)
तेजस्वी यादव ने दैनिक जागरण के साथ बेबाक इंटरव्यू।

सुनील राज, पटना। इस लोकसभा चुनाव में बिहार के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मेहनत साफ दिख रही है। एक तरफ राजग (एनडीए) नेताओं के पास स्टार प्रचारकों की लंबी फौज है, तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव ने अकेले ही महागठबंधन से मोर्चा संभाल रखा है।

चुनाव-प्रचार के मैदान में उनकी मेहनत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लगातार कमरदर्द और उठने-बैठने में हो रही तकलीफ के बीच तीन चरणों का चुनाव होते-होते वे करीब सवा सौ चुनावी सभाएं कर चुके हैं।

तेजस्वी यादव चुनावी मंचों से लगातार रोजगार और महंगाई का मुद्दा उठाकर केंद्र को कठघरे में खड़ा की को​शिश कर रहे। तेजस्वी कहते हैं, राजग सरकार ने संविधान नष्ट करने का ट्रेलर तो दिखा ही दिया है, 400 सीटों की ललक इसलिए है कि पूरी फिल्म बन सके।

सीबीआइ-ईडी की कार्रवाई पर तेजस्वी कहते हैं, यह भाजपा के डर का संकेत है। इसके बावजूद वे अपने मिशन को लेकर दृढ़ हैं और कहते हैं परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं।

बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राजनीति से जुड़े विभिन्न मसलों पर अपनी बेबाक प्रतिक्रिया दी। प्रस्तुत है जागरण के प्रधान संवाददाता सुनील राज के सवाल और तेजस्वी यादव के जवाब।

लोकसभा चुनाव के तीन चरण पूरे हो चुके हैं। इस चुनाव को देश के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। आप कैसे देखते हैं?

निश्चित ही यह चुनाव देश के लिए, खासकर के युवाओं के लिए बेहद जरूरी हैं। पिछले 10 सालों में युवा वर्ग को निराशा ही हाथ लगी है। जैसा की आप जानते हैं भारत एक युवा देश है, 40 प्रतिशत आबादी की उम्र 25 साल से कम है। अगर शिक्षा, नौकरी, और व्यवसाय पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह डेमोग्राफिक डिविडेंड बर्बाद हो जाएगा।

चुनाव में विपक्ष ने सरकार की नाकामी को जनता के सामने रख दिया है। एक सकारात्मक और व्यावहारिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया है।

मौजूदा सरकार का उद्देश्य केवल सत्ता पर काबिज रहने का है, ताकि वह संविधान बदल सके, अपने करीबी गिने-चुने उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा सकें, और समाज में नफरत की राजनीती का जहर घोले सके।

आप चुनाव के दौरान लगातार रोजगार, महंगाई की बात कर रहे हैंं लेकिन विरोधी मंगलसूत्र, हिंदू-मुस्लिम, जैसे मुद्दों की बात कर रहा है, क्या राय है आपकी?

आप आज किसी से पूछ लीजिये, चाहे तो गरीब हो या मध्यमवर्गीय, उनकी गुजर-बसर कैसे चल रही है। आपको यही सुनने को मिलेगा की हालात ठीक नहीं हैं।

गिरती आमदनी और बढ़ती महंगाई आज व्यापक है, इसीलिए हम इन मुद्दों पर विमर्श और राजनैतिक तौर से काम कर रहे हैं। लेकिन सरकार धर्म की राजनीति कर के लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। क्या वह थक चुके हैं? क्या उनके पास कोई भी सकारात्मक मुद्दा नहीं है? या फिर वह देश की जनता को फिर गुलाम बनाना चाहते हैं?

प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की राजनैतिक वार्ता का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। नफरत का बाजार अब नफरत की मंडी बन गया गई। पहले कुछ नेता नफरत के फुटकर विक्रेता थे, अब शीर्ष नेतृत्व थोक विक्रेता बन गया है।

आप कमोबेश हर सभा में पांच लाख रोजगार का मुद्दा उठा रहे हैं। परंतु विरोधी यह कहते हैं काम नीतीश कुमार के हैं और क्रेडिट आप लेने की कोशिश कर रहे हैं?

नीतीश कुमार जी खुद इस काम क्रेडिट नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि यह काम हमारी सोच और संचालन में हुआ था। नीतीश जी के कार्यकाल में इस पैमाने पर रोजगार देना अप्रत्याशित है। न पहले इतना हुआ और न बाद में। उन्होंने 17 में क्यों नहीं दी इतनी नौकरियां? जनता भी जान गयी है कि रोजगार के मुद्दे पर हम भरोसेमंद हैं।    

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब बिहार आते हैं परिवारवाद और जंगलराज की बात जरूर करते हैं? नीतीश कुमार भी जंगलराज और परिवारवाद को लेकर हमलावर हैं?

यह सब बेबुनियाद और बासी है। वो वर्तमान और भविष्य की बात करने से डर रहे है। गुजरात में खुले आम बूथ कैप्चरिंग हो रहा है। वहां चुनाव आयोग दोबारा वोटिंग करवाएगा।

एक राजनैतिक परिवार के उम्मीदवार जो कई दुष्कर्म के आरोप के बाद देश से भागे हुए हैं उनके लिए प्रधानमंत्री वोट मांग रहे हैं। मोदी जी और नीतीश जी अपने आस-पास भी थोड़ा देख लें। 

चुनाव पहले अध्योध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद कहा जा रहा था, राममंदिर चुनाव में प्रभाव डालेगा, आपको क्या लगता है राम मंदिर का चुनाव पर असर है?

हम धर्म में राजनीति और राजनीति में धर्म के आलोचक रहे हैं। धर्म निजी मामला है और राजनीति सामाजिक-आर्थिक। अगर इनको एक दूसरे से मिलाया जाएगा, तो धर्म को भी नुकसान होगा।

साथ ही समाज और आर्थिक व्यवस्था को भी। हम सामाजिक और आर्थिक मुद्दे ले कर जनता का पास गए हैं और जनता ने हमें अच्छी प्रतिक्रिया दी है।

चौथे चरण का चुनाव आते-आते मुस्लिम आरक्षण को लेकर लड़ाई तेज हो गई है। लालू जी पर आरोप है कि वे उन्होंने मुस्लिम आरक्षण की पहले वकालत की और बाद में पलट गए?

इलेक्शन कैंपेन के दौरान प्रधानमत्री कुछ भी मनगढंत बोलते हैं, यह बात आज सबको पता है। यह एकदम बेबुनियाद आरोप है। हम लोग जो बोलते हैं खुल कर बोलते हैं।

सोशल मीडिया पर युवाओं से हम सभी को सीखना चाहिए कि आधारहीन और भड़काऊ आरोपों की फैक्ट-चेकिंग और आलोचना कैसे करते है।

संविधान समाप्त करने के आरोप लगाकर आप लगातार मोदी सरकार पर हमलावर होते हैं। इसमें कुछ हकीकत भी है या फिर यह भी चुनावी मुद्दा ही है?

भाजपा और एनडीए सरकार ने संविधान नष्ट करने का ट्रेलर तो दिखा ही दिया है। 400 सीटों की ललक इसलिए है की पूरी फिल्म बना सकें।

संसद और संसदीय मानदंडों की अवहेलना, फेडरलिस्म के परखच्चे, बेलगाम गवर्नर, विपक्ष के नेताओं को जेल, स्वतंत्र एजेंसियों का दुरूपयोग, असंवैधानिक कानून बनाना, यह सब ट्रेलर में देख ही लिया हैं।

अंग्रेजी में एक कहावत है- डेथ बाय अ थाउजेंड कट्स: मतलब हजार छोटे-छोटे घाव देकर हत्या कर देना। भाजपा एनडीए संविधान के साथ अब तक यही कर रही है।

नीतीश कुमार के हाईजैक होने के बाद कहा गया, आइएनडीआइए समाप्त हो गया। आप क्या कहेंगे?

आइएनडीआइए एलायंस आबाद है और तेजी से लोगों के बीच काम कर रहा है। दलों के बीच अच्छा कोऑर्डिनेशन है।

सभी दलों के कार्यकर्ता भी जोर-शोर से काम कर रहे हैं। जैसा की हम लोग हमेशा कहते हैं, कोई कल जाना चाहता है तो आज ही चला जाए। कमजोर कड़ियों की ज़रूरत नहीं।

लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते हैं। पिछली बार लोकसभा चुनाव में आपका जादू नहीं चला। विधानसभा 2020 की तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में आपको जादू चलेगा क्या?

राजनीति में पांच साल लंबा समय होता है। हमारी तैयारी अच्छी है। हम हर रोज पूरी ताकत और लगन से काम करते हैं। युवा लोग हमसे लगातार जुड़ रहे हैं। युवा ही देश को बदलने वाले हैं। 

आप एक युवा नेता हैं, आप बताएं कि प्रधानमंत्री मोदी की नीतियां देश को किस ओर ले जा रही हैं?

प्रधानमंत्री जिस विचारधारा और राजनैतिक परिवेश से आते हैं, वह कुंठा और हीन भावना से ग्रस्त रही है। उसने अपने अनुयायियों को हमेशा यही कहा है कि 'तुम कमजोर हो, तुम खतरे में हो'।

स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता संग्राम के बीच भी यह लोग कभी अंग्रेजो से नहीं लड़े। स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया। माफीनामे लिखते रहे।

उस दौर में भी यह अपने संगठन से माध्यम से लोगों के बीच सिर्फ द्वेष और नफरत फैलाते थे। गांधी जी की हत्या के पीछे भी यही सोच थी। जाति व्यवस्था और जातिगत वर्चस्व में इनकी अटूट आस्था है।

पिछले 30-40 सालों में यह दो प्रवृतियां भाजपा और प्रधानमंत्री की राजनीति में साफ तौर से झलकती हैं। इनके चलते सामाजिक विकास नहीं हो सकता। जर्मनी और दुनिया के कई हिस्सों में जिनसे संघ परिवार प्रभावित था ऐसी राजनीति से जुड़ना आज शर्म की बात माना जाता है।

आपकी चुनावी सभाओं में बहुत भीड़ देखी जा रही है, क्या यह भीड़ वोट में बदलेगी?

यह स्नेह और उत्साह सिर्फ रैलियों और सभाओं में ही नहीं हमें गांव-गांव और गली मोहल्ले में दिख रहा है। प्रदेश में लहर हमारे पक्ष में है।    

चुनाव परिणाम आपके अनुरूप रहे और नीतीश कुमार आइएनडीआइए में वापसी चाहे तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या होगी?

हम लोग नीतियों पर बात करेंगे, राजनीति पर नहीं। आइएनडीआइए एक लोकतान्त्रिक गठबंधन है और सभी घटक दल की सर्वसम्मति से फैसले लिए जाते हैं।

सीबीआइ, ईडी जैसी जांच एजेंसियों ने आपको कितना परेशान किया। इसे आप कैसे देखते हैं?

यह भाजपा के डर और असुरक्षा का संकेत है। थोड़ी परेशानी होती है, समय बर्बाद होता है, परिवार में महिलाओं और बच्चों को थोड़ी चिंता होती है। पर हम अपनी राजनीति और नैतिक मूल्यों का दाम हमेशा देते रहे हैं। आदरणीय लालू जी से सीखा है परेशान किये जा सकते हैं, पराजित नहीं।

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