‘चलो जीतें रथ’ से गांव-घर तक पहुंचेगी मोदी की सादगी और संघर्ष की कहानी, लघु फिल्मों का होगा प्रदर्शन
बिहार में भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन से पहले ‘चलो जीतें मोदी रथ’ रवाना किया। यह रथ बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों में मोदी जी के जीवन पर आधारित लघु फिल्में दिखाएगा। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक ‘सेवा पखवाड़ा’ मनाया जाएगा जिसमें रक्तदान और जनसेवा के कार्य होंगे।

राज्य ब्यूरो,पटना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जन्मतिथि (17 सितंबर) से एक दिन पहले मंगलवार को भाजपा की ओर से 243 ‘चलो जीतें हैं’ रथ रवाना किए गए। ये एलईडी रथ प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे। उस दौरान मोदी के जीवन पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन पूरे बिहार में लगभग 50 हजार जगहों पर किया जाएगा। साथ ही मोदी की जन्मतिथि से गांधी जयंती (02 अक्टूबर) तक ‘सेवा पखवाड़ा’ मनाया जाएगा, जिसके अंतर्गत विविध आयोजन होंगे।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष डा. दिलीप जायसवाल ने पटना के गांधी मैदान से इन रथों को झंडी दिखाकर रवाना किया। नित्यानंद ने कहा कि मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि "चलो जीते हैं" एक फिल्म नहीं, बल्कि वह वास्तविकता है, जिसे मोदी ने अपने बचपन में जिया है। गरीबी और गरीबों के बीच से निकलकर हार नहीं मानने की इच्छा-शक्ति का नाम ही नरेन्द्र मोदी है।
चुनौतियों से जूझते हुए प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने की यात्रा मोदी के लिए आसान नहीं रही। विपरीत परिस्थितियों को उन्होंने चुनौती के रूप मेंं लिया और समाज से उन विकृतियों को दूर करने का प्रण, ताकि आने वाली पीढ़ियों का राह सुगम हो। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब भी देश के लिए जिया, गरीबों के लिए जिया और जब आज प्रधानमंत्री हैं तो देश के 140 करोड़ लोगों के लिए जी रहे हैं। सेवा पखवाड़ा में विविध आयोजन : नित्यानंद ने बताया कि सेवा पखवाड़े के अंतर्गत पूरे देश में भाजपा विभिन्न कार्यक्रम करने जा रही है।
इस दौरान रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच कैंप, स्वच्छता अभियान, एक पेड़ मां के नाम अभियान, प्रदर्शनी, संवाद कार्यक्रम, दिव्यांगों को उपकरण वितरण, मोदी विकास मैराथन, खेल महोत्सव और चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। सेवा पखवाड़ा का उद्देश्य केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि सेवा, रचनात्मकता और समर्पण की भावना को प्रोत्साहित करना है। इस अभियान में सेवा, स्वच्छता, आत्मनिर्भरता और राष्ट्र निर्माण को केंद्र में रखा गया है।
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