Tejashwi Yadav: एससी-एसटी आरक्षण के वर्गीकरण का तेजस्वी ने किया विरोध, JDU और केंद्र सरकार पर बोला हमला
Tejashwi Yadav तेजस्वी यादव ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण के वर्गीकरण का विरोध किया है। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद उन्होंने कहा कि वंचितों के साथ आज भी न्याय नहीं हो रहा है। वंचित आदिवासी में क्रीमी लेयर का मामला नहीं हो सकता है। तेजस्वी यादव शुक्रवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा।
राज्य ब्यूरो, पटना। Tejashwi Yadav प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सर्वोच्च न्यायालय के एससी-एसटी आरक्षण में कोटे में कोटा और इसमें क्रीमी लेयर लागू करने के फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा वंचितों-पिछड़ों का आज भी विरोध हो रहा है।
उन्होंने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का मामला हो ही नहीं सकता। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने आरक्षण संशोधन को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने और बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग को लेकर भी सरकार पर हमला बोला। नेता प्रतिपक्ष शुक्रवार को अपने आवास स्थित सभाकक्ष में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे।
भाजपा और जदयू को आरक्षण विरोधी- तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने भाजपा और जदयू को आरक्षण विरोधी बताया और कहा कि संसद में खड़ी होकर सरकार कह रही कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। आरक्षण संशोधन और इसे नौवीं अनुसची में शामिल करने के प्रस्ताव से भी पल्ला झाड़ लिया। ये आरक्षण विरोधी हैं, जबकि जदयू भी केंद्र सरकार का हिस्सा है। अगर इस मांग की पूर्ति नहीं करा सकती तो सरकार गिराए।तेजस्वी यादव ने कहा कि इस वक्त राज्य में महागठबंधन की सरकार थी उस वक्त आरक्षण के दायरे को बढ़ाया गया और इसकी सीमा 65 प्रतिशत तक की गई। इसके बाद राज्य मंत्री परिषद के सहमति से आरक्षण संशोधन को नौवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया।उन्होंने आगे कहा कि गुरुवार को जब राजद सांसद मनोज झा द्वारा राज्यसभा में उठाए गए एक प्रश्न में सरकार ने इसे अपना पल्ला झाड़ने हुए झूठ कहा कि संविधान की नौवीं अनुसूची का मामला राज्य सरकार का है केंद्र का नहीं। केंद्र सरकार सरासर झूठ बोल रही है।
पांच अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे- तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि हम चाहते थे तमिलनाडु की तरह इसे सूची में शामिल किया जाए ताकि इसके खिलाफ कोर्ट न जा सके, लेकिन भाजपा शुरू से इसमें पेंच लगाने की कोशिश कर रही थी। नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों के मुंह मे भी दही जमा है। लोग कुछ बोल नहीं रहे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मसले पर फेल और फ्लॉप हो चुके हैं।
उन्होंने कहा वे इस मसले पर मौन नहीं रहेंगे। हमलोग पांच अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे। कोर्ट में पिटीशन डाली जाएगी। इसके साथ ही राजद सड़क पर उतरेगा और जनता के बीच जाएगा। आरक्षण संशोधन को संविधान की अनुसूची में शामिल करने के मसले को छोड़ा नहीं जाएगा।
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।तेजस्वी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई असहमति
नेता प्रतिपक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय के गुरुवार के फैसले से असहमति जतायी और कहा कि हम लोग इसके पक्ष में नहीं हैं। आर्थिक समानता दिलानी हैं तो सबको नौकरी दे। सरकार संसद में अध्यादेश लाकर असमानता दूर करे। हम कोर्ट के फैसले के पक्ष में नहीं। जदयू सरकार में कुछ नहीं है, कर सकती है तो फिर सरकार को गिराए। प्रेस कांफ्रेंस में अब्दुलबारी सिद्दीकी, आलोक मेहता, जगदानंद सिंह, श्याम रजक, शक्ति सिंह यादव समेत अन्य कई नेता उपस्थित रहे।आरक्षण की सीमा 50 से 65 प्रतिशत करने पर रोक
बिहार में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का नया कानून फिलहाल लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पटना हाई कोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के कानून को रद कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के इनकार का मतलब यह हुआ है कि बिहार में होने वाली भर्तियों में फिलहाल नया आरक्षण कानून लागू नहीं होगा।ये भी पढ़ें- Bihar Reservation Act: बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण पर लगी रहेगी रोक, नीतीश सरकार को लगा सुप्रीम कोर्ट से झटकाकोटा के अंदर कोटा को मंजूरी, SC-ST की जरूरतमंद जातियों को अब होगा ज्यादा फायदा; सुप्रीम कोर्ट के फैसले के क्या हैं मायने?