'तेज रफ्तार, तेजस्वी सरकार' के लिए तेजप्रताप की छूटी ट्रेन, गाड़ी से पहुंचे, खूब की भाषणबाजी
तेजप्रताप यादव तेज रफ्तार तेजस्वी सरकार कार्यक्रम में शिरकत करने जाने वाले थे लेकिन उनकी ट्रेन ही छूट गई। हालांकि वो गाड़ी से रवाना हुए और कार्यक्रम में शिरकत कर खूब भाषणबाजी की।
By Kajal KumariEdited By: Updated: Thu, 20 Feb 2020 09:03 AM (IST)
पटना, जेएनएन। 'तेज रफ्तार, तेजस्वी सरकार' का नारा देने वाले बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप की रफ्तार इतनी धीमी रही कि उनकी कल ट्रेन ही छूट गयी। तेजप्रताप ट्रेन छूटने के बाद सड़क मार्ग से ही कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंच गए। तेजप्रताप यादव ने कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर डाली हैं और लिखा है कि NRC, CAA और NPR के खिलाफ जनाक्रोश को संबोधित करने के लिए आज सहरसा का कार्यक्रम है, किंतु किसी कारण ट्रेन छूट गई, लेकिन हम रुकने वाले कहां।
दरभंगा पहुंच चुका हूं By Road.. जगह-जगह कार्यकर्ताओं का प्यार और सम्मान पा कर अति प्रसन्न हूं।महिषी विधानसभा क्षेत्र के भेलाही गांव में NRC, CAA और NPR के विरुद्ध आंदोलन की जनाक्रोश को संबोधित कर थोड़ा और ऊर्जावान बनाया।सहरसा विधानसभा क्षेत्र के सहरसा बस्ती में NRC, CAA और NPR के विरुद्ध चल रहे अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन में शामिल हुआ एवं वहाँ उमड़े अथाह जनसैलाब को संबोधित करते हुए सामाजिक एकता बनाए रखने की लड़ाई को और मजबूत बनाने का संकल्प दिलाया।जय हिन्द।।
तेजप्रताप यादव ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार को भी निशाने पर लिया। तेजप्रताप यादव ने झारखंड और दिल्ली में बीजेपी की हार को सीएए-एनआरसी के मुद्दे से जोड़ा और कहा कि इसी का असर है कि बीजेपी हारी है।
उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में सीएए-एनआरसी और एनपीआर को लेकर धरना हो रहा है। इससे केंद्र सरकार में अमित शाह और नरेंद्र मोदी कुलबुलाए हैं और डगमगा गए हैं। जिस तरह से झारखंड और दिल्ली में परिणाम आया है और इसी दौरान सीएए-एनआरसी का मुद्दा उठा है, उसका असर हुआ है और अब बिहार में भी उसी तरह होगा।
तेजप्रताप ने कहा कि इस सरकार ने जनता को ठगने का काम किया है। आरएसएस साम्प्रदायिक ताकतों की गोद मे जाकर बैठ गए हैं। यह सरकार जब हमलोगों से गठबंधन किया था पलटू जी ने तो समझौता किया था कि विकास होगा सबकुछ होगा।उन्होंने कहा कि गठबंधन की जब सरकार थी तो हम और तेजस्वी काम कर रहे थे। पता नहीं इनके दिमाग में कहां से क्या आ गया। हालांकि, पहले जब मिलते थे तो कहते थे तेज और तेजस्वी तो है ही, यह लोग बिहार को ऊंचाई तक पहुंचाने का काम करेंगे।
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