Bihar News: पटना में अर्घ्य देकर घर पहुंची तो हो गया चमत्कार, चार साल पहले परिवार ने तोड़ दी थी उम्मीद
Bihar News छठ महापर्व में उदीयमान सूर्यो को अर्घ्य देकर नंदलाल साह स्वजनों के साथ घर लौटे तो चार साल पहले लापता हुआ उनका 44 वर्षीय बेटा संजय साह दरवाजे पर बैठा मिला। परिवार वाले संजय को मृत समझ उसका दाह संस्कार भी कर चुके थे।
जयशंकर बिहारी, पटना। छठी मईया ने बगैर मांगे बरसों का दुख दूर कर दिया। छठ महापर्व में सुबह का अर्घ्य देकर नंदलाल साह स्वजनों के साथ घर लौटे तो चार साल पहले लापता हुआ उनका 44 वर्षीय बेटा संजय साह दरवाजे पर बैठा मिला। नंदलाल बताते हैं कि जिस बेटे का दो साल पहले दाह-संस्कार कर दिया था, उसे पहली नजर में देखा तो उसके जिंदा होने पर विश्वास नहीं हो रहा था। मां विमला देवी कहती हैं कि बेटी पूनम छठ करती है। अर्घ्य के समय बेटे को याद कर हर साल आंखें नम हो जाती थीं। सब छठी माई की कृपा है। भगवान भास्कर ने आंचल को खुशियों से भर दिया।
मगही में बातचीत से हुई पहचान
दानापुर के रामजी चक निवासी संजय कुमार मानसिक रूप से बीमार हो गए थे। 2018 में अचानक घर से गायब हो गए। दो माह पहले उन्हें केरल के कासरगोड के एक गैर सरकारी संगठन ने देखभाल के लिए मुंबई के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डा. भरत वटवानी द्वारा संचालित श्रद्धा पुनर्वास केंद्र में भेज दिया। यहां डा. उदय सिंह के नेतृत्व में इलाज प्रारंभ हुआ। डा. भरत वटवानी ने बताया कि काउंसिलिंग में संजय मगही में बातचीत करते थे, जिसके आधार पर उनके बिहार के होने की जानकारी मिली। संजय अपना पता रामजी चक, बाटा, आटा-चक्की दुकान ही बता पा रहे थे। उन्होंने जब पिता का नाम नंदलाल साह बताया तो टीम उन्हें लेकर पटना पहुंची।
दो घंटे तक स्वजन का करते रहे इंतजार
संजय को मुंबई से पटना लेकर आए स्वयंसेवक अजय और विकास ने बताया कि 29 अक्टूबर को मुंबई से ट्रेन से चले थे। 31 अक्टूबर की सुबह संजय को दानापुर के क्षेत्र में घुमाया, लेकिन वह अपना घर नहीं पहचान सके। इसके बाद रामजी चक में बाटा दुकान के सामने आटा-चक्की के आसपास नंदलाल साह के घर की जानकारी मिली। सुबह 7:00 बजे उनके घर पहुंचे, लेकिन परिवार के सभी लोग छठ पूजा में गए हुए थे। लगभग सवा नौ बजे के आसपास परिवार पहुंचा तो उनके चेहरे पर दिखी खुशी के लिए शब्द नहीं हैं। नौ वर्षीय बेटी तृषा और 10 वर्षीय बेटा आदित्य लिपट गया।
पुलिस ने नहीं लिया था गुम होने का आवेदन
नंदलाल साह के अनुसार, 2018 में गुम होने के बाद दीघा थाने में आवेदन दिया था, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया। 2020 में कोरोना संक्रमण के दौरान एक परिचित ने बताया कि संजय का शव उसने देखा है। परिवार ने उसे संजय का मानकर दाह-संस्कार भी कर दिया। नगर पंचायत से मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया था। नंदलाल साव ने बताया कि संजय होनहार छात्र थे। वह बीएससी अंतिम वर्ष में थे तो अचानक असामान्य व्यवहार शुरू कर दिया। रांची के मानसिक रोग अस्पताल से इलाज चला।
छठी माई ने लौटाया सिंदूर
पत्नी कंचन देवी ने बताया कि पहली बार तीन दिन घर से बाहर रहने के बाद वह लौट आए थे। हमें उम्मीद थी कि वह जल्द ही लौट आएंगे। दाह-संस्कार के बाद सारी उम्मीदें छोड़ दी थी। ईश्वर की कृपा से वह वापस आ गए हैं। छठी माई ने सुहाग को वापस लौटा दिया। वह बेटे-बेटी को काफी स्नेह दे रहे हैं।