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जीभ काटने की बात.. से तेजस्वी यादव खफा, 'ठाकुर विवाद' में आनंद मोहन के बेटे पर एक्शन की लिख रहे पटकथा!

Tejashwi Yadav राजद के सांसद मनोज झा के राज्यसभा में ठाकुर का खेत कविता पढ़ने के बाद उठा विवाद शांत होता नहीं दिख रहा है। लालू यादव के बाद अब तेजस्वी यादव ने भी झा का समर्थन किया है। तेजस्वी ने इस संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब दिया। वहीं अपनी ही पार्टी के नेता की टिप्पणी का संज्ञान लिया।

By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Yogesh SahuPublished: Sat, 30 Sep 2023 07:20 PM (IST)Updated: Sat, 30 Sep 2023 07:38 PM (IST)
मनोज झा के साथ खड़े हुए तेजस्वी, कहा- किसी जाति की बात नहीं की है उन्होंने

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्यसभा में 'ठाकुर का खेत' कविता को पढ़ने के बाद विवाद में आए राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा (Manoj Jha) के पक्ष में खड़े हो गए हैं तेजस्वी यादव। दिल्ली से पटना लौटने के बाद हवाई अड्डा पर पत्रकारों से बातचीत के क्रम में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने कहा कि मनोज झा ने किसी जाति की बात नहीं की है।

वहीं, तेजस्वी यादव ने राजद सांसद मनोज झा को समर्थन देने के साथ ही अपनी पार्टी के नेता चेतन आनंद के खिलाफ एक्शन लेने के भी संकेत दिए हैं।

तेजस्वी ने शनिवार को कहा कि उन्होंने (मनोज झा) तो ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता को बस पढ़ा है। उनका आशय सिर्फ यह था कि सभी को मौका मिले। इस कविता पर जीभ काटने और गला काटने की बात की जा रही है।

अगर हमारे दल के लोग भाजपा के किसी नेता पर इस तरह की टिप्पणी करते तो मैं खेद प्रकट कर देता। तेजस्वी ने कहा कि मनोज झा (Manoj Jha) ने किसी जाति की बात नहीं की है।

ठाकुर तो कर्पूरी ठाकुर भी थे : तेजस्वी

तेजस्वी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि बिहार में ठाकुर तो कर्पूरी ठाकुर भी थे। हम अहीर जाति के हैं। इस जाति के लोग यादव, चौधरी, राय और प्रसाद भी अपने नाम से जोड़ते हैं। हमलोग तो वीपी सिंह को मानने वाले लोगों में रहे हैं।

रघुवंश प्रसाद सिंह हम लोगों के नेता थे। देश को मनरेगा उन्होंने दिया। राजद के पास जितनी संख्या में राजपूत एमएलए-एमएलसी हैं, उतनी संख्या में भाजपा के पास हैं क्या?

तेजस्वी ने आनंद मोहन के पुत्र व राजद विधायक चेतन आनंद द्वारा अपने एक्स हैंडल पर मनोज झा के खिलाफ टिप्पणी पर भी आपत्ति की।

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संज्ञान लिया है : यादव

उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कुछ कहना था तो इस बात को पार्टी फोरम पर उठाना चाहिए था। वैसे उन्होंने इस बात को संज्ञान में लिया है। वह इस पर पार्टी के भीतर चर्चा करेंगे।

मनोज झा का आशय यह था कि सभी को बराबरी का मौका मिले। उन्हें तो राज्यसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार मिल चुका है।

यह उनके आचरण बुद्धिमता के आधार पर मिला है। इस पर किसी को शक है क्या? उनका आशय यह था कि आज चंद लाेग ही देश चला रहे हैं, जिनकी आबादी अधिक है, उनके पास जमीन नहीं है।

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