तेजस्वी की दिल की बात-तेज भाई की सगाई में पापा की थी कमी, शादी में आएंगे लालूजी
तेजप्रताप की सगाई के बाद मीडिया से मुखातिब तेजस्वी अपने पिता लालू यादव को लेकर भावुक दिखे और कहा कि पापा यहां नहीं थे, उनकी कमी सबको खली, जमानत मिली तो शादी में पापा आएंगे।
By Kajal KumariEdited By: Updated: Thu, 19 Apr 2018 07:46 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। बड़े भाई तेजप्रताप यादव की सगाई के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सगाई में पिता लालू प्रसाद जी नहीं आ सके, शादी तक हो सकता है उन्हें जमानत मिल जाए तो वो शादी में जरूर शरीक होंगे। उन्हें भी इस बात की तकलीफ जरूर होगी कि बड़े बेटे की सगाई में वो शामिल नहीं हो सके।
तेजस्वी ने कहा कि लालू जी शादी-ब्याह या किसी भी त्योहार में खूब इंज्वॉय करते हैं लेकिन अपने ही बेटे की सगाई में वो शरीक नहीं हो सके। हम सबने पूरे समारोह के दौरान उन्हें मिस किया। हमारे घर के बड़े बेटे हैं तेजप्रताप और हमारा रिश्ता एक नए परिवार से जुड़ा है। सभी खुश हैं, लेकिन हम सबको एक ही कमी खलती रही कि पापा नहीं थे।तेजस्वी ने की दिल की बात
हम सभी नौ भाई-बहनों ने जीवन के हर सफर की शुरुआत हमेशा हमने पिताजी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेकर ही की है, लेकिन कल मन थोड़ा व्यथित था कि तेज़ भाई के नए सफर की शुरुआत में उनका विराट व्यक्तित्व शारीरिक रूप से ख़ुशी की घडी में हमारे साथ शरीक नहीं था।
सुख के क्षणों में हमने पिता की कमी महसूस की। हालाँकि मानसिक और वैचारिक रूप से सदैव वो हमारे अंग-संग रहते है।
जो जनसेवा को समर्पित हो उसका कोई निजी जीवन नहीं होताबचपन से सुनता आया हूं वो हमें अक्सर कहते है, जो जनसेवा को समर्पित हो उसका कोई निजी जीवन नहीं होता, निजी खुशियां नहीं होती, निजी दुःख नहीं होता। जन-जन के संघर्ष के आगे परिवार की खुशियों का कोई मोल नहीं है।पिता की कमी बार-बार खलीभाई के सगाई समारोह में पिता जी की यही बात बार-बार याद आ रही थी। भाई के नए सफर पर पिता के आशीर्वाद का हाथ उनके सिर पर नहीं था, ये शायद पहली बार था। पिता की कमी बहुत खली, लेकिन उनकी ये सीख हमारे साथ रही की निजी सुख-दुःख से ऊपर होकर हमारा जीवन बिहार के लिए समर्पित है और रहेगा।
कई बार समझौते आपको और आपके परिवार को सुकून के पल और खुशियां दे जाते हैं । मेरे पिता ने आवाम के हितों से कभी समझौता नहीं किया। विकट से विकट परिस्थिति में भी भी अपने विचार, नीति और सिद्धांत को नहीं छोड़ा और यही कारण है कि सुखद क्षण में वो हमारे साथ नहीं है।मुझे गर्व है कि मैं लालू जी का बेटा हूंमुझे गर्व की अनुभूति होती है कि मैं एक ऐसे पिता का बेटा हूं जिसने अपना जीवन बिहार के लिए, बिहार के लोगों के लिए, शोषितों, पीड़ितों, वंचितो और दबे-कुचलों के लिए समर्पित कर दिया जिसे जेल जाना मंजूर था लेकिन झुकना नहीं। बिहार की इस संघर्ष यात्रा में ख़ुशी के पल भी कुछ उदास हैं लेकिन हमारे साथ हमारे पिताजी का दिया आत्मबल और विश्वास है। हम भी साधारण इंसान है इसलिए दुख हुआ लेकिन बिहार के लोगों के मान-सम्मान की लड़ाई मे यह दुख बहुत छोटा पड़ गया।इससे पहले लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने भी कहा था कि घर में इतनी बड़ी खुशी का मौका है लेकिन लालू जी नहीं शामिल हो सके, अपनी आंखों से ये सब नहीं देख सके। उनके सभी बच्चे उनके यहां नहीं होने से मायूस हैं। एेश्वर्या के रूप में हमें एक संस्कारी और पढ़ी-लिखी बहू मिली है। हम सभी खुश हैं, भगवान चाहेंगे तो लालू जी शादी में जरूर शरीक होंगे।
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