'वंचितों को सचिवालय की जगह शौचालय में बैठाना चाहती हैं मोदी सरकार', लेटरल एंट्री पर भड़के तेजस्वी; NDA नेताओं को भी लपेटा
लेटरल एंट्री स्कीम पर देशभर में सियासत तेज हो गई है। बिहार में राजद इसका जोरदार विरोध कर रहा है। राजद सुप्रीमो लालू यादव के बाद अब बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर पोस्ट करते हुए इस स्कीम पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार चिराग पासवान जीतनराम मांझी चंद्रबाबू नायडू समेत एनडीए नेताओं को आरक्षण विरोधी बताया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। लेटरल एंट्री को लेकर देश में पक्ष-विपक्ष में आवाज उठ रही हैं। बिहार में भी तमाम दल इसका विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल इसका जोरदार विरोध कर रहा है।
पूर्व रेल मंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद के साथ ही प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी लेटरल एंट्री को ले केंद्र की मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। दूसरी ओर लोजपा (आर) और जदयू और लोजपा भी इसके खिलाफ मुखर हैं।
PM मोदी पर अटैक, नीतीश, चिराग व मांझी पर भी उठाया सवाल
तेजस्वी ने एक बार फिर लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार पर हमला। साथ ही, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को भी कठघरे में खड़ा किया।
उन्होंने कहा कि ये नेता आरक्षण विरोधी हैं और आरक्षण समाप्त करने की कोशिशों में बराबर के भागीदार हैं।
तेजस्वी ने प्रधानमंत्री को आरक्षण विरोधी बताते हुए कहा कि वे असंवैधानिक तरीके से लेटरल एंट्री के जरिये आइएएस, आइपीएस की जगह बिना परीक्षा आरएसएस के लोगों को भर रहे हैं।
वंचितों को सचिवालय की जगह शौचालय में बैठाना चाहते हैं
तेजस्वी ने लिखा कि प्रधानमंत्री दलित, पिछड़े और आदिवासियों को सचिवालय की जगह शौचालय में बैठाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री आरक्षण विरोधी हैं, इसलिए उच्च पदों में आरक्षण खत्म करने के लिए लेटरल एंट्री में एकल पद दिखाया गया है।
लेटरल एंट्री आरक्षण के प्रविधानों का सीधा उल्लंघन
तेजस्वी ने कहा कि लेटरल एंट्री आरक्षण के प्रविधानों का सीधा उल्लंघन है। सरकार का यह फैसला गैरकानूनी है।
तेजस्वी ने कहा कि यह सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के 2022 के सर्कुलर का भी उल्लंघन है, क्योंकि कोई भी अस्थायी नियुक्ति अगर 45 दिनों से ज्यादा है, तो इसमें आरक्षण लागू करना अनिवार्य है। उन्होंने लेटरल एंट्री को गैर जिम्मेदाराना व्यवस्था बताया।
दलित, पिछड़े और आदिवासी सचिवालय में नहीं बल्कि शौचालय में बैठे- मोदी सरकार
𝟏. प्रधानमंत्री मोदी संविधान और आरक्षण को खत्म कर असंवैधानिक तरीके से लैटरल एंट्री के ज़रिए उच्च सेवाओं में 𝐈𝐀𝐒/𝐈𝐏𝐒 की जगह, बिना परीक्षा दिए 𝐑𝐒𝐒 के लोगों को भर रहे है।
𝟐. संविधान सम्मत उच्च…— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 20, 2024
इन नेताओं पर भी उठाया सवाल
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का इन नियुक्तियों में आरक्षण समाप्त करवाने और संविधान प्रदत्त हक अधिकार छिनवाने में चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार,जीतन राम मांझी, चिराग पासवान, अनुप्रिया पटेल, एकनाथ शिंदे, जयंत चौधरी सहित एनडीए के सहयोगी दल भी बराबर के भागीदार और दोषी हैं।
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