चुनाव में इन मुद्दों से कैसे पार पाएंगे Tejashwi Yadav? मैदान में NDA से दो-दो हाथ के लिए RJD का प्लान सेट
Bihar Political News लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में सभी पार्टियां एक्टिव हैं। राजद भी चुनाव में एनडीए को शिकस्त देने के लिए अपना प्लान बना चुकी हैं। इस चुनाव की जिम्मेदारी तेजस्वी यादव के कंधों पर है। लालू प्रसाद की बात करें तो वह बीमार चल रहे हैं। लिहाजा चुनाव में उनकी उपस्थिति तो जरूर होगी लेकिन नहीं के बराबर। ऐसे में तेजस्वी मैदान में आगे होंगे।
सुनील राज, पटना। Lok Sabha Election लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। बंगाल के बाद बिहार ही हिंदी बेल्ट का ऐसा प्रदेश है, जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को सबसे अधिक चुनौती मिलेगी।
चुनाव मैदान में एक ओर राजग (NDA Bihar) के बड़े-बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi), गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah), जेपी नड्डा, नीतीश और सम्राट चौधरी जैसे चेहरे होंगे तो दूसरी ओर इनके मुकाबले ताल ठोकने के लिए मैदान में बिहार में घोर विरोधी राजद (RJD) और उसके युवा नेता तेजस्वी यादव होंगे।
तेजस्वी (Tejashwi Yadav) के समर्थन में यदा-कदा राहुल गांधी (Rahul Gandhi), मल्लिकार्जुन खरगे भी दिखेंगे। रही लालू प्रसाद यादव की बात तो राजद सुप्रीमो (Lalu Yadav) काफी बुजुर्ग होने के साथ बीमार भी रहने लगे हैं। लिहाजा चुनाव में उनकी उपस्थिति कितनी होगी, यह कहना अभी मुश्किल है। ऐसे में राजद की चुनावी नैया को आगे बढ़ाने का दायित्व तेजस्वी पर अधिक होगा।
विकास के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ रहे तेजस्वी यादव
यही वजह है कि राजद या यूं कहें कि तेजस्वी यादव ने चुनाव शुरू होने के काफी पहले ही रणनीति बनाकर उसपर अमल शुरू कर दिया था। इस तैयारी ने उस वक्त और जोर पकड़ लिया, जब बिहार में महागठबंधन टूट गया और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) राजग के साथ हो गए।
अपनी सोची-समझी चाल के तहत नेता प्रतिपक्ष चुनाव को विकास के एजेंडे पर लेकर आगे बढ़ चले। वहीं, विकास के मुद्दे पर बढ़ते चुनाव के बीच लालू प्रसाद के एक बयान ने भाजपा को बैठे-बिठाए तुरुप का पत्ता दे दिया।
तेजस्वी यादव ने नहीं साधी चुप्पी
गांधी मैदान में आयोजित जनविश्वास महारैली के मंच से लालू प्रसाद ने मोदी के परिवार को लेकर टिप्पणी क्या की, पूरा भाजपा कुनबा मोदी का परिवार होने का मुद्दा लेकर बिहार में राजनीति में बह रही विकास की धारा को परिवारवाद और वंशवाद की ओर मुड़ने में जुट गया।
इसके बावजूद बिना विचलित हुए तेजस्वी 17 महीने बनाम 17 साल के काम और विकास के झंडे को लेकर आगे बढ़ते रहे। तेजस्वी यादव ने वंशवाद, परिवारवाद के मुद्दे पर भी चुप्पी नहीं साधी। पार्टी नेताओं को इस वंशवाद, परिवारवाद पर विरोधियों को जवाब देने का काम सौंप दिया।अपने नेता का फरमान मिलते ही राजद नेताओं ने पोस्टर लगाकर भाजपा में परिवार और वंश के नाम पर राजनीति करने वालों के नाम गिनाने शुरू कर दिए। एनडीए पर राजद का दो तरफा हमला जारी रहा।
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